हाईकोर्ट का बड़ा फैसलाः मप्र लोकसेवा आयोग बिना अनुमति के जारी नहीं कर सकेगा परिणाम
चीफ जस्टिस की डिवीजन बैच ने चयन परीक्षा 2025 के रिजल्ट घोषित करने पर लगाईं रोक

जबलपुर, यशभारत। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित चयन परीक्षा 2025 की प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट को हाईकोर्ट की परमिशन के बिना घोषित करने पर रोक लगा दी गई है । राज्य शासन के सामान्य प्रशासन विभाग तथा अयोग से 15 दिन के अंदर जबाब तलब किया गया है तथा याचिका की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद नियत की गईं है । भोपाल निवासी ममता देहरिया जिन्होंने राज्य सेवा परीक्षा 2025 में भाग लिया है । अभ्यर्थी द्वारा परीक्षा आवेदन जमा करने के तत्काल बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मध्य प्रदेश राज्य सेवा भर्ती परीक्षा नियम 2015 के नियम 4 (1) (ं) (पप), तथा नियम 4 (2) (ं) (पप) एवं नियम 4 (3) (ं) (पप) की संवैधानिकता सहित सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी सरकूलर दिनांक 07ध्11ध्2000 तथा लोक सेवा अयोग द्वारा प्रकाशित विज्ञापन दिनांक 31.12.2024 की संवैधानिकता को चुनौती देते हुए उक्त प्रावधानो को भारत के संविधान के अनुच्छेद 14,15,16 तथा 335 एवं लोकसेवा आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4-अं, से असंगत तथा असंवैधानिक बताया गया है ! उक्त प्रावधान आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान् अभ्यर्थियों को छूट लिए जाने के नाम पर उनको अनारक्षित वर्ग में चयन से रोकते है। उक्त याचिका की आज प्रारंभिक सुनवाई मुख्य न्याय मूर्ति तथा न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ द्वारा की गईं । कोर्ट को वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक प्रसाद शाह ने बताया की मध्य प्रदेश शासन एक ओर आरक्षित वर्ग को बिभिन्न प्रकार की छूट दे रही है जैसे आयु सीमा में छूट, शैक्षणिक योग्यता में छूट, परीक्षा शुल्क में छूट वही दुसरी ओर छूट प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को मेरिट में उच्च स्थान प्राप्त करने पर भी अनारक्षित वर्ग में चयन न होने का नियम बना दिया गया है, जो सविधान में निहित सामाजिक न्याय की अवधारणा के विपरीत होने के साथ साथ कई संवैधानिक प्रावधानो के विपरीत है! सुप्रीम कोर्ट के अनेक न्यायिक दृष्टांत है जिनमे स्पष्ट किया गया है, राज्य कोई ऐसा कानून नहीं बना सकता जो आरक्षित वर्ग को उनके संवैधानिक अधिकारों के उपभोग से रोकता हो तथा मध्य प्रदेश सरकार द्वारा आरक्षित वर्ग को अनारक्षित वर्ग में चयन से रोकने वाले समस्त प्रावधान असंवैधनिक तथा निरस्त किए जाने योग्य है ! याचिका कर्ता की ओर से दी गई दलीलो को कोर्ट द्वारा बेहद गंभीरता से लेते हुए, याचिका बिचार्थ स्वीकार कर अनावेदको को नोटिस जारी करने का आदेश दिया तथा अयोग को निर्देशित किया गया की उक्त विज्ञापन तथा नियमो के अनुसार आयोजित परीक्षाओ के रिजल्ट हाईकोर्ट की अनुमति के बिना घोषित न किए जाए! याचिका कर्ता की ओर से पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह तथा पुष्पेंद्र कुमार शाह ने की।