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ये शर्मनाक!…5 किमी तक ढोना पड़ा बेटी का शव:छतरपुर में कंबल में लपेटकर बस में चोरी-छिपे लाए लाश…फिर पैदल चले

छतरपुर में रोंगटे खड़े कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां 4 साल की बच्ची की मौत गरीबी के भंवर में फंस गई। जिला अस्पताल प्रबंधन ने शव वाहन देने से मना किया, तो दादा-दादी को मजबूरी में उस मासूम के शव को कंबल में लपेट कर चोरी छुपे बस से बक्सवाहा ले जाना पड़ा, लेकिन वहां से 5 किलोमीटर दूर पौड़ी गांव जाने के लिए भी किसी ने मदद नहीं की। मजबूर पिता, चाचा और दादा को कंधे बदल-बदल कर शव को पैदल चलकर 5 किमी दूर पैदल गांव तक ले जाना पड़ा। कुछ लोगों ने इसका वीडियो बना लिया। वीडियो सामने आने के बाद मामला गरमा गया है।

दमोह अस्पताल में 3 दिन पहले हुई मासूम राधा (4) की मौत के बाद उसके शव को भी दर-दर की ठोकरें खानी पड़ीं। जिला अस्पताल प्रबंधन ने शव वाहन देने से मना कर दिया। ​​​​​बक्सवाहा नगर पंचायत में गुहार लगाने पहुंचे परिजनों की एक न सुनी गई। एक वीडियो सामने आया तो एसडीएम ने मानवता दिखाई और एक शव वाहन भेजा, लेकिन तब तक परिजन मासूम का शव को लेकर गांव के नजदीक पहुंच चुके थे। आखिरकार चंद कदम की दूरी पर ही सही मासूम और उसके परिजनों को शव वाहन में बिठा कर उनके घर तक छोड़ा गया।

दादा-दादी बस में कंबल में लपेटकर पोती का शव लेकर छतरपुर आए।
दादा-दादी बस में कंबल में लपेटकर पोती का शव लेकर छतरपुर आए।

यह है पूरा घटनाक्रम
4 वर्षीय मासूम राधा के पिता लक्ष्मण अपनी बीमार मासूम को लेकर बक्सवाहा में किसी झोलाछाप के यहां पहुंचे थे। प्राथमिक उपचार के बाद उसने दमोह के एक निजी डॉक्टर के नाम का पर्चा लिख कर परिजनों को दमोह भेज दिया। परिजन उस निजी डॉक्टर के यहां पहुंचे, लेकिन उसने इलाज करने से मना कर दिया। इसके बाद परिजन मासूम को जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। जांच के बाद डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। संदिग्ध मौत के कारण डॉक्टर ने कहा कि मासूम का पीएम होगा। घबराए परिजन मासूम को लेकर अस्पताल के बाहर आ गए। उन्होंने शव वाहन मांगा, जो नहीं मिला। दादा-दादी मासूम का शव लेकर अस्पताल के सामने मानस भवन परिसर में पहुंच गए।

तपती दोपहरी में मृत पोती को कंबल में छिपाकर गांव ले जाते दादा।
तपती दोपहरी में मृत पोती को कंबल में छिपाकर गांव ले जाते दादा।

दादी ने बताया कि नातिन की मौत हो गई है। डॉक्टर पीएम कराना चाहते हैं, इसलिए वो बाहर आ गई। कुछ देर में मासूम का पिता भी आ गया। उनके पास पैसे नहीं थे। लोगों के कहने पर उन्होंने मासूम के शव को कंबल में लपेटा। बस में सवार होकर बक्सवाहा पहुंच गए, लेकिन उन्हें वहां पर भी मदद नहीं मिली। परिजनों को कंधे बदल-बदल कर मासूम का शव लेकर पैदल गांव जाना पड़ा।

लड़की के चाचा और दादा बारी-बारी से शव को कंधे पर रखकर गांव ले जाते हुए।
लड़की के चाचा और दादा बारी-बारी से शव को कंधे पर रखकर गांव ले जाते हुए।

वहीं SDM राहुल सिलाड़िया का कहना है कि मामला संज्ञान में आया है। भविष्य में इस तरह के घटनाक्रम की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए जाएंगे। साथ ही, मामले में दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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