संगम में गंगा जल को लेकर CPCB की रिपोर्ट है अधूरी JNU समेत इन 3 यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों ने रिसर्च पर जताया संदेह

नई दिल्ली, एजेंसी। त्रिवेणी संगम में गंगा जल की शुद्धता को लेकर हाल ही में जारी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (ष्टक्कष्टक्च) की एक रिपोर्ट के अंशों को तीन विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों ने गलत ढंग से प्रसारित करने का संदेह जताया है। उनका कहना है कि ‘नाइट्रेटÓ और ‘फॉस्फेटÓ जैसे तत्वों का रिपोर्ट में उल्लेख नहीं है।
सरकार की ओर से जारी एक विज्ञप्ति के मुताबिक, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉक्टर अमित कुमार मिश्रा, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान केंद्र के प्रोफेसर उमेश कुमार सिंह और दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर आरके रंजन ने कहा कि मौजूदा रिपोर्ट के आधार पर भी गंगा जल क्षारीय है, जोकि स्वस्थ जल निकाय का संकेत है। उन्होंने कहा कि जल में घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा के आधार पर इसे स्नान योग्य ही माना जाएगा।
और अधिक डेटा जुटाने की आवश्यकता
प्रयागराज के गंगा जल में ‘फीकलÓ बैक्टीरिया के संदूषण संबंधी रिपोर्ट पर मिश्रा ने कहा, च्हमें और अधिक डेटा जुटाने की आवश्यकता है। महाकुंभ में बहुत बड़ी संख्या में लोग स्नान कर रहे हैं। अगर आप कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की बात करें, तो यह कोई नई बात नहीं है।ज्
त्रिवेणी संगम का पानी नहाने के लिए उपयुक्त
कुछ दिन पहले, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (ष्टक्कष्टक्च) ने एक रिपोर्ट तैयार की जिसमें पानी में फीकल कोलीफॉर्म (बैक्टीरिया) के बढ़े हुए स्तर की बात कही गई है। वहीं इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सिंह ने कहा, च्मेरा मानना है कि सीपीसीबी को रिपोर्ट पर और काम करने की जरूरत है, क्योंकि उनके पास पूरा डेटा नहीं है। उनके अनुसार, रिपोर्ट में नाइट्रेट और फॉस्फेट नहीं है। वहीं, रिपोर्ट के अनुसार पानी में घुली ऑक्सीजन का स्तर अच्छा है। ऐसे में, मौजूदा डेटा के आधार पर, यह कहा जा सकता है कि त्रिवेणी संगम का पानी नहाने के लिए उपयुक्त है।ज्
ष्टक्कष्टक्च के डेटा में काफी अंतर
दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर रंजन ने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के डेटा में काफी अंतर है, यह निष्कर्ष निकालना कि पानी नहाने के लिए असुरक्षित है, दरअसल जल्दबाजी होगी।