सांकल तिराहे का नाम आचार्य विद्यासागर जी के नाम से होगा- नगर पालिका अध्यक्ष

नरसिंहपुर यशभारत। आत्मकल्याणक ओर लोककल्याण का मार्ग प्रशस्त करने वाले, महामानव आचार्य विद्यासागर महाराज जी के समाधिस्थ होने के उपरांत अंतर्राष्टीय सामूहिक गुरू विनयांजलि कार्यक्रम कंदेली स्थित जैन मंदिर के सामने गुदरी बाजार में मुनि 108 निर्णय सागर जी एवं छुल्लक सुवीर सागर जी के सानिध्य में आयोजित किया गया।
उक्त अवसर पर विभिन्न वर्गो ओर सम्प्रदायों के लोगों ने उपस्थित होकर आचार्य विद्यासागर महाराज का पुण्य स्मरण कर विनयांजलि अर्पित कीएओर अपने भावों को प्रगट कर अपने को धन्य किया। दर्शन ओर सानिध्य की अनुभूतियों के अनुपम क्षणों को सांझा किया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में मंगलाचारण, मुनिआराधना एवं दीपप्रज्वलन किया गया। उपस्थित वक्ता अपने उदगार में अपनी भावुकता के प्रवाह को नहीं रोक पाये। इस अवसर पर अजय तुलसी ने कहा कि आचार्य श्री हमें छोड़कर नहीं गयें है, वे आज भी कण-कण में विद्यमान में है। इसी क्रम में एड. मुकेश शर्मा ने आचार्य श्री को महामानव बताते हुये उनका पुण्य स्मरण किया। कुसुम दीदी ने उनके आचरण में साधना, त्याग ओर संयम की पराष्काठा थी उन्होंने मानव सेवा के लिये अखंड ब्रहचर्य का पालन किया। सुनील कोठारी ने कहा कि आचार्य श्री बिरले संत थे उनके स्मरण मात्र से ही सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न हो जाती है। पूर्व विधायक सुनील जायसवाल ने कहा कि आचार्य श्री के विचारों ओर धार्मिक आचरण को हमें अंगीकार करना है। तीस बर्ष पूर्व आचार्य श्री की प्रेरणा से शाकाहार का संकल्प लिया था।
सांसद कैलाश सोनी ने आचार्य श्री के राष्ट्र ओर समाज कल्याण में किये गये प्रयासों की चर्चा करते हुये कहा कि उन्होंने आत्मबोध के साथ लोकबोध का मार्ग प्रशस्त किया है उनके त्याग, संयम ओर सद आचरण की गाथा अनुकरणीय है गौसेवा के लिये गौशाला, आर्युवेदिक औषधालय, विद्यालयों का निर्माण मील का पत्थर है। श्रीमति स्वातिचांदोरकर ने संलेखना को परिभाषित करते हुए आचार्य श्री को पर्याय बताया। मूक माटी महाकाव्य की चर्चा।
नगर पालिका अध्यक्ष नीरज महाराज ने कहा कि उनके प्रति सच्ची विनयांजलि तब होगी जब हम उनके धार्मिक आचरण को अपने जीवन में उतारे, उन्होंने बताया कि सांकल तिराहा पूज्य आचार्य विद्यासागर महाराज जी के नाम पर होगा, समाज के आग्रह पर कीर्ति स्तंभ बनाये जाने पर सभा में अपनी सहमति दी। श्रीमति निशा सोनी ने कहा कि आचार्य श्री के दिव्य ज्ञान ओर देशना से हमें सद कार्यो की प्रेरणा मिली है।
पारितोष दुबे ने कहा कि आचार्य श्री हमें आत्मकल्याण ओर मानव सेवा का मार्ग दिखा गयें है। श्रीमति निकी जैन ने कहा कि आचार्य श्री संयम के पर्याय रहें है अहिंसा, राष्ट्रप्रेम, करूणा, जीवदया, सांस्कृतिक चेतना का भाव हम लोगों में जाग्रृत करके गयें है। पूर्व विधायक जालम सिंह पटैल ने कहा कि उन्हें आचार्य श्री के दर्शन ओर सानिध्य का अनेंकों बार सौभाग्य मिला। उनका व्यक्तित्व ओर कृतित्व समाज के लिये प्रेरणा स्तोत्र है। अन्ना धौरेलिया ने कहा कि आचार्य श्री ने हम सबके कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया है आचार्य श्री जैसे संत बार बार इस धरा पर जन्म लेते रहे। संजय तिवारी ने आचार्य श्री से उनके दर्शन के सौभाग्य का संस्मरण बताया।
डाण्सुधीर सिंघई ने कहा जीव को मनुष्य पर्याय मिलना उस पर मनुष्यता का होना सोने पे सोहागा होता है आचार्य श्री अपनी मनुष्य पर्याय को सार्थक कर गयें है। उनका सभी के प्रति वात्सल्य भाव ओर आर्शीवाद तथा मागदर्शन लोगों को उनका स्मरण कराता रहेगा। एड विनय जैन कहा कि आचार्य श्री के आध्यात्मिक जगत में उनके पुरूषार्थ को अग्रणी स्थान मिला है। आचार्य श्री सभी वर्ग ओर समाजों में समान रूप से आदर ओर सम्मान पाते थे उनके विचार ओर सदआचरण सर्वकालिक रहे हैं। विनयांजलि सभा के अंत में मुनि 108 निर्णयसागर महाराज जी ने कहा कि इस धरा पर तीर्थंकर, साधु-संतों ओर मुनियों ने जन्म लिया है ओर लेते रहेंगे, पर पूज्य आचार्य विद्यासागर महाराज जी जैसे संत ओर गुरू होना गौरव की बात है महाराजश्री ने आचार्य श्री की विनयता ओर सरलता की चर्चा करते हुए आचार्य श्री के आचार्य ज्ञान सागर महाराज के संलेखनामरण के संबंध में आचार्य विद्यासागर महाराज जी की सेवा ओर विनयता का उल्ल्ेख किया।
उन्होंने आचार्य कुंद कुंदाचार्य के ज्ञान के मर्म को बताया कि उन्होंने जिन मुद्राओं के चार उपकरणों के संबंध में रेखांकित किया। हम सब का सौभाग्य है कि हम लोगों ने आचार्य श्री के समय पर जन्म लिया उनके दर्शनएसानिध्य ओर सदआचारणों के साथ मानव जाति के लिये किये गये कार्यो को देखने ओर करने की भावना हमने भायी है।
उनके बताये रास्तों पर चल कर जीव अपना आत्म ओर लोक कल्याग कर सकता है व्यवहार जीवन में उनके समाज उध्दार के कार्यो को आगे बढ़ाये रखना है। उन्होंने बताया कि दिगम्बर साधु, सनातन जैन परम्परा के अलावा अन्य पंथों में भी होते हैं कुभ्भ के मेलों में अन्य पंथों के दिगम्बर साधुओं के दर्शन मिलते हैं। दिगम्बरता शरीर के कपड़े उतारने से नहीं आती है वरन अपने अंदर के आवरण को उतारने से दिगम्बरता आती । साधु-संत अपनी संस्कृति ओर देश की आन-बान शान होते हैं। महाराज श्री ने आचार्य श्री के साथ अपने सानिध्य ओर दर्शन व गुरू भक्ति के साथ अपने सौभाग्य को विवेचित करते हुए कहा तपस्वी भाव जब आचरण की पराकाष्ठा को पार करता है तब जीव की इस भव की यात्रा को आत्मकल्याण का मार्ग मिलता है।
कार्यक्रम का संचालन कर रहे मनीष जैन ने आचार्य श्री के जीवन प्रसंगों ओर उनके तपोबल की मीमांसा करते हुए समाज में किये जा कार्यो का विवरण दिया। आभार ट्रस्ट कमेटी के अध्यक्ष प्रदीप जैन ने किया।
विनयांजलि कार्यक्रम में सर्वसमाज से डॉ. अंनत दुबे, महंतप्रीतमपुरी, डॉ. संजीव चांदोरकर, विजय नेमा, राजेंद्र नेमा, सतीश नेमा, आशीष नेमा, लालसाहब जाट, चंद्रशेेखर साहू, सुदर्शन वैद्य, अमितेंद्र नारोलिया, सुमित झिरा, इंजी. रूद्रेश तिवारी, रमाकांत दीक्षित, सुशांत पुरोहित, संतोष राय, विष्णु पटैल, एस.के. चर्तुवेदी, निर्मल वासवानी, संजय चौबे, मुकेश नेमा, साकेत नगरिया, जिंदे सरदार, विजित सलूजा, सुरेश राय, कुलदीप सलूजा, विजय लूनावत, बन्ने खां, इरफान खान, सफीक खान, संतोष लूनावत, राकेश लूनावत शशिकांत मिश्रा, मनोहर हिंगने, संदीप राजपूत, शिव कुमार त्रिवेदी अन्य लोगों के साथ मातृशक्ति बड़ी संख्या में सम्मिलित होकर धर्म लाभ अर्जित किया।