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दिग्विजय ने कान पकड़कर माफी मांगी:रीवा में कहा- भाजपा का मकसद विवादित ढांचा गिराना था, मंदिर निर्माण नहीं

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रीवा में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा है कि भाजपा का मकसद विवादित ढांचे को गिराना था। मीडिया के सवाल, ‘भाजपा ने राम मंदिर निर्माण की बात कही थी, वो पूरी हो रही है?’ के जवाब में उन्होंने कहा, ‘भाजपा का मकसद मंदिर निर्माण का नहीं था।’

एक सवाल के जवाब में दिग्विजय ने कहा, ‘कांग्रेस ने कभी बजरंगबली के नाम पर वोट नहीं मांगा। उन्होंने (BJP) मांगा था। कर्नाटक की जनता ने उन्हें रिजेक्ट कर दिया।’ पूर्व मुख्यमंत्री बुधवार को लोकसभा चुनाव की तैयारी को लेकर कार्यकर्ताओं की बैठक लेने रीवा पहुंचे। इससे पहले उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस की।

1 घंटा देरी से आने पर उन्होंने कान पकड़कर माफी मांगते हुए कहा कि ट्रेन लेट थी। माफी चाहता हूं।

दिग्विजय सिंह रीवा में कार्यकर्ताओं की बैठक लेने पहुंचे। इससे पहले उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
दिग्विजय सिंह रीवा में कार्यकर्ताओं की बैठक लेने पहुंचे। इससे पहले उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस की।

अल्पसंख्यकों के संवैधानिक प्रावधान खत्म किए जा रहे
दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘आज देश में धर्म को राजनीतिक हथियार के रूप में उपयोग किया जा रहा है। यह देश मूल रूप से धार्मिक है। हर धर्म का सम्मान करना हमारे सनातन धर्म का विशेष अंग है। प्राणियों में सद्भावना, विश्व कल्याण की बात सनातन धर्म करता है।’

उन्होंने कहा, ‘आज लोकतंत्र के साथ संविधान भी खतरे में है। हमारे अल्पसंख्यक, चाहे वे मुसलमान हों, ईसाई, सिख, बोद्ध जैन हों, उनके लिए संविधान में किए गए प्रावधान को समाप्त करने का कुटिल प्रयास किया जा रहा है। लोकसभा – राज्यसभा में बिना चर्चा के बिल पास किए जा रहे हैं।’

MP में हार के कई कारण, चर्चा नहीं करना चाहता
कांग्रेस की लगातार हार और कुछ राज्यों तक सीमित हो जाने के पीछे कौन जवाबदार है? इस पर दिग्विजय ने कहा, ‘मैं टॉप लीडरशिप को जिम्मेदार नहीं मानता। इसके लिए मेरे जैसा हर कांग्रेस कार्यकर्ता जिम्मेदार है। मध्यप्रदेश में हार के कई कारण सामने आए हैं। उस पर चर्चा नहीं करना चाहता।’ EVM से चुनाव पर बोले अगर जनता मांग करे कि इसका बहिष्कार करो तो इस पर विचार कर सकते हैं।

कहते थे नई संसद में परिंदा पर नहीं मार सकता, दो बेरोजगार घुस गए
नई लोकसभा में दावा किया गया था कि यहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता। वहां दो बेरोजगार युवाओं ने सदन में घुसकर गैस छोड़ दी। यह तो अच्छी बात रही कि गैस नॉन पॉइजनस थी। अगर युवकों ने जहरीली गैस छोड़ दी होती तो उस वक्त सदन में जितने भी नेता थे, वो पांच मिनट में ही मर सकते थे। देश के गृहमंत्री और प्रधानमंत्री को इस पर जवाब देना चाहिए था कि इतनी बड़ी घटना कैसे हुई।

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