जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

हाई कोर्ट ने अधिवक्ता कल्याण निधि मामले में अंतिरिम राहत से किया इनकार

 जबलपुर । हाई कोर्ट ने स्टेट बार काउंसिल आफ मध्य प्रदेश द्वारा वकीलों से नियम विरुद्ध अधिवक्ता कल्याण निधि वसूल किए जाने के मामले में अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अंतरिम रोक लगाने का आशय है, अंतिम निर्णय करना। प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की युगलपीठ ने हाई कोर्ट एडवोकेट्स बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल खरे व हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय वर्मा को मामले में असिस्ट करने कहा है। कोर्ट ने रजिस्ट्री को उक्त अध्यक्षों के नाम जोड़ने व दोनों को याचिका की प्रति देने के निर्देश दिए। मामले पर अगली सुनवाई 20 मार्च को होगी।

पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि अधिवक्ता कल्याण निधि की राशि बार काउंसिल के पास रहती है, इसलिए उनका पक्ष सुनना जरूरी है। स्टेट बार को जवाब देने कहा था।

ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन की अोर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर व विनायक प्रसाद शाह ने दलील दी कि हाई कोर्ट की मुख्यपीठ जबलपुर व खंडपीठ इंदौर-ग्वालियर में अलग-अलग नियम हैं। वकालतनामा में एक से अधिक पक्षकारों के हस्ताक्षर होने पर अधिवक्ताओं से मल्टीपल फीस वसूली भी नियम विरुद्ध है। दरअसल, मध्य प्रदेश अधिवक्ता कल्याण निधि नियम स्पष्ट रूप से प्रविधान है कि एक वकालतनामा पर शासन द्वारा निर्धारित 100 रुपये का टिकट चस्पा होगा। हाई कोर्ट नियम में अधिवक्ता कल्याण निधि के टिकट से संबंधित कोई नियम मौजूद नहीं है। दलील दी गई कि यदि 226 के प्रावधान के तहत समान रिलीफ के लिए सामूहिक रूप से एक याचिका दाखिल की जाती है तो हाई कोर्ट की रजिस्ट्री द्वारा नियम विरुद्ध उक्त प्रकरणों को डिफाल्ट में लगाकर मल्टीपल अधिवक्ता कल्याण निधि के टिकट चस्पा कराए जाते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
WhatsApp Icon Join Yashbharat App