
जबलपुर, यशभारत। राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने वृद्धजनों के अधिकारों के संरक्षण के लिए सामाजिक वातावरण निर्माण पर बल दिया है। युवाओं की सोच का दिशा-दर्शन और भावी पीढ़ी को संस्कारित करने की जरूरत बताई है। उन्होंने कहा कि स्कूल, कॉलेजों में वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों के संबंध में वैचारिक चिंतन-मनन किया जाना चाहिए। उन्होंने बुजुर्गों के सुखद भविष्य के लिए सरकार के साथ समाज के बुद्धिजीवी वर्ग के समन्वित प्रयासों की पहल की आवश्यकता बताई।
राज्यपाल श्री पटेल 11 जुलाई को आर.सी.व्ही.पी. नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी, भोपाल में मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग और राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल को संगोष्ठी में वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों के संबंध में जन-जागरण के लिए विषय-विशेषज्ञों के आलेख संकलन की पुस्तिका “वृद्धजनों के अधिकार” की प्रथम प्रति भेंट की गई। राज्यपाल का स्वागत शॉल, श्रीफल एवं पौधा भेंटकर किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री नरेन्द्र कुमार जैन ने की।
राज्यपाल श्री पटेल ने वर्तमान परिदृश्य में युवा पीढ़ी और वृद्धजनों के मध्य आत्मीय भाव में हो रही कमी पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वृद्धजन अधिकार संरक्षण और जन-जागरण के प्रयासों को ग्रामीण एवं वंचित वर्गों तक पहुँचाने के प्रयास जरूरी हैं। राज्यपाल ने सामाजिक वातावरण निर्माण के लिए वर्तमान और भावी बुजुर्गों को एकजुट होकर संस्थागत स्वरूप में स्वैच्छिक संस्थाओं के माध्यम से प्रयास करने के लिए कहा। उन्होंने बुजुर्गों को अपने अनुभव के साथ युवा पीढ़ी का दिशा-दर्शन करने, शारीरिक और मानसिक संतुलन पर विशेष ध्यान देने, स्वस्थ रहना अपनी जिम्मेदारी मानते हुए जीवनचर्या बनाने और परिवार के सदस्यों के साथ वाणी और व्यवहार के संतुलन के साथ रहने के लिए प्रेरित किया। परिवार में आत्मीय वातावरण बनाने संबंधी दृष्टांतों के माध्यम से बताया कि बच्चों का लालन-पालन भारतीय संस्कृति के जीवन मूल्यों के साथ करें। शिक्षा पाठ्यक्रम में राष्ट्र, समाज के साथ ही माता-पिता के त्याग और बलिदान का अहसास कराना आवश्यक है। ऐसा करने से भावी पीढ़ी पालकों के प्रति 365 दिन कृतज्ञता के भाव से भरी रहेगी। उन्होंने बड़े होने पर विवाह के बाद माता-पिता को छोड़ देने की पीड़ा को प्रसंग के द्वारा समझाया। बताया कि एक दंपति जो अपने माता-पिता से अलग रहता था, उनका सात वर्षीय बालक कुछ घंटों के लिए गुम हो गया तो वे बेहाल हो गए थे। माता-पिता के साथ 25-30 वर्ष रहने के बाद संतान द्वारा छोड़ने पर होने वाली पीड़ा का तब उन्हें अहसास हुआ। संगोष्ठी में राज्यपाल श्री पटेल ने विश्व जनसंख्या दिवस की शुभकामनाएं दी।
अध्यक्षयीय उद्बोधन में मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री नरेन्द्र कुमार जैन ने वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों के संबंध में वैश्विक और राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य पर चर्चा की। उन्होंने वैधानिक व्यवस्थाओं और प्रावधानों के बारे में बताया। विकास की आपाधापी में संस्कृति की धरोहर बुजुर्गों की उपेक्षा और दोयम दर्जे के व्यवहार को भारतीय नैतिक जीवन मूल्यों का अवमूल्यन बताया। वरिष्ठ नागरिकों के लिए अवर्णनीय पीड़ा निरूपित किया। उनका संरक्षण और सम्मान सरकार और समाज का दायित्व बताया। उन्होंने कहा कि वृद्धजनों के अधिकार एक बहुत ही प्रासंगिक विषय है। जीवन की प्रकृति है, जो आज जन्मा है, उसे 60 साल बाद वृद्ध की श्रेणी में आना ही है। वृद्धजन अपने आप में एक खुली किताब होती है। वे अनुभवों की एक जीती-जागती संस्था होते हैं। जीवन के हर पल को जिंदादिली से जीने वाले वृद्धजन एक धरोहर होते हैं। पर जिस उम्र में उन्हें सेवा की जरूरत होती है, उस उम्र में वृद्धजनों को वृद्धाश्रम में भर्ती करा दिया जाता है। यह हमारी भारतीय जीवन प्रणाली और जीवन मूल्यों का नैतिक अवमूल्यन नहीं हैं, तो और क्या है ? यह कतई नहीं होना चाहिये। वृद्धजनों की उपेक्षा बढ़ने लगी, तो उनके अधिकारों की भी बात उठी। भारत सरकार ने वृद्धों की सुधि ली और वर्ष 1999 में वृद्धजनों के लिये राष्ट्रीय नीति पारित की। भारत सरकार ने वर्ष 2000 को वृद्धजनों का राष्ट्रीय वर्ष घोषित कर इसे विधिवत् रूप से मनाया। वृद्धजनों के लिये राष्ट्रीय नीति में सबसे पहले वृद्धजनों के भरण-पोषण अर्थात् उनके लिये रोटी, कपड़ा और मकान की चिंता की है। इस नीति में वृद्धजनों की देखभाल, उपचार, भविष्य सुरक्षा और कष्टहीन जीवनयापन की सुविधा/सहायता/व्यवस्था के प्रावधाान किये हैं। नीति लागू होने के बाद वृद्धजनों को कानूनी अधिकार मिल गया है कि वे अपनी संतानों, वैध वारिसों, रक्त संबंधियों (नातेदार) से अपने जीवन भरण-पोषण के लिये मासिक भरण-पोषण भत्ता मांग सकें। उन्होंने कहा कि आज जरूरत इस बात की है कि हम सब मिलकर अपने वृद्धजनों की देख-भाल और सेवा करें और उनके जीवन को उल्लासमय बनाने का प्रयास करें।
संगोष्ठी में विशिष्ट अतिथि के रूप में मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय सदस्यद्वय श्री मनोहर ममतानी एवं श्री सरबजीत सिंह, आयोग के सचिव श्री शोभित सहित सीबीआई के सेवानिवृत्त निदेशक श्री ऋषि कुमार शुक्ला, अंतर्राष्ट्रीय परामर्शी डा. माला कपूर शंकरदास, हेल्प-एज इंडिया की राज्य प्रमुख श्रीमती संस्कृति खरे एवं सामाजिक न्याय विभाग की संयुक्त संचालक श्रीमती राजश्री राय वक्ता के रूप में मौजूद थे। संगोष्ठी में लोकायुक्त मध्यप्रदेश न्यायमूर्ति श्री एनके गुप्ता, न्यायमूर्ति श्री एसके पालो, न्यायमूर्ति श्री एनके जैन, न्यायमूर्ति श्री उमेश वर्मा, अन्य न्यायाधीशगण, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक श्री बीबी शर्मा सहित आयोग के अन्य सभी अधिकारीगण उपस्थित थे। संगोष्ठी में राज्य सरकार के सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण विभाग, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों सहित भोपाल के कैरियर काॅलेज आॅफ लाॅ तथा भोपाल स्कूल आॅफ सोशल सांइसेस में विधि संकाय के विद्यार्थी एवं संकाय सदस्यों ने भी प्रतिभागी के रूप में सहभागिता की।
संगोष्ठी के आरंभ में विषय प्रवर्तन करते हुये स्वागत भाषण में आयोग के माननीय सदस्य श्री सरबजीत सिंह ने कहा कि वृद्धजनों के कल्याण के लिये देश में एक स्पष्ट नीति की जरूरत है। सबको तत्पर चिकित्सा सुविधा मिले, यह तय होना चाहिए। न केवल समाज में, वरन् वृद्धजनों को उनके घरों में ही सुरक्षा और देखभाल की जरूरत है। हम सब मिलकर यह कर पायें, यही वृद्धजनों की सेवा होगी।
उद्घाटन सत्र में आभार संबोधन में माननीय सदस्य श्री मनोहर ममतानी ने कहा कि आज विश्व जनसंख्या दिवस है और इस दिवस को मनाने की थीम में सबके अधिकारों के संरक्षण की बात की गई है। और वृद्धजनों के अधिकार इनसे अलग नहीं है। हम सब मिलकर वृद्धजनों के अधिकारों की रक्षा करेंगें, ऐसा संकल्प लेने से ही वृद्धजनों के कल्याण के क्षेत्र में एक नई दिशा मिलेगी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह राष्ट्रीय संगोष्ठी इस दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे मध्यप्रदेश के माननीय राज्यपाल श्री पटेल, मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री जैन, माननीय सदस्य श्री सिंह, समस्त वक्ताओं, न्यायमूर्तिगणों व न्यायाधीशगणों सहित संगोष्ठी को सफल बनाने में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग देने वाले आयोग के सभी अधिकारियों, कर्मचारियों सहित राज्य शासन के वरिष्ठ अधिकारियों व अन्य प्रतिभागियों का हृदय से आभार ज्ञापित किया।
उद्घाटन सत्र के अंत में मुख्य अतिथि माननीय राज्यपाल श्री पटेल को आयोग अध्यक्ष द्वारा स्मृति चिन्ह के रूप में सांची स्तूप की प्रतिकृति भेंट की गई।
अनुगूंज
संगोष्ठी के दूसरे सत्र को अनुगूंज नाम दिया गया। इस सत्र की अध्यक्षता मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय सदस्य श्री मनोहर ममतानी ने की। इस सत्र में सीबीआई के सेवानिवृत्त निदेशक श्री ऋषि कुमार शुक्ला एवं सामाजिक न्याय विभाग की संयुक्त संचालक श्रीमती राजश्री राॅय वक्ता के रूप में मौजूद थीं।
संगोष्ठी में श्री ऋषि कुमार शुक्ला ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार एवं भारत सरकार वृद्धजनों के हित के लिये सराहनीय कार्य कर रही है। उन्होंने मध्यप्रदेश सरकार के डायल 100 को भारत सरकार द्वारा एडाॅक्ट करने डायल 112 टोलफ्री नंबर की नेशनल हेल्पलाईन प्रारंभ किये जाने का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हमें समाजिक एकीकरण को कम करना होगा तभी हम वृद्धों के कल्याण के बारे में सोच पायेंगे।
सामाजिक न्याय विभाग, भोपाल की संयुक्त संचालक श्रीमती राजश्री राॅय ने मध्यप्रदेश व भारत सरकार द्वारा वरिष्ठ नागरिकों के हित में चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना और समग्र सामजिक सुरक्षा पेंशन योजना, इन दो योजनाओं में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 25 लाख नागरिकों को 600 रूपये प्रतिमाह पेंशन दी जा रही है। भारत सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों के लिये वयोश्री योजना संचालित की हुई है और वृद्धजनों को हर तरह की मदद मुहैया कराने के लिये 14567 टोल फ्री नम्बर की एक एल्डर लाईन भी प्रारंभ की है।
अंत में सत्र के अध्यक्ष श्री ममतानी ने उपसंहार उद्बोधन में वरिष्ठ नागरिकों के हित में चलाई जा रही योजनाओं की अनुगूंज पर प्रकाश डालते हुये इसे एक सार्थक और उपयोगी सत्र बताया। इसके बाद प्रतिभागियों से संवाद भी किया गया। सत्र के दोनों वक्ताओं को मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग द्वारा स्मृति चिन्ह भी दिये गये।
आसरा
संगोष्ठी के तीसरे सत्र को आसरा नाम दिया गया। इस सत्र की अध्यक्षता मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय सदस्य श्री सरबजीत सिंह ने की। इस सत्र में नई दिल्ली की अंतर्राष्ट्रीय परामर्शी डा. माला कपूर शंकरदास एवं हेल्प एज इंडिया की मध्यप्रदेश इकाई की राज्य प्रमुख श्रीमती संस्कृति खरे गौर वक्ता के रूप में मौजूद थीं।
संगोष्ठी में श्रीमती संस्कृति खरे गौर ने हेल्प एज इंडिया द्वारा प्रदेश में किये जा रहे कार्यों और 14567 टोल फ्री नम्बर की एल्डर लाईन के माध्यम से वरिष्ठ जनों के हित में की जा रही गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हमें बुजुर्गों का सहारा बनना है, उनकी दुश्वारियों को दूर करने वाला बनना है तभी हम उनके सच्चे हमदर्द और सेवक बन पायेंगे।
अंतर्राष्ट्रीय परामर्शी डा. माला कपूर शंकरदास ने भारतीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय परिवेश के संदर्भ में वृद्धजनों की स्थिति पर विस्तार से प्रकाश डालते हुये कहा कि पिछले 10 साल में वृद्धों की संख्या तेजी से बढ़ी है, इसलिये हमें इनकी देखभाल और कल्याण के विषय में सोचना ही होगा। उन्होंने कहा हमें वृद्धों को लाचार नहीं समझना है, वरन् उनका संबल बनना होगा।
अंत में सत्र के अध्यक्ष श्री सिंह ने उपसंहार उद्बोधन में इस सत्र से निकले निष्कर्षों पर प्रकाश डाला। इसके बाद प्रतिभागियों से संवाद भी किया गया। सत्र के दोनों वक्ताओं को मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग द्वारा स्मृति चिन्ह भी दिये गये।
संगोष्ठी के तीनों सत्रांत में आयोग के सचिव श्री शोभित जैन ने पधारे सभी अतिथियों, वक्ताओं, न्यायमूर्तिगणों और सभी प्रतिभागियों का हृदय से आभार ज्ञापित किया। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का समवेत् सफल संचालन आकाशवाणी की उद्घोषिका श्रीमती सुनीता सिंह ने किया।