मोबाइल के अधिक उपयोग से बच्चों की आंखों में दुष्प्रभाव’ करीब 60 फीसदी तक बढे मामले

जबलपुर, यश भारतl मोबाइल की नीली रोशनी आंख के साथ दिमाग की नसों को भी प्रभावित करती है। मोबाइल के बढ़ते प्रयोग से आंख के मरीज बढ़े हैं। भोपाल, जबलपुर और महानगरों के सरकारी अस्पतालों में एक साल में करीब 60% की बढ़ोतरी देखी गई है। 2022 में एम्स में 280 बच्चे आई- ओपीडी में आ रहे थे। इस बार यह आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। न्यूरो सर्जरी विशेषज्ञों का कहना है, मोबाइल से दिमाग की नसों पर भी प्रभाव पड़ रहा है।
•• ये हैं लक्षण
आंखों में सूजन, भारीपन, फोकस न कर पाना, ड्राइनेस, खुजली, जलन, चिड़चिड़ापन, नींद न आना, दिन में आलस।
• दिमाग की नसों में दबाव बढ़ता है
मोबाइल की नीली रोशनी का अंधेरे में ज्यादा असर होता है। यदि बच्चा देर रात तक फोन चलाने का आदी है तो यह नुकसान दायक है। इससे मेलाटोनिन हार्मोन की कमी होती है। दिमाग की नसों में दबाव बढ़ता है। दिमाग में सिस्ट बनने की आशंका होती है। देर रात तक जगने और फोन चलाने से दिमाग में खून की आपूर्ति कम होने लगती है। यह स्ट्रोक का कारण बन सकती है।
••स्ट्रोक तक का खतरा
– मोबाइल से दूरी है जरूरी,
घंटों मोबाइल के प्रयोग से आंखें कमजोर होती हैं|
-आंखों के ड्राय होने की समस्या
बढ़ती है।
-एक बार में 20 मिनट से अधिक फोन का प्रयोग न करें।
-फोन की ब्राइटनेस कम व आंखों से दूरी बनाएं।
-नियमित आंखों की जांच, हर 20
मिनट बाद 20 बार पलक झपकेंl
इन्होंने कहा….
मोबाइल उपयोग के अधिक चलन के कारण बच्चों में आंखों की प्रॉब्लम अधिक देखी जा रही है, बच्चों के ब्रेन में भी इससे समस्याएं होती है लोगों को जागरुक कर बचाव करना चाहिए तभी बच्चों का सर्वांग विकास हो सकता हैl
संजय मिश्रा, सीएमएचओ जबलपुर