यशभारत विशेष : लालटेन के उजाले में हुई गोलबाजार रामलीला की शुरुआत, 1884 में लल्लू भैया ने शुरू कराया मंचन
कटनी, यशभारत। गोलबाजार रामलीला कमेटी की स्थापना आजादी के पहले साल 1884 में की गई थी। उस समय लालटेन वाली बत्ती जलाकर 25 दिवसीय रामलीला का मंचन किया जाता था। स्व रामदास अग्रवाल लल्लू भैया ने कटनी में रामलीला के मंचन की शुरुआत कराई थी। उस समय जिस स्टेज पर रामलीला का मंचन होता था, आज भी उसी मंच पर पिछले 140 सालों से रामलीला का मंचन सफलता पूर्वक होता आ रहा है। स्व रामदास अग्रवाल लल्लू भैया के बाद मेवालाल अग्रवाल, छककी लाल रावत, बाबू टी पी सिंह, मिश्रीलाल जायसवाल, लक्ष्मीचंद बाझल, अनंतराम चौदहा, ग्यारसी लाल कनकने, भुक्कू साहू, राजकुमार पुरवार ने रामलीला के आयोजन का दायित्व बखूबी संभाला। इसके बाद लल्लू भैया ने स्वास्थ्य कारणों के चलते रामलीला के आयोजन का दायित्व मिश्रीलाल जायसवाल, बद्रीप्रसाद अग्रवाल, संतोष अग्रवाल को सौंप दिया।
1960 तक रामलीला मैदान में बस स्टैंड का भी संचालन होता था।
गोलबाजार रामलीला कमेटी के सचिव भरत अग्रवाल ने बताया कि स्वर्गीय रामदास अग्रवाल लल्लू भैया ने कटनी में रामलीला के आयोजन के साथ ही अपने घर पर दुर्गा प्रतिमा स्थापित करते हुए एक नई परम्परा की शुरुआत की। लल्लू भैया ने दुर्गा प्रतिमा स्थापित करने के साथ ही शहर की अन्य दुर्गा उत्सव समितियों को भी दुर्गा प्रतिमा स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया। यह भी बताया गया है कि लल्लू भैया द्वारा समितियों को हर स्तर पर मदद भी की जाती थी। इसी के बाद से ही कटनी में दुर्गा प्रतिमाओं की स्थापना का सिलसिला शुरू हुआ, जिसने आज भव्य और विशाल रूप ले लिया है। कटनी के नवरात्रि और दशहरा पर्व की धूम आसपास के जिलों के साथ ही समूचे मध्यप्रदेश में है। कई जिलों से लोग कटनी का दशहरा देखने के लिए आते हैं।
शीशमहल देखने दूर-दूरे से आते थे लोग
गोलबाजार रामलीला मैदान में भगवान श्रीराम के जीवन चरित्र पर आधारित रामलीला के सफल मंचन के साथ ही रामायण के कुछ प्रसंगों का इतने सुंदर तरीके से मंचन किया जाता था कि श्रद्धालु इसे देखने दूर-दूर से आते थे। बताया जाता है कि सीताराम रैकवार के कुशल निर्देशन में गोलबाजार रामलीला मैदान में धनुष यज्ञ एवं सीता स्वयंवर के लिए शीशमहल का निर्माण किया जाता था।
राम विवाह पर पूरे शहर में निकलती थी बारात
बताया जाता है कि रामलीला मैदान में राम विवाह के प्रसंग की तैयारियां कई दिन पहले से की जाती थी। कमेटी के पदाधिकारी और सदस्य इसे भव्य रूप देने का प्रयास करते थे। उस समय राम विवाह प्रसंग के लिए लिए राम जी की बारात निकाली जाती थी, जो रामलीला मैदान से शुरू होकर शहर के प्रमुख मार्गों से होते हुए रामलीला मैदान में पहुंचकर समाप्त होती थी। इसके बाद भगवान श्रीराम और माता सीता का विवाह धूमधाम से आयोजित किया जाता था।
गोलबाजार के मंच पर दुर्गा उत्सव समितियों को दिये जाते थे पुरस्कार
बताया जाता है कि स्वर्गीय लल्लू भैया द्वारा शहर में शुरू की गई दुर्गा प्रतिमा स्थापित करने की परंपरा ने साल दर साल बड़ा रूप ले लिया था। समितियों के उत्साह को देखते हुए उनका उत्साहवर्धन करने के लिए स्वर्गीय रामदास अग्रवाल लल्लू भैया द्वारा समितियों को पुरस्कृत किया जाने लगा। रामलीला के सफल आयोजन के बाद गोलबाजार रामलीला मैदान के मंच पर समितियों को उत्कृष्ट झांकी के लिए पुरस्कृत किया जाने लगा। जिससे समितियों का उत्साह बढ़ा और समितियों ने इसके बाद एक से एक बढक़र झांकी बनाई। जिससे मध्यप्रदेश में कटनी की अलग पहचान बनी।
साउंड बॉक्स लगाकर किया जाता था दशहरे के संचालन
जानकारी के मुताबिक विजयादशमी के दिन पूरे शहर में साउंड बॉक्स लगाए जाते थे और स्वर्गीय रामदास अग्रवाल लल्लू भैया द्वारा माइक से जुलूस का संचालन किया जाता था। यह परंपरा कई सालों तक चलती रही लेकिन अब न तो पूरे शहर में साउंड बॉक्स लगाए जाते हैं और न ही माइक से संचालन किया है।