मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी में भ्रष्टाचार,कुलाधिपति को भेजा 13 सूत्रीय ज्ञापन
जबलपुर, यशभारत। मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी में भ्रष्टाचार हावी है जिसकी वजह से छात्रों का भविष्य अंधकार में है। यह आरोप मप्र छात्र संगठन के अभिषेक पांडे ने कुलाधिपति को ज्ञापन भेजते हुए लगाए हैं। ज्ञापन में कुलाधिपति को बताया गया कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर (एम. पी. मेडिकल यूनिवर्सिटी, जबलपुर) स्थापना के बाद से ही भ्रष्टाचार और अनियमितताओं में डूबी हुई है। यूनिवर्सिटी वर्तमान सत्रों की परीक्षा कराना तो दूर की बात है अपितु पिछले दो-तीन सत्रों की परीक्षायें कराने में असफल रही है। प्रत्येक यूनिवर्सिटी मेें किसी भी सत्र में प्रवेशित सत्र के लिये नामांकन करने हेतु अध्यादेश के अनुसार अधिसूचना जारी करने निर्धारित दिनांक घोषित की जाती है। निर्धारित दिनांक के पश्चात् किसी भी स्थिति में छात्र का नामांकन नहीं किया जाता है। ताजा घोटाला नामांकन से जुड़ा है।
युनिवर्सिटी के अध्यादेश के प्रमुख बिंदु
-उपरङ्क्षक्त बिन्दु क्रमांक-3 से स्पष्ट है कि विश्वविद्यालय द्वारा निर्धारित दिनांक तक डीन/प्राचार्य द्वारा महाविद्यालय में प्रवेशित छात्रों के पात्रता एवं रजिस्ट्रेशन (नामांकन) के आवेदन मूल प्रति एवं अटेस्टेड फोटो प्रति के साथ विश्वविद्यालय में जमा होना चाहिये।
– नामांकन अध्यादेश 01/2014 राज्यपाल के अनुमोदन उपरांत राज्य शासन द्वारा राजपत्र में प्रकाशित किया गया है एवं कानूनी रूप से विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय के उपर बंधनकारी है।
– यूनिवर्सिटी की अधिसूचना क्रमांक म.प्र.आ.वि.वि./कु.स./2022/6042 दिनांक 14/10/2022 द्वारा छात्रों के नामांकन के संबंध में महावि़द्यालय के अधिष्ठाता/प्राचार्य को अध्यादेश क्रं. 01/2014 के प्रावधानों के विपरीत विद्यार्थियों के आवश्यक मूल दस्तावेज जांचने तथा महाविद्यालय में सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी महाविद्यालय प्राचार्य की होगी।
– यूनिवर्सिटी द्वारा छात्रों के मूल आवेदन एवं अभिलेखों का परीक्षण करने के उपरांत नामांकन जारी किया जाता है।नामांकन एवं पात्रता के लिये छात्र का पूर्व विश्वविद्यालय/बोर्ड का मूल माईगे्रशन, टी. सी. एवं यूनिवर्सिटी में प्राप्त होना अत्यंत आवश्यक होता है।
– नर्सिंग एवं पैरामेडिकल कोर्सेस में प्रवेश लेने वाले अधिकांश छात्र कम्प्यूटर कोर्स सहित अन्य व्यावसायिक कोर्स भी साथ में आमतौर पर करते हैं इसलिये यूनिवर्सिटी में मूल माइगे्रशन जमा नहीं करना चाहते हेै।
– उप-कुलसचिव नामांकन के प्रभार में रहते हुये महावि़द्यालय संचालकों से सांठ-गांठ करके यूनिवर्सिटी अध्यादेश क्रं. 01/2014 का खुलेआम उल्लंघन करके महावि़द्यालयों को नामांकन के लिये प्रवेशित छात्रों की केवल सूची भेजने एवं समस्त दस्तावेज महावि़द्यालय में ही रखने संबंधी अवैधानिक आदेश निकालकर घोर अनियमितता की गई है।
– तत्कालीन उप-कुलसचिव के अध्यादेश के प्रावधानों का घोर उल्लंघन करने के कारण यूुनिवर्सिटी द्वारा छात्रों के मूल माइगे्रशन प्रमाण पत्र प्राप्त किये बिना और दस्तावेजों के परीक्षण के बिना नामांकन जारी करके मोटी रकम कॉलेज संचालकों से वसूली की जा रही है। इस प्रकार किये गये नामांकन पूर्णत: अवैध है।
– उपकुलसचिव वर्तमान में कुलसचिव द्वारा अध्यादेश के प्रावधानों का निजी कॉलेज संचालकों से मिलीभगत करके एवं जानबूझकर खुला उल्लंघन करके भ्रष्टाचार एवं घोर अनियमितता की गई है।
12. मूल माइगे्रशन प्रमाण पत्र जमा ना होने के कारण निजी कॉलेज संचालकों से मिलीभगत करके छात्रवृत्ती घोटाला किया जा सकता है।
13. माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर के आदेश पर शासन द्वारा गठित हाईलेवल कमेटी के अघ्यक्ष रिटायर्ड जज श्री के. के. त्रिवेदी की जांच कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि युनिवर्सिटी में नामांकन किन्हीं बच्चों का हुआ है और परीक्षा किसी ओर ने दी।
हमारी मांग है कि डॉ. पुष्पराज सिंह बघेल द्वारा उक्त अवैधानिक कृृत्य एवं कदाचरण संलग्न अभिलेखों से प्रमाणित है अत: डॉ. बघेल को तत्काल निलंबित करके ई.ओ.डब्ल्यू. में प्रकरण दर्ज कराया जाये। अन्यथा प्रदेश व्यापी आंदोलन करके यूनिवर्सिटी का घेराव किया जायेगा।