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जबलपुर के पूर्व अभाविप नेता का बेशर्म आचरण, भैया इज बैक के कारण करना पड़ेगा सरेंडर : सुप्रीम कोर्ट ने की थी तलख टिप्पणी, भैया से कहिए एक सप्ताह का इंतजार करें

जबलपुर। छात्रा से रेप के आरोपी ABVP के पूर्व महानगर मंत्री शुभांग गोटिया की जमानत सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दी। CJI एनवी रमन्ना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने गोटिया को एक सप्ताह के अंदर सरेंडर करने का आदेश दिया है। इससे पहले हाईकोर्ट से जमानत मंजूर होने पर शुभांग गोटिया ने नर्मदा जयंती के अवसर पर शहर भर में ‘भैया इज बैक’ बैनर लगाए थे। इसे आधार बनाकर पीड़िता की ओर से याचिका दायर कर जमानत निरस्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई थी।

शुभांग गोटिया पर 23 साल की छात्रा से रेप का आरोप है। उसे नवंबर 2021 में जबलपुर हाईकोर्ट से जमानत मिली थी। सुप्रीम कोर्ट ने शुभांग गोटिया को नोटिस जारी कर पूछा था कि क्यों न जमानत निरस्त कर दी जाए। तब कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी में पूछा था कि ये ‘भैया इज बैक’ बैनर क्यों हैं? क्या आप जश्न मना रहे हैं? CJI एनवी रमन्ना ने आरोपी के वकील से कहा- ये ‘भैया इज बैक क्या है? अपने भैया को कहिए कि एक हफ्ता सावधान रहें। मामले में मप्र सरकार से भी जवाब मांगा था।

आरोपी वकीलों की फौज के साथ सरेंडर करने पहुंचा था।
आरोपी वकीलों की फौज के साथ सरेंडर करने पहुंचा था।

सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई
रेप विक्टिम ने वकील वैभव मनु श्रीवास्तव और शिखा खुराना के जरिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। इसमें आरोपी शुभांग गोटिया को हाईकोर्ट से मिली जमानत को चुनौती दी गई। मामले में CJI एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच में सुनवाई हुई। आरोपी का पोस्टर के साथ स्वागत किए जाने के बारे में अदालत के ध्यान में लाया गया था। इसमें कहा गया था कि ‘भैया वापस आ गया है’ और ‘जानेमन की भूमिका में आपका स्वागत है’।

पोस्टरों पर कैप्शन के साथ मुकुट व दिल के इमोजी का उपयोग
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ ने कहा कि पोस्टरों पर कैप्शन के साथ-साथ मुकुट और दिल के इमोजी है। इनका उपयोग समाज में अभियुक्तों द्वारा संचालित शक्ति का संकेत देता है। ये डर पैदा करता है। शिकायतकर्ता ने कहा कि उसे निष्पक्ष सुनवाई नहीं मिलेगी।

अदालत ने कहा कि ‘सोशल मीडिया पर उनकी की तस्वीरों के साथ टैग किए गए कैप्शन, समाज में रेप के आरोपी और उसके परिवार की शक्ति का शिकायतकर्ता पर हानिकारक प्रभाव को उजागर करते हैं।

आरोपी का कृत्य, शिकायतकर्ता के मन में डर पैदा करने वाला
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘गंभीर अपराध के लिए हिरासत में लिए जाने के दो महीने से भी कम समय में रिहा होने पर आरोपी और उसके समर्थकों के जश्न के मूड को बढ़ाते हैं। कम से कम 10 साल की सजा का प्रावधान है, जो आजीवन भी हो सकता है। इस तरह के बेशर्म आचरण ने शिकायतकर्ता के मन में डर पैदा कर दिया है। उसे लगता है कि निष्पक्ष सुनवाई नहीं होगी। गवाहों को प्रभावित करने की संभावना है। शीर्ष अदालत ने कहा कि नीचे की अदालत द्वारा दी गई जमानत को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट को विचार करना चाहिए कि क्या कोई पर्यवेक्षण की स्थिति उत्पन्न हुई है।

आरोपी को नवंबर 2021 में जबलपुर हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दी।
आरोपी को नवंबर 2021 में जबलपुर हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दी।

ये है मामला
28 साल के शुभांग गोटिया की दोस्ती 23 साल की छात्रा से 2018 में कॉलेज के दौरान हुई थी। यह दोस्ती प्यार में बदल गई। शुभांग उसे कई जगह घुमाने ले गया। एक दिन उसने मांग में सिंदूर भरते हुए कहा कि अब वह उसकी पत्नी है। इसके बाद कई बार फिजिकल रिलेशन बनाए। जब छात्रा ने गोटिया से शादी करने की बात की तो वह मुकर गया।

जबरन कराया अबॉर्शन
छात्रा का ये आरोप भी था कि वह गर्भवती हुई, तो परिवार वालों के साथ मिलकर शुभांग ने उसका जबरन गर्भपात करा दिया। पीड़िता ने जून 2021 में जबलपुर के महिला थाने में शुभांग गोटिया के खिलाफ रेप का मामला दर्ज कराया था। इसके बाद शुभांग फरार हाे गया। पुलिस ने उस पर 5 हजार रुपए का इनाम भी घोषित किया था। पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर सकी। शुभांग ने महिला थाने पहुंचकर सरेंडर कर दिया था। उसे नवंबर 2021 में जबलपुर हाईकोर्ट से जमानत मिल गई।

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