जबलपुरभोपालमध्य प्रदेशराज्य

दर्शन मात्र से भरती है सूनी गोद : दूल्हादेव  दादा महाराज का ऐतिहासिक मंदिर भक्तों का लगता है ताता

नरसिंहपुर यशभारत। जिला मुख्यालय से लगभग 6 किलोमीटर दूर एनएच 26 पर स्थित दूल्हादेव का मंदिर जिसे दादा महाराज के नाम से भी जाना पहचाना जाता है, यहां आने वाले हर श्रद्धालु की मनोकामनाएं पूरी होती है वहीं यहां वैसे तो प्रतिदिन श्रद्धालुओं का मेला लगा रहता है लेकिन शनिवार को दादा महाराज का दिन होने के कारण यहां श्रद्धालुओं की विशेष उपस्थिति रहती है। वहीं इस दिन यहां दिन भर भंडारे का आयोजन किया जाता है जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु भंडारे में पहुंचकर प्रसाद ग्रहण करते है।

जानकारी के अनुसार पूर्व में यहां एक छोटा सा मंदिर था यहां पहुंचकर पूजा-अर्चना करने से श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होने लगी और धीरे-धीरे यहां श्रद्धालुओं का जमघट सा लगने लगा वहीं धीरे-धीरे यहां एक भव्य मंदिर का निर्माण भी हो गया है। बताया जाता है कि जब एनएच 26 की फोर लाईन सड़क का निर्माण हो रहा था और जबलपुर-नरसिंहपुर मार्ग पर ब्रिज का निर्माण होना था तो इस मंदिर को अलग करने की बात कहीं जा रही थी लेकिन दादा दूल्हादेव के मंदिर को कोई यहां से अलग नही करवा पाया और सड़क को ही मोडऩा पड़ा तब से और इस मंदिर में श्रद्धालुओं का आना प्रारंभ हो गया। नरसिंहपुर ही नही वरन आसपास के जिलों से भी श्रद्धालुओं भी यहां माथा टेकने आते है।
भर गई कई महिलाओं की सूनी गोद
दादा महाराज मंदिर में पहुंचकर सच्चे मन से पूजा-अर्चना करने पर कई महिलाओं की सूनी गोद हरी-भरी हो चुकी है। वहीं लम्बे समय से बीमार व्यक्ति भी मात्र दादा महाराज के दर्शन से ठीक हो जाता है, ऐसा माना जाता है कि परिजन अपने मरीज को यहां लाते तो गोद में है लेकिन दादा की असीम कृपा से वह अपने पैरों पर चलकर घर वापस जाता है।
मिलता है मनवांछित वर
वहीं दूल्हादेव दादा के मंदिर में युवतियां भी बड़ी संख्या में पहुंचती है माना जाता है कि दूल्हादेव दादा से मनवांछित वर मांगने पर उनकी मुरादें दादा पूरी करते है, युवतियां जैसा पति चाहती है वैसा ही उनको वर मिलता है। वहीं जिन किसी युवा-युवतियों की शादी में आ रही बाधा भी दादा महाराज के दर्शन करने से दूर हो जाती है।

अन्य जिलों से भी आते है भक्त
नरसिंहपुर जिला ही वरन प्रदेश भर में दादा दूल्हादेव के मंदिर की महिमा फैली हुई है और दूर-दराज सहित अन्य जिलों से भी दादा के भक्त हर शनिवार को दादा के दर्शनार्थ हेतु मंदिर पहुंचते है और पूजा-अर्चना के बाद यहां भंडारे का आयोजन भी कराते है। वहीं दादा महाराज के ट्रस्ट द्वारा भी भंडारे का आयोजन हर शनिवार दिन भर किया जाता है। वहीं जिन श्रद्धालुओं ने दादा से जो मुराद मांगी है वह पूरी हो जाती है तो वह दादा से कहे अनुसार 5 शनिवार यहां भंडारे का आयोजन करता है।
नवविवाहित भी लेने आते है आर्शीवाद
दूल्हादेव दादा महाराज की असीम कृपा के चलते यहां शादी के बाद नवविवाहित जोड़े भी दादा के दर्शन हेतु आते है और दादा के दर्शन व पूजा-अर्चना के बाद अपना दांपत्य जीवन की शुरूआत करते है। माना जाता है कि दादा महाराज के दर्शन उपरांत से ही दांपत्य जीवन में उन्हें कभी कोई कठिनाई नही आती है और हंसी-खुशी वह अपना जीवन व्यतीत करते है। वहीं भक्तों की अपार जन समूह को देखते हुए यहां छोटे-छोटे दुकानदारों द्वारा नरियल, माला सहित पूजन सामग्री की दुकानें लगाई जाती है। दादा महाराज के आर्शीवाद से कई दुकानदारों की मंदिर के आसपास दुकानें लगाने के कारण रोजी-रोटी चल रही है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
WhatsApp Icon Join Yashbharat App
Notifications Powered By Aplu