सीएम हेल्पलाइन प्रकरणों को लेकर TL में कलेक्टर ने जताई नाराजगी, बैठक शुरू होते ही अधिकारियों को लगाई फटकार, कमरे से किया बाहर कहा पहले प्रकरण निपटाओ फिर आओ

जबलपुर, यश भारत। जिले में लगातार बढ़ते जा रहे सीएम हेल्पलाइन प्रकरणों को लेकर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने सोमवार को होने वाली टाइम लिमिट बैठक में अधिकारियों को जमकर फटकार लगा दी । बैठक में आते ही कलेक्टर ने आंकड़ों को देखा और वहां मौजूद सभी अधिकारियों को सीधे आदेश दे दिया कि आप लोग यहां से जाएं और लंबित मामलों का निपटारा करें, उसके बाद बैठक में आए। कलेक्टर के आने के बाद घंटो चलने वाली टाइम लिमिट बैठक चंद मिनटो में ही खत्म हो गई। जिसमें एसडीएम और तहसीलदार खास तौर पर कलेक्टर के निशाने पर रहे। कलेक्टर श दीपक सक्सेना की अध्यक्षता में लंबित पत्रों की समीक्षा बैठक आयोजित की थी। इस दौरान सभी संबंधित अधिकारी मौजूद थे। बैठक में उन्होंने कहा कि सीएम हेल्पलाईन के प्रकरणों के निराकरण प्राथमिकता से करें। इसमें लापरवाही बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जायेगी। सीएम हेल्पलाईन की समीक्षा के दौरान महिला एवं बाल विकास, पंचायत एवं ग्रामीण तथा ऊर्जा विकास के कार्यों की सराहना की गई। वहीं उन सभी जिला अधिकारियों को बैठक से ही तुरंत ही सीएम हेल्पलाईन के प्रकरणों के निराकरण के लिए भेजकर कहा कि कितने सीएम हेल्पलाईन प्रकरणों का निराकरण संतुष्टी पूर्वक किया गया, इसकी जानकारी शाम को बताया जाये।
महा अभियान की ली जानकारी
बैठक में राजस्व महाअभियान की समीक्षा कर नक्शा बटांकन, आरओआर अधार लिंकिंग तथा फार्मर रजिस्ट्री की प्रगति की समीक्षा की गई। कलेक्टर सक्सेना ने शाम को फिर से सीएम हेल्पलाईन के प्रकरणों की समीक्षा की और सभी अनुभागवार तथा तहसीलवार सीएम हेल्पलाईन के निराकृत प्रकरणों की जानकारी ली। इसी प्रकार सभी विभागों द्वारा इस दिशा में किए गए प्रयास के संबंध में पूछा।
2 घंटे समाधान के लिए निकाले
कलेक्टर ने कहा कि प्रतिदिन दो घंटे सिर्फ सीएम हेल्पलाईन के प्रकरणों के लिए समय निकालें। सीएम हेल्पलाईन के प्रकरणों कों गंभीरता से लें और उनका निराकरण कर जिले की रैंकिंग सुधारें। वर्तमान में जबलपुर की रैंकिंग छोटे-छोटे जिलों से भी बहुत पीछे है। जिसमें सबसे ज्यादा भू राजस्व और नगरी निकाय के मामले हैं जिसको लेकर सबसे ज्यादा पेंडेंसी है । कलेक्टर द्वारा स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि उन्हें प्रतिदिन की जानकारी दी जाए और बताया जाए कि किस विभाग द्वारा कितने मामले निपटाए गए हैं।