जरूरतमंदों के लिए अब जेडीए, खाली प्लॉट रखने पर होगी सख्त कार्रवाई:आवास में आवास, व्यापार में व्यापार, जेडीए का सख्त निर्णय
शहर घूमकर पदभार किया ग्रहण विकास की घुटन को दूर कर देगा जेडीए प्राधिकरण की जमीन व्यापार के लिए नहीं
नई कॉलोनियों में होंगी इतनी व्यवस्थित, की सड़कों पर नहीं होंगे गड्ढे
प्राइम टाइम विथ आशीष शुक्ला में इस बार जबलपुर विकास प्राधिकारण के मुख्यकार्यपालन अधिकारी दीपक कुमार वैद्य से विशेष चर्चा हुई। मुख्यकार्यपालन अधिकारी से शहर विकास जुड़े अनेक मसलों पर विस्तार बात हुई।ग्रामीण परिवेश से आने वाले श्री वैद्य ने बताया कि उनकी
कंस्ट्रक्शन और इंजीनियरिंग में रूचि थी परंतु ऐसा हुआ कि मैं प्रशासन में आ गया लेकिन मेरे दिमाग में था कंस्ट्रक्शन। उसी को ध्यान में रखकर शहर विकास कार्य में जुटा हुआ हूं। श्री वैद्य ने कहा कि ऊपर वाले ने मुझे जबलपुर में काम करने का मौका दिया और वास्तव में एक सपने को साकार रूप देने जैसा है।
जबलपुर शहर घुटन महसूस कर रहा है
जबलपुर विकास प्राधिकरण के मुख्यकार्यपालन अधिकारी दीपक वैद्य का कहना है कि जबलपुर घुटन महसूस कर रहा है शहरी आबादी को विस्तार की आवश्यकता है। इसमें डेंसिटी काफी बढ़ चुकी है इसके विकास के लिए जो हमारी योजनाएं थी उसे रफ्तार से नहीं चल पाई जिसके अपेक्षा की गई थी। हमारे पास एक बहुत बड़ी अपॉर्चुनिटी है। हमारे शहर का उत्तरी क्षेत्र जो बायपास लगा हुआ है, वहाँ विकास की अपार संभावनाएं हैं।
शहर विकास प्राधिकरण के बिना संभव नहीं है
एक सवाल के जवाब पर श्री वैद्य ने कहा कि छोटी कॉलोनी हो या बड़ा शहर हो उसके लिए एक सुनियंत्रीयत बसाहट की आवश्यकता होती है, बड़े प्लानिंग की आवश्यकता होती है और जब हम शहर को आने वाले 50 सालों के नजरिया से देखते हैं कि हमारा शहर किस तरफ जाएगा तो उसमें निश्चित रूप से आने वाले भविष्य की जो आवश्यकता है उनको समावेश करना उनका बहुत आवश्यक है। एजुकेशन इंस्टिट्यूट्स हो,रोड का कंस्ट्रक्शन हो या फिर आपका पब्लिक एमेनिटीज हो,पर्यावरण को ध्यान में रखना हो यह सभी चीज अगर समावेशित करना हो तो मुझे लगता है प्राधिकरण से बेहतर कोई दूसरा विकल्प नही हो सकता।
प्राधिकरण पर लोगों का भरोसा है
श्री वैद्य ने कहा कि प्राधिकरण एक शासकीय संस्था है जिस पर लोगों का विश्वास है। विश्वास ऐसा है जैसे आज भी अगर बात करें बीमा की तो साधारण आदमी बोलता है आपकी एल आई सी है ? उसके दिमाग में है बीमा मतलब एलआईसी । जमीन के बारे में शहर में बात की जाती चाहे इंदौर की बात हो भोपाल की बात हो तो एक विश्वास आम आदमी के मन में होता है कि अगर यह प्राधिकरण का प्लॉट है प्राधिकरण की संपत्ति है तो निश्चित रूप से हमें विवाद की स्थिति निर्मित नहीं होगी यह हमारे लिए बहुत बड़ी बात है। और प्राधिकरण हमेशा प्रतिबद्ध है कि अगर प्राधिकरण की किसी प्रोपर्टी में भविष्य में कोई दिक्कत आती उसका समाधान हम निकलते हैं।
कॉलोनियों में शमशान की जगह होना चाहिए
जेडीए सीईओ ने कहा की 5 साल तक निर्माण नहीं होने पर पेनाल्टी लगाने का प्रावधान है। इसको लेकर काम किया जा रहा है। पहली बार व्यक्ति को एनओसी दी जा रही है परंतु दोबारा वही व्यक्ति भवन निर्माण के लिए प्लाट लेता है और उसमें निर्माण नहीं करता है तो उसे एनओसी नहीं मिलेगी। प्राधिकरण को कमाई का जरिया नहीं बनाया जा सकता है, क्योंकि प्राधिकरण का मुख्य उददेश्य यही है कि शहर का विकास हो हर व्यक्ति के पास घर हो, यदि प्राधिकरण से प्लाट खरीदा है तो निर्माण करे। हमारे प्लाट खरीदी बिक्री और व्यवसाय का माध्यम नही बन सकते।
जेडीए सीईओ ने कॉलोनियों में शमशाम घाट के एक सवाल पर कहा कि मुझे लग रहा है इसमें अब मैं इसमें पहल कर सकता हूँ। शहर में इसके लिए कहीं न कहीं स्थान होना चाहिए ।
प्राधिकरण की जमीन पर छोटी दुकानें तक मान्य है जब उससे परेशानी न हो
जेडीए सीईओ ने कहा किं प्लाटों का वर्गीकरण होता है कुछ प्लाट आवासी और कुछ व्यवसायी होते हैं। वो पहले से टीनीसीपी से एपू्रव होते हैं और उस हम नगर निगम का सौंप देते हैं फिर नगर निगम जो नक्शा पास होता है या जो भी अनुमति मिलती है वो उस प्लाट के उपयोग होना चाहिए। कभी-कभी अनुमति के अनुरूप निर्माण करते हैं परंतु कालांतर में उसका उपयोग नहीं होता है।उसमें अभी कुछ मास्टर प्लान में फ्लेक्सिबिलिटी आई है और उस फ्लेक्सिबिलिटी में मास्टर प्लान में कहीं-कहीं कुछ एरिया को उन्होंने कमर्शियल परमीट किया है, तो ऐसे स्थालों पर हम पेनाल्टी वसूल करते हैं । प्राधिकरण के प्लाट मध्यम वर्गों के लिए है और यदि कोई व्यक्ति 2000 स्केवयर फुट के प्लाट में पूरा घर बना के सामने जैसे किसी ने चोटी दुकान लगा ली तो मुझे लगता है दैनिक आवश्यकताओ के लिए जब तक कि उससे लोगों को परेशानी ना हो परमिट कर सकते है।अगर पूरा परिवर्तन कर लिया हो और लोगो को परेशानी हो रही है तो निश्चित रूप से अवैध है ये और उसके ऊपर कारवाई भी की जाती है। नगनिगम से भी करते हैं हम भी कोशिस करते हैं उसके ऊपर कारवाई हो
हमने लोगो को इसके लिये सेंसिटाइज किया है
जेडीए सीईओ ने कहा कि प्राधिकरण और हाॉसिंग बोर्ड दोनों एजेंसिया है इनका उद्देश मध्यम् वर्ग के लोगों को आवास के सुविधा उपलब्द कराना है लेकिन प्रक्रिया में कभी-कभी ऐसा भी हो जाता है कि आवशक्ता नहीं हो फिर भी वो व्यक्ति प्लाट लेकर रखा है। क्योंकि पर्चेसिंग में किसे के उपर रोक नहीं है संपत्ति का अधिकार सबको ले सकते हैं तो इन प्रोविजन्स के साथ हम उनके उपर नियत्रण लगाते हैं और कोशिस कर रहे हैं कि जैसे मैंने बताया 5 साल तक मकान नहीं बनाने वाले लोगों को नोटिज दिया है तो लोगों को जो यह होता था जो पता नहीं था कि साब हमारी प्रापर्टी रखी है इनका क्या होगा नहीं होगा उनको पता नहीं था लेकिन अब उनको यह पता चलने लग गया है कि अगर हम यहाँ कुछ नहीं करेंगे तो कार्रवाई जरूर होगी तो एक प्रकार से हमने संसिटाइजेशन लोगों में पैदा किया है।
जेडीए सीईओ ने कहा कि हमारी 64 नमबर और 65 नमबर दो स्कीम हमारी विजय नगर से बिल्कुल लगकर है ये वास्तव में हमारी 10-12 साल पुरानी स्कीम है किसी कारण काम नहीं हो पाया था पर जल्द ही कटनी बायपास से इस स्कीम के तहत जोड़ देंगे।
65 में ग्रुप हाउसिंग और 64 में उद्योग एरिया है उसमें भी काम कर रहे हैं।
एक अच्छा और संुदर बने यही प्राथमिकता
जेडीए सीईओ ने कहा कि एक अच्छा और संुदर शहर बने इसके लिए हम कार्य कर रहे हैं। स्कीम नंबर 64 और 65 लगातार काम किया जा रहा है। जबलपुर विकास प्राधिकरण एक काम और करने जा रहा है जिसमंें प्लाटस और उनके घर फ्री होल्ड कर रहे हैं क्यांेकि व्यक्ति को कार्यालय के चक्कर न काटने पड़े। साथ ही नई स्कीम लैंडपुलिंग के तहत किसान की जो जमीन ली जाएगी वह उनकी सहमति के आधार पर लेंगे इसके साथ ही 50 प्रतिशत विकसित भूमि का फायदा किसान को दिया जाएगा। जैसे मान लिया जाए किसी किसान की 5 एकड़ जमीन जेडीए ने ली तो उसमें आधे हिस्से में विकास करके किसान को दी जाएगी फिर किसान अपने अनुसार उस जमीन का उपयोग कर सकता है व्यापार कर सकता है।ज्यादा से ज्यादाा सहयोग मिल पाए हम शहर को जल्द गति दे पाए।