सरकारी अस्पताल में इलाज करवाने का कानून बनाने के निवेदन पर रोकी गई वेतनवृद्धि बहाल करने मेडिकल प्रोफेसर ने लिखा डीन को पत्र

सागर यश भारत (संभागीय ब्यूरो)/ सरकार के मेडिकल कॉलेज में सेवाएं देने वाले प्रोफेसर को सरकारी अस्पतालों में इलाज की अनिवार्यता का कानून बनाने का मशविरा देना इतना महंगा पड़ा कि प्रशासन ने उनकी एक वेतनवृद्धी ही रोक दी। जिसे बहाल करने के लिए प्रोफेसर ने मेडिकल कॉलेज के डीन को पत्र लिखा है।
मामला सागर के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज का है। जहां एनेस्थीसिया विभाग के प्रोफेसर डॉ सर्वेश जैन ने पिछले समय सरकारी अस्पतालों की उपयोगिता बढ़ाने तथा उनकी दुर्दशा को ठीक करने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर सभी नेताओ और सरकारी अफसरों का इलाज सरकारी अस्पताल में अनिवार्य रूप से करवाने का कानून बनाने के निवेदन किया था।
उनका यह पत्र चर्चा में आने के बाद मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने कमिश्नर के माध्यम से असंचयी प्रभाव से एक वेतन वृद्धि रोकने की त्वरित कार्यवाही कर दी थी। उक्त कार्यवाही के खिलाफ प्रो. सर्वेश जैन ने बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ रमेश पांडे के समक्ष अपील प्रस्तुत करते हुए कहा कि उनके विरुद्ध पूर्व में की गई कार्यवाही विधि और न्याय संगत नहीं है।
उक्त कार्यवाही के पहले उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका भी नहीं दिया गया है। अतः प्रबंधन द्वारा की गई उक्त कार्रवाई को निरस्त करते हुए रोकी गई वेतन वृद्धि बहाल की जाए।