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भारत, वैश्विक भूमिका का निर्वहन प्राचीन ज्ञान परम्परा के आधार पर ही करेगाः मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान के भूमि पूजन कार्यक्रम को किया संबोधित

शिक्षा, संस्कृति और शोध को भारत केन्द्रित बनाना जरूरी- इंदर सिंह परमार

भोपाल । जब जीवन स्थिर होता है तब कला और संस्कृति का उद्गम होता है। बौद्धिक जगत के अलावा भाव जगत का भी बहुत महत्व है, इसलिए किसी शोध में यह जरूरी है कि प्रयत्नपूर्वक विषयों के सारतत्व को भी समझा जाए। श्री सोनी ने कहा कि उत्पादन में प्रचुरता, वितरण में समानता और उपभोग में संयम होना चाहिए। इस त्रिसूत्रीय आधार पर हम एक सुखी, समर्थ समाज और राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं। आज भारतीय दृष्टि से शोध और उसके प्रभाव की समाज व विश्व को आवश्यकता है क्योंकि सारी दुनिया अब यह समझने लगी है कि वैकल्पिक दिशा केवल भारत ही दे सकता है। ये उद्गार प्रसिद्ध चिंतक तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य श्री सुरेश सोनी ने व्यक्त किये। वे भोपाल में दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान के भूमि पूजन एवं कार्यारंभ कार्यक्रम को सारस्वत अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।

श्री सोनी ने कहा कि भारतीय समाज सदियों से तीन स्तरों में रहता आया है। आरण्यक, ग्राम्य और नगरीय व्यवस्था से संचालित है। उन्होंने कहा धरती में जितना मनुष्य का हिस्सा है उतना ही पशु पक्षी वनस्पति नदी पहाड़ आदि का भी है। आदमी बोल सकता है, प्रकृति ने उसको बुद्धि दी है। जो जितना समझदार है, उसकी जिम्मेदारी उतनी ज्यादा है।

समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि ऋषि स्वरूप व्यक्तित्व के श्रद्धेय दत्तोपंत ठेंगड़ी जी ने दीपक के समान स्वयं जलकर विचारों का प्रकाश समाज को प्रदान किया। कृषि, श्रमिकों की स्थिति और स्वदेशी के क्षेत्र में उनका विचार उज्जवल नक्षत्र के समान हैं, जो समाज को निरंतर मार्गदर्शन प्रदान करते रहेंगे। वे हिंदुत्व को राष्ट्रीयता से आगे विश्व बंधुत्व के रूप में देखते थे। वर्तमान समय में उनके विचार अधिक समसामयिक हो जाते हैं, सम्पूर्ण विश्व विभिन्न समस्याओं में मार्गदर्शन और उनके समाधान के लिए भारत की ओर आशा की दृष्टि से देख रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान का भूमिपूजन ज्ञान की ऊर्जा और सामर्थ्य का उपयोग समाज हित में करने का मार्ग प्रशस्त करेगा।

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री श्री इंदर सिंह परमार ने दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान द्वारा किये जा रहे है शोध गतिविधियों की सराहना करते हुए कहा कि मध्य प्रदेश में भारतीय ज्ञान परंपरा और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप शोध का वातावरण बेहतर हुआ है। हमें शिक्षा, संस्कृति और शोध को भारत केन्द्रित बनाना जरूरी है।

संस्कृति मंत्री श्री धर्मेंद्र सिंह लोधी ने संस्थान द्वारा जनजातीय संस्कृति के अध्ययनों का उल्लेख करते हुए कहा कि संस्था का नया भवन अपने लक्ष्य की पूर्ति में सहायक सिद्ध होगा।

दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान के अध्यक्ष श्री अशोक पांडेय ने कहा कि संस्थान अपने मौलिक शोध के जरिए समाज में एकात्मता का प्रसार कर रहा है और समावेश शोध को बढ़ावा देने का काम कर रहा है।

भोपाल के लिंक रोड नं 3 पर आयोजित इस कार्यक्रम में दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान के निदेशक डॉ मुकेश मिश्रा ने संस्थान की प्रगति विवरण देते कहा कि संस्थान ने शोध के क्षेत्र में भारतमुखी चिंतन को बढ़ावा देने के साथ ही अकादमिक जगत में सांस्कृतिक विमर्श को भारत केंद्रित बनाने में अहम भूमिका निभा रहा है। कार्यक्रम में विभिन्न विश्वविद्यालयों तथा अकादमिक संस्थाओं के पदाधिकारी, विषय-विशेषज्ञ तथा शोधार्थी शामिल हुए। संचालन वरिष्ठ पत्रकार श्री विजय मनोहर तिवारी ने किया।

 

ज्ञान की ऊर्जा और सामर्थ्य का उपयोग समाज हित में करना जरूरीः डॉ. यादव

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से भारत में विद्यमान गुरूकुल और विश्वविद्यालय भारतीय समाज के ज्ञान सामर्थ्य को अभिव्यक्त करते हैं। जीवन के प्रत्येक पल का उपयोग व्यक्ति समाज हित में कर पाए, यही भारतीय संस्कृति के अनुसार, जीते-जी मोक्ष प्राप्ति की भावना है। भारतीय विचार, व्यक्ति को संघर्ष के स्थान पर प्रेम और बंधुत्व के लिए प्रेरित करते हैं। जनजातीय समाज सहित भारतीयता के विभिन्न पहलुओं पर समग्रता में शोध के लिए दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान जैसी पहल की अत्यधिक आवश्यकता है। नई शिक्षा नीति पुस्तकीय ज्ञान के स्थान पर व्यवहारिक अनुभूति को अधिक महत्व देती है। इसका उपयोग करते हुए मानवता के हित और लाभ सुनिश्चित करने वाले शोध की ओर अग्रसर होना होगा।

विस्मरण और सही जानकारियां न होना भारतीय अकादमिक जगत की समस्या-  सोनी

विचारक एवं लेखक श्री सुरेश सोनी ने कहा कि श्रद्धेय दत्तोपंत ठेंगड़ी जी भारतीय ऋषि प्रज्ञा की अभिव्यक्ति थे। जीवन के सभी क्षेत्रों में भारतीय दर्शन को केन्द्र में रखना उनकी विशेषता थी। व्यक्तिगत जीवन से लेकर विश्व शांति के विषय उनके विचारों की परिधि में थे। विस्मरण और सही जानकारियां न होना भारतीय अकादमिक जगत की समस्या है। मैकाले की शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि आत्मकेन्द्रितता, भोगवाद जैसे जीवन मूल्यों के स्थान पर त्याग, संयम, समर्पण जैसे भारतीय जीवन मूल्यों की स्थापना और भारतीय दृष्टिकोण को विकसित करना भारतीयता को समझने के लिए आवश्यक है।

राष्ट्रीय शोधार्थी समागम के पोस्टर का हुआ विमोचन

· कार्यक्रम में दौरान संस्थान द्वारा 1 मार्च 2025 से आयोजित होने वाले तीन दिवसीय राष्ट्रीय शोधार्थी समागम के हिंदी व अंग्रेजी पोस्टर का विमोचन किया गया।

· इस अवसर पर शोध संस्थान की वार्षिक स्मारिका ‘संकेत रेखा’ का हुआ विमोचन।

दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान नये भवन के भूमि पूजन एवं कार्यारंभ के अवसर पर लिंक रोड नं 3 पर मुख्यमंत्री एवं अन्य अथितियों ने पौधारोपण भी किया।

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