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जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

हाईकोर्ट का फैसला:सरकारी वकीलों की नियुक्ति के मामले में हाईकोर्ट ने आरक्षण देने से किया इंकार

जबलपुर, यशभारत। महाधिवक्ता कार्यालय सरकार का विभाग नहीं है। यह जानकारी रिकार्ड पर लेकर हाई कोर्ट ने अपनी महत्वपूर्ण टिप्पणी में साफ किया कि शासकीय अधिवक्ता के पदों पर होने वाली नियुक्तियां संविदा आधारित होती हैं, इसलिए राज्य शासन को आरक्षण लागू करने बाध्य या निर्देशित नहीं किया जा सकता। इसी के साथ प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू व न्यायमूतिज़् अरूण कुमार शमाज़् की युगलपीठ ने ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन की अपील निरस्त कर दी। इस मामले में विगत 23 जून को दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के साथ ही आदेश सुरक्षित कर लिया गया था।

राज्य शासन की ओर से उप महाधिवक्ता विवेक शर्मा ने अपील में की गई मांग का विरोध किया। जबकि अपीलकताज़् ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता रामेेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह व उदय कुमार साहू ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि प्रदेश की महाधिवक्ता कार्यालय, जिला अदालतों, हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट व विभिन्न अधिकरणों में शासन की ओर से नियुक्त शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्तियों में आरक्षण अधिनियम 1994 के प्रविधानों के तहत आरक्षण लागू करने की मांग करते हुए याचिका दायर की गई थी। हाई कोटज़् की एकलपीठ ने यह करते हुए याचिका निरस्त कर दी थी कि कोटज़् सरकार को आरक्षण नियम लागू करने का निदेज़्श नहीं दे सकती। इसी आदेश के विरूद्ध रिट अपील दायर की गई।

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