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२०२४ -अनसुलझे सामूहिक सुसाइडल केस जो अभी तक नहीं सुलझे…जिंदगी से हारकर जिनकी कहानियां रह गई अधूरी, वहीं तिलवारा में युवती ने की आत्महत्या

जबलपुर, यशभारत। आत्महत्या का किसी व्यक्ति की संपन्नता या विपन्नता से कोई संबंध नहीं है। इन दिनों तो हर आयु वर्ग में भी आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं। आए दिन आप ऐसी खबरें पढ़ते-देखते होंगे कि किसी परेशानी से आजिज आकर परिवार के सदस्यों ने सामूहिक रूप से आत्महत्या कर ली या फिर किसी व्यक्ति विशेष ने आत्महत्या की या फिर उसने इसका प्रयास किया।दरअसल शहर में हुए कई सामूहिक सुसाइड की गुत्थी अनसुलझी हैं। जब ऐसे मामले होते हैं तो पुलिस मर्ग कायम तो करती हैं इसके साथ ही लंबी जांच पड़ताल भी करती हैं, परंतु ये सामूहिक सुसाइड किन परिस्थितियों में किए गये इसके पीछे का कारण समेत अन्य अनसुलझे सवालों से पर्दा नहीं उठ पाता हैं

यह बन रहे सुसाइड की वजह-वैसे तो दुनिया में आने के बाद हर किसी को एक न एक दिन मौत आनी हैं, मौत जब भी आती है तो अपने साथ कोई बहाना भी जरूर लाती हैं परंतु हर कोई जिंदगी और मौत के बीच फासला चाहता हैं, लेकिन कुछ लोग मजबूरी में मौत को भी गले लगा लेते है, ऐसे कदम जहां पूरे परिवार को उजाड़ कर रख देता हैं। इन आत्मघाती कदम उठाने के पीछे  धोखा, आक्रोश, कर्ज, तनाव केे साथ परिवार में आपसी मनमुटाव और छोटी-छोटी बातों पर जान देने के लिए लोग मौत को गले लगाने आमदा है।

पुलिस संजीवनी, योजना बंद-जीवन की रक्षा करने पुलिस संजीवनी सन् 2014 में जबलपुर एसपी रहे हरिनारायण मिश्र द्वारा पुलिस संजीवनी योजना शुरू की थी जिसका मकदस था समाज में बढ़ रही आत्महत्या के ग्राफ पर कमी लाना और लोगों को जागरूक करने के साथ तत्काल ऐसे लोगों को सहायता उपलब्ध कराने के साथ विशेषज्ञों द्वारा परामर्श उपलब्ध कराना था। आवश्यकता पडऩे पर तत्काल मौके पर पहुंचकर जीवन की रक्षा करना और आत्महत्या करने की सोच रखने वालों को सही रास्ता दिखाना उद्देश्य था इस योजना के तहत हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए थे उस समय 24 घंटे लोगों की सेवा में टीमें लगी हुई थी इस दौरान कईयों की जान भी बचाई गई थी लेकिन बल का रोना होने के चलते इस योजना को बंद कर दिया गया था।

लंबी जांच-पड़ताल लेकिन-पुलिस ऐसे मामलों में मर्ग कायम करती है लंबी जांच पड़़ताल भी की जाती है। परिजनों, रिश्तेदारों, पड़ोसियों समेत दोस्तों अन्य से पूछताछ करते हुए बयान दर्ज करती है। मृतकों के मोबाइलों को जब्त किया जाता है जिसकी भी जांच होती है। परंतु अधिकतर मामलों में पुलिस के हाथ खाली होते है और पुलिस इसके पीछे के कारण तक नहीं पहुंच पाती हैं।

सुसाइड नोट से भी नहीं उठता पर्दा- अधिकतर मामले तो ऐसे होते है जिसमें मृतक सुसाइड नोट नहीं लिखते है परंतु कुछ ऐसे मामले भी होते है जिसमें सुसाइड नोट लिखा जाता है पुलिस भी इन्हें जब्त करती है परंतु जब इन्हें पढ़ा जाता है तो मौत के कारण का रहस्य स्पष्ट नहीं होता है या पुलिस आगे की कार्यवाही से बचने के लिए अधिकांश मामलों में इन सुसाइड नोट से पर्दा नहीं उठाती हैं।

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इन सामूहिक आत्महत्या ने झकझोरा- 01……5 जून 2024 को भेड़ाघाट क्षेत्रांतर्गत ग्राम सिहोदा निवासी नरेंद्र चड़ार 35 वर्ष जो रेलवे में ट्रैकमैन था अपनी पत्नी रीना 32 वर्ष पुत्री कुमारी शानवी 6 वर्ष व कसक 1 वर्ष के साथ भेड़ाघाट-भिटोनी रेलवे ट्रैक की अपलाइन पर ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर ली थी।
02…….28 जून को बम्हौरा हिनौता निवासी धर्मेन्द्र पटेल (40) ने पत्नी संध्या (35) के साथ भेड़ाघाट के धुआंधार से नर्मदा में छलांग लगाकर जान दी थी। दंपत्ति के दो बच्चेे थे।
03…….25 जून को  रामपुर छापर में बर्मन परिवार ने सामूहिक आत्महत्या की थी। रामपुर छापर निवासी रविशंकर बर्मन 40 साल, पत्नी पूनम बर्मन और दस वर्षीय आर्यन बर्मन घर के कमरे में रस्सी से लटके मिले थे।
04…….14  फरवरी को  प्रेम विवाह के आठ साल बाद  ग्राम पिपरियाकलां निवासी देवेन्द्र सिंह लोधी उर्फ मुलू 30 वर्ष ने  संध्या सिंह 26 वर्ष ने वैलेंटाइन.डे के दिन आत्महत्या कर ली थी।  मामला  बेलखेड़ा थाने का था।  दंपत्ति के दो बेटियां थी।

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आत्महत्या का ग्राफ कम हो इसके लिए संजीवनी योजना जो की 2014 में चलाई गई थी उसे पुन: प्रारंभ करने की और कदम बढ़ाया जाएगा ओर कोशिश की जाएगी की आत्महत्या का ग्राफ कम हो और लोग पुलिस काउंसलिंग के बाद इस प्रकार का कदम ना उठाए।
संपत उपाध्याय, एसपी जबलपुर

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