भोपालमध्य प्रदेश

भोपाल पुलिस ने एडवोकेट को ‘डिजिटल अरेस्ट’ से बचाया, लाखों की साइबर ठगी नाकाम

पुलिस ने एडवोकेट को ‘डिजिटल अरेस्ट’ से बचाया, लाखों की साइबर ठगी नाकाम!

पुणे एटीएस का फर्जी नाम लेकर डराया जा रहा था, कोहेफिजा पुलिस ने 4 घंटे में तोड़ा जाल

भोपाल, यशभारत। राजधानी में साइबर अपराधियों के खतरनाक ‘डिजिटल अरेस्ट’ के प्रयास को भोपाल पुलिस ने विफल कर दिया। कोहेफिजा इलाके में रहने वाले एक एडवोकेट को पुणे एटीएस (एंटी-टेररिस्ट स्क्वाड) के नाम पर धमकाकर घंटों तक बंधक बनाए रखा गया था, लेकिन परिवार की सूझबूझ और पुलिस की तत्परता से एक बड़ा वित्तीय फ्रॉड होने से पहले ही रुक गया।

क्या था ‘डिजिटल अरेस्ट’?

पीड़ित एडवोकेट शमसुल हसन, निवासी 165-ए हाउसिंग बोर्ड कोहेफिजा, को एक अज्ञात नंबर से कॉल आया। कॉलर ने खुद को एटीएस अधिकारी बताकर उन्हें पहलगाम मामले में दोषी होने की धमकी दी।

साइबर ठगों की रणनीति:

‘डिजिटल अरेस्ट’ साइबर फ्रॉड की एक नई लेकिन खतरनाक तकनीक है। इसमें अपराधी पीड़ित को लगातार वीडियो कॉल या फोन पर एंगेज रखते हैं और उन्हें एक जगह पर रहने तथा किसी से बात न करने के लिए मजबूर करते हैं। इसका उद्देश्य पीड़ित को इतना डरा देना होता है कि वे डर के मारे तुरंत एक बड़ी रकम ऑनलाइन ट्रांसफर कर दें। एडवोकेट हसन लगभग तीन घंटे तक इसी मानसिक दबाव में थे।

जैसे ही एडवोकेट हसन के परिवार को स्थिति की गंभीरता का अंदाजा हुआ, उन्होंने तत्काल थाना कोहेफिजा को सूचना दी।

थाना प्रभारी .के.जी. शुक्ला ने मामले को समझते हुए बिना देर किए अपनी टीम के साथ सीधे 165-ए हाउसिंग बोर्ड कोहेफिजा पहुंचे। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर एडवोकेट हसन और उनके परिवार को तत्काल सुरक्षा और मानसिक संबल प्रदान किया। पुलिस की सक्रियता के चलते, 4 घंटे के भीतर स्थिति को पूरी तरह से नियंत्रण में ले लिया गया और साइबर ठग अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाए।

पुलिस द्वारा तत्काल अज्ञात नंबर पर कॉल करने का प्रयास किया गया, लेकिन कॉलर ने फोन नहीं उठाया। पुलिस इस मामले में अब गहन जांच कर रही है।

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