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संस्कृत भाषा में छुपा है विश्व का सारा ज्ञान

संस्कृत भारती के प्रांतीय अधिवेशन में मुख्य अतिथि लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह

जबलपुर, यशभारत। संस्कृत भाषा में विश्व का सारा ज्ञान समाया हुआ है और यदि हम इस ज्ञान को प्राप्त करना चाहते हैं तो सबसे पहले हमें संस्कृत भाषा को जानना होगा । आज सारा विश्व भारत की ओर आशा भरी नजर से देख रहा है। यदि हम दुनिया के कथन अनुसार विश्व गुरु बनना चाहते हैं तो सबसे पहले संस्कृत भाषा का प्रचार प्रसार करना होगा। संस्कृत भारती द्वारा संस्कृत भाषा को जन भाषा बनाने का महा अभियान चलाया जा रहा है उसका में स्वागत वंदन करता हूं और अपनी ओर से शासन स्तर पर सारे प्रयास और सहयोग देने का आश्वासन देता है ।

उक्त उदगार आज यहां जबलपुर ग्वारीघाट के साकेत धाम परिसर में आयोजित संस्कृत भारती के दो दिवसीय प्रांतीय अधिवेशन के उद्घाटन सत्र में मध्य प्रदेश शासन के लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने व्यक्त किये। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्कृत भारती के प्रांत अध्यक्ष आचार्य डॉ राधिका प्रसाद मिश्र ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे डॉक्टर जितेंद्र जामदार, कैंट क्षेत्र विधायक अशोक रोहणी, महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलगुरु डॉ विजय मेनन एवं संस्कृत भारती के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख शिरीष देव पुजारी । आयोजन समिति के संयोजक सामाजिक कार्यकर्ता जितेंद्र अवस्थी ने सभी मंचासीन अतिथियों का स्वागत किया। उद्घाटन सत्र में श्री देव पुजारी जी ने संस्कृत भाषा पर प्रकाश डालते हुए अपेक्षा व्यक्ति की, कि त्रिसूत्रीय भाषा फार्मूला की नई शिक्षा नीति में संस्कृत को यथोचित सम्मान देते हुए उसका अनुपालन भी किया जाए, जिसका मंचासीन मंत्री महोदय ने समर्थन भी किया।
उद्घाटन सत्र के पूर्व संस्कृत भारती द्वारा आयोजित संस्कृत विज्ञान प्रदर्शनी का उद्घाटन मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्याय मूर्ति माननीय विवेक अग्रवाल द्वारा संपन्न हुआ। माननीय न्यायमूर्ति ने हर्ष व्यक्त करते हुए इस अवसर पर कहा कि संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति एवं हमारी जीवन शैली की प्राण है । इसे संवारने से ही हम अपने वैदिक ज्ञान एवं प्राचीन विज्ञान के ज्ञान को प्राप्त कर सकते हैं। इस अवसर पर महाकौशल प्रांत के संगठन मंत्री डॉ मनोज पांडे कीर्ति कुमार त्रिपाठी एवं दिलीप पांडे द्वारा भी अपने विचार व्यक्त किए गए ।
कार्यक्रम का संचालन डॉ विजय तिवारी ने किया ।
अपराहन सत्र के पश्चात संध्या ग्वारीघाट क्षेत्र में संस्कृत भारती द्वारा एक विशाल शोभा यात्रा निकाली गई जिसमें संस्कृत से संबंधित स्लोगन एवं अन्य श्लोक का उद्घोष किया गया

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