डोरीलाल की चिन्ता- सतपुड़ा शार्ट सर्किट में फाइलें जलकर अमर हो गईं
अभी अभी पंत प्रधान भोपाल में भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करके गये। हमारे पंत प्रधान की खासियत ये है कि वो पार्टी के काम में और सरकार के काम में कोई फर्क नहीं करते। इसलिए अब पार्टी ही सरकार और सरकार ही पार्टी हो गई है। सरकार के पैसे से पार्टी का काम। इसमें कोई संकोच या शर्म ओ हया का पर्दा नहीं है। सबकुछ उजागर। तो पंत प्रधान ने खूब गुस्सा उतारा विपक्ष पर। कहा कि ये सब इकठ्ठे हो रहे हैं क्योंकि इनके पीछे मेरी पुलिस का डंडा और जेल की सलाखों का डर बैठा हुआ है। इतना खुल्लमखुल्ला कोई कहां बोलता है। उन्होंने साफ कर दिया कि वो विपक्ष को साफ कर देंगे।
उन्होंने साफ कर दिया कि वो घोटालेबाजों को सहन नहीं करेंगे। उनका नाश कर देंगे। इससे समस्त घोटालेबाजों में भय व्याप्त हो गया। उनके पीछे जो लोग ताली बजा रहे थे उनके भी हाथ पैर कांपने लगे। हे भगवान ये बात कहीं सच न हो जाए। साहब कहीं हर घोटालेबाज के पीछे न पड़ जाएं। क्या है कि मध्यप्रदेश में कुछ अलग ढंग से काम चल रहा है। बिलकुल निराला। यहां एक लिस्ट बनाई गई है घोटालों की। उसमें 156 घोटाले चिन्हित किए गए हैं। मध्यप्रदेश ने घोटालों का एक नया दर्शन विकसित किया है। घोटालों के सामने बेशर्मी और ’कौन हमारा क्या बिगाड़ लेगा ?’ की अभेद्य दीवार खड़ी है। हजारों करोड़ रूपये खर्च कर बने महाकाल महालोक में थोड़ी हवा क्या चली मूर्तियां आकाश गंगा में गोते लगाते हुए धड़ाधड़ जमीन पर आ गिरीं। बड़ा ही मायावी दृश्य था। मगर हमारे हुक्मरानों ने बहादुरी से इस हमले का मुकाबला किया। तत्काल ये मंत्र दोहराया गया कि ’’जांच होगी, दोषियों को बक्शा नहीं जाएगा।’’ कुछ अधिकारियों ने मौका-ए-वारदात का बारीकी से मुआयना किया। शायद टूटी हुई मूर्तियों से भी बात की। मूर्तियों ने उन्हें कान में बताया कि सबने तो मिल बांट के खाया है। हम लोग भगवान हैं। हमें सब मालूम है। अधिकारी तुरंत भोपाल रवाना हुए। रिपोर्ट कर दी कि जांच के दौरान मूर्तियों से कोई बात न की जाए।
उधर हाईकोर्ट की ग्वालियर बैंच बार बार पूछ रही है कि ये मध्यप्रदेश में चल क्या रहा है ? सरकार बार बार कह रही है कि सब ठीक ठाक है। मगर हर रोज एक नई कारगुजारी सामने आ जाती है। अब कोर्ट के आदेश से सभी 364 नर्सिंग कालेजों की सीबीआई जांच हो शुरू हो गई है। नर्सिंग कालेज के फर्जीवाड़े को देखकर लगता है कि क्या पूरा नर्सिंग शिक्षण फर्जी है। न कालेज हैं न शिक्षक हैं न शिक्षा है। कोर्ट से कहा जा रहा है कि छात्रों के भविष्य का सवाल है परीक्षा हो जाने दीजिए। वहां अदालत का कहना है कि जिन छात्रों की परीक्षा ले रहे हो उनका कालेज ही नहीं हैै उन छात्रों का भविष्य तो वैसे ही अंधकारमय है। उनके साथ उन लोगों की जान भी खतरे में है जिनकी नर्सिंग ये किया करेंगे।
डोरीलाल से लोग पूछते हैं क्या व्यापम घोटाला केवल इसलिए भूल जाया जाए क्योंकि पुरानी बात हो गई। इस घोटाले से संबंधित 35-40 लोग स्वर्ग-नर्कवासी हो चुके हैं। कोई के गले में फंदा था तो कोई रेलवे ट्रैक में पड़ा मिला और इस घोटाले के कारण हजारों लोग अपना करियर गंवा चुके हैं। व्यापम घोटाले का हमारे देश में बहुत सम्मानित स्थान है। इससे प्रदेश का मान बढ़ा है। हमने दूसरे प्रदेशों और भारत वर्ष को परीक्षा लेने के क्षेत्र में एक नया मार्ग प्रशस्त किया है। कितनी नई सोच और तकनीक है। यदि आप पढना चाहते हैं या नौकरी करना चाहते हैं। आपके अंदर आगे बढ़ने की चाह है और आप साधन संपन्न हैं, आपके पास पैसा है तो आप बिना परीक्षा में बैठे पास हो सकते हैं। कोई और आपकी ओर से परीक्षा देकर पास हो जाएगा। दूसरी नायाब सुविधा ये दी गई कि आप परीक्षा दें और शर्तिया पास हो जाएंगे क्योंकि आपको प्रश्नपत्र पहले ही से उपलब्ध रहेगा। ये सुविधा बाद में सफलता का प्रतिशत देखते हुए पटवारी, इंस्पेक्टर और न जाने कौन कौन सी परीक्षाओं में भी उपलब्ध कराई गई और उम्मीदवारों को प्रक्षेपित कर सही कक्षा में स्थापित किया गया।
मध्यप्रदेश ने अनेक कीर्तिमान स्थापित किए हैं। हमारी भारतीय संस्कृति में राजा महाराजाओं और मंत्रियों के बारे में नाना प्रकार की प्रशस्तियां प्रचलित रहीं हैं। मगर हमारे राजा ने कहा कि हम सामान्य जन हैं। हम भी बिकाऊ हैं। हमसे कोई धरम ईमान की उम्मीद न रखी जाए। हम बिकेंगे और पूरी बेशर्मी से बिकेंगे। अपनी शर्ताें पर बिकेंगे। प्रजा सहित बिकेंगे। विधान सभा अध्यक्ष कहते रहे कि सदन में आकर बोलो कि तुम बिक गये हो मगर वो अदालत चले गए। वहां भी यही माना गया कि बिका हुआ माल वापस नहीं होता। एक बार बिके मतलब बिके। तो इन बिके हुए लोगों ने सरकार गिरा कर भारतीय संस्कृति की रक्षक सरकार बना दी।
इतनी मौलिकता से काम करने वाली सरकार में अचानक शार्ट सर्किट हो गया। जब सेना हारने लगती है और पीछे भागती है तो अपने बंकर और दीगर सामान नष्ट करती जाती है। ताकि भविष्य में उसका फायदा जीतने वाला न उठा ले। इसलिए सतपुड़ा भवन में शार्ट सर्किट हो गया। सारी फाइलें जल कर खाक हो गईं। जो जल गईं वो तो अमर हो ही गईं मगर जो नहीं जलीं हैं वो भी अब कभी न मिलेंगी। जब फाइल मांगी जाएगी तो कहा जाएगा कि नहीं मिल रही। शार्ट सर्किट में जल गई। सारे घोटालेबाज मुक्त हो गए क्योंकि प्रमाण समाप्त हो गए।