16 वर्ष की उम्र में हुआ मेजर हार्ट अटैक : बड़ेरिया मेट्रो प्राइम हॉस्पिटल में हार्ट मे 2 डिवाइस लगाकर बचाई बच्ची की जान…देखें पूरा वीडियो……
जबलपुर, यशभारत। एक 16 वर्षीय बच्ची को छत से गिरने की वजह से मेजर हार्ट अटैक हो गया और उस हार्ट अटैक की वजह से हृदय की धमनी फ ट गई जिससे हार्ट में तीन सुराग (छेद) हो गए । हृदय में छेद होने की वजह से बच्ची को जान जाने का खतरा वा सांस फू लने की समस्या बन गई। इसलिए इन छिद्रों को बंद करना आवश्यक था । हार्ट अटैक से होने वाले हृदय के छिद्रों को सामान्य तौर पर ओपन हार्ट सर्जरी(टाके चीरे का ऑपरेशन) के द्वारा बंद किया जाता है । लेकिन इस बच्ची को जिस हिस्से में छेद थे उसमें ओपन हार्ट सर्जरी करना अत्यंत जटिल था। क्योंकि वह हृदय के पिछले हिस्से में थे। ओपन हार्ट सर्जरी से छिद्र बंद करने में अत्यधिक खतरा हो सकता था ।
परिजनों ने बच्ची को निजी अस्पताल सहित सरकारी अस्पताल में दिखाने के बाद बच्ची की बीमारी का समाधान नही हों पा रहा था। जिसके बाद परिजन बच्ची को बड़ेरिया मेट्रो प्राइम के मेट्रो हार्ट सेंटर में लेकर आए, जहां डॉक्टर के. एल. उमामाहेश्वर ने बच्ची की इकोकार्डियोग्राफी वा एंजियोग्राफी की जांच की।
मेट्रो हार्ट के डॉक्टरों की टीम ने लिया निर्णय
मेट्रो हार्ट की टीम जिसमें पीडियाट्रिक इंटरवेंशनल कार्डिलॉजिस्ट डॉक्टर के एल उमामहेश्वर और कार्डियक सर्जन डॉक्टर सुधीप चौधरी एवं एनएसथीसियोलॉजिस्ट डॉक्टर सुनील जैन द्वारा निर्णय लिया गया कि इन छिद्रों को बिना टांके चीरे के छतरी नुमा डिवाइस से पैरो के रास्ते से हार्ट तक पहुंच कर बंद किया जावेगा । क्योंकि 3 छेद थे इसलिए तीनों छिद्रों को बिना टांके चीरे के दो छतरी लगाकर बिना चीर फ ाड़ के बंद कर दिया गया ।
सर्जरी को दिया गया अनोखी सर्जरी का नाम
इसे अनोखी सर्जरी इसलिए कहा गया क्योंकि आमतौर पर जो बच्चों में जन्मजात छिद्र होते हैं, वह एक ही होता है जिसमें एक डिवाइस लगाकर उसे बंद किया जाता है ,परंतु इस मरीज को हार्ट अटैक की वजह से तीन छेद हो गए थे ,जो कि दो डिवाइस लगाकर बंद किया गया । यह मध्य भारत में अपने तरीके का प्रथम ऑपरेशन है, जिसमें जिसमें एक ही साथ एक बच्ची के हार्ट में दो डिवाइस लगाई गईं। ऑपरेशन के बाद बच्ची पूर्णता स्वस्थ है और स्वास फू लने की समस्या से भी निजात पा चुकी है। 16 वर्ष की उम्र में धमनी फ टने के बाद मरीज के जीवन को बचाना अत्याधिक कठिन होता है परंतु इस बच्ची की जान बचा ली गई। इस तरह की बीमारी में लाखों में से कोई एक ही मरीज का जीवन बच पाता हैं।