मास्टर प्लान आने के पहले ही बसने लगी कालोनियां : अनियंत्रित निर्माण विकास में बनेगा बाधा

नए प्लान में 62 गांव होने हैं शामिल पहले ही बिक गई जमीन है
जबलपुर यश भारत। आने वाले 10 वर्षों में शहर का विकास कैसा होगा और किस दिशा में आगे बढ़ेगा उसको लेकर मास्टर प्लान तैयार हो रहा है। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग द्वारा जो 10 वर्षों का मास्टर प्लान बनाया जाता है वह आने वाले कुछ महीनो में सामने आ जाएगा। जो 2035 तक के लिए तैयार होगा। जिसमें इस बार पुराने क्षेत्र के अलावा नए 62 गांव को जोड़ा जा रहा है। लेकिन इन 62 गांव की प्लानिंग सामने आने के पहले ही बिल्डरों और डेवलपरों द्वारा जमकर जमीन खरीदी गई है, और बहुत सारे क्षेत्र में कॉलोनी और बिल्डिंगों का निर्माण शुरू कर दिया है तो कई जगह परमिशन पेंडिंग पड़ी हुई है।
यह है नुकसान
मास्टर प्लान आने के पहले इन क्षेत्रों में निर्माण कार्य शुरू करना आने वाले समय में शहर विकास के लिए नुकसान देह साबित होगा। क्योंकि जरूरी नहीं है कि जहां बिल्डिंग और कालोनियां बनाई जा रही है वे आने वाले मास्टर प्लान में रिहाईसी क्षेत्र के रूप में सरकार विकसित करना चाहती हो,या हो सकता है यहां ग्रीन बेल्ट बना दिया जाए। कृषि के लिए क्षेत्र बना दिया जाए या अन्य उपयोगी सुविधाओं के लिए यह क्षेत्र मास्टर प्लान में चिन्हित कर दिया जाए। ऐसे में जो कालोनियां यहां बनाई जाएगी वह विकास की मुख्य धारा से कट जयेगी साथ ही साथ इन क्षेत्रों के विकास के लिए अलग से क्षेत्रीय व स्थानीय निगम और प्राधिकरण को काम करना पड़ेगा।
फायदे का है खेल
यह पूरा खेल जमीनों की खरीद फरोख्त करके फायदे का है। क्योंकि बिल्डरों और डेवलपरों को बहुत अच्छे से पता है कि मास्टर प्लान आ जाने के बाद जो जगह आवासीय छेत्र के रूप में आएगी वहां जमीन के रेट आसमान छू लेंगे। जो जमीन ग्रीन बेल्ट या एग्रीकल्चर लैंड के रूप में चिन्हित होगी वहां जमीन के भाव माटी मोल हो जाएंगे। ऐसे में वे दोनों ही परिस्थितियों से बचने के लिए पहले ही परमिशन लेकर अपने प्रोजेक्ट शुरू करना चाह रहे हैं।