बड़ेरिया मेट्रोप्राइम अस्पताल के चिकित्सकों का कमाल : डेढ़ साल के मासूम को दी नई जिंदगी
मध्य भारत की पहली हार्ट की जटिलतम हाइब्रिड सफल सर्जरी
जबलपुर,यशभारत। दमोहनाका स्थित बड़ेरिया मेट्रोप्राइम मल्टी स्पेशियल्टी अस्पताल के डॉक्टरों ने मध्य भारत की पहली हार्ट की जटिलतम हाइब्रिड सर्जरी कर डेढ़ साल के बच्चे को न केवल नई जिंदगी दी, बल्कि उसके माता-पिता को जीने का आसरा दे दिया। टीम भावना और मात्र दो घंटे की मेहनत से चिकित्सकों ने क्रिटिकल हाइब्रिड सर्जरी पहली बार की। बाल हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर उमा महेश्वर ने पत्रवार्ता में यह जानकारी देते हुए बताया कि सिवनी का रहने वाला मात्र डेढ़ साल का बच्चा, जिसका वजन मात्र पांच-छह किलो था। उसे बार-बार सर्दी जुकाम, सांस में तकलीफ और निमोनिया की वजह से कई बड़े अस्पतालों में बार-बार भर्ती होना पड़ा, लेकिन रत्ती भर का आराम नहीं मिला,तब मेट्रोप्राइम अस्पताल जबलपुर में आकर बच्चे ने एक नई जिंदगी पाई। इस मौके पर डारेक्टर राजीव बड़ेरिया भी मौजूद थे। बच्चे का सफल ऑपरेशन करने वाले बाल हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर उमा महेश्वर ने बतलाया कि बच्चे को बार बार निमोनिया होने कारण उसकी गहन जांच करने पर पता चला कि बच्चे के हृदय के बेहद निचले हिस्से में लगभग 16 एमएम का बड़ा छेद था जो कि बच्चे के हिसाब से काफी बड़ा था और यह अभी तक डायग्नोज नहीं किया गया था और यही उस मासूम बच्चे की सारी समस्या का कारण था, जिसे लेकर उसके माता पिता काफ़ी परेशान थे। क्योंकि एक-डेढ़ साल में बच्चा 6 से 7 बार एडमिट हो चुका था और उसका वजन भी नहीं बढ़ पा रहा था ।
जान का खतरा बना बड़ी चुनौती
बच्चे को ऑपरेट करना भी जरूरी था और जिसमें उसकी जान को खतरा भी हो सकता था। 6 किलो के वजन वाले बच्चे के दो तरह के ऑपरेशन संभव थे, एक लेजर ऑपरेशन जिसने पैर की नस से एक छल्ला बनाकर उसके हार्ट के छेद को बंद करते और दूसरा विकल्प था ओपन हार्ट सर्जरी का, लेकिन वह छेद एक ऐसी निचली और मुश्किल जगह पर था, जहां पर ओपन हार्ट सर्जरी करने में भी बहुत दिक्कत जा रही थी और फेफड़ों पर प्रेशर भी बहुत था। तथा यह बहुत रिस्की भी था । छल्ले के द्वारा भी उसे बंद करना भी बेहद जटिल साबित हो रहा था।
एक नये तरह के ऑपरेशन का लिया निर्णय
इस केस को सुलझाना बड़ा ही मुश्किल था, फिर कार्डियक टीम जिसमें डॉक्टर के. एल. उमामहेश्वर, डॉक्टर सुनील जैन, डॉक्टर दिलीप तिवारी डॉक्टर अमजद अली डॉक्टर विनीत चावला और कार्डियक टीम ने निर्णय लिया कि क्यों ना इस ऑपरेशन को एक नए तरीके से किया जाए। और हमने डिसाइड किया कि पहले सर्जन अपना आधा काम करें फिर आधा काम हम करें जिसे दोनों की मुश्किल आसान हो जाए तो सर्जन टीम ने बच्चे के हार्ट को ऊपर निकाला और हमने उसमे डायरेक्ट छल्ला लगाकर ऑपरेट किया और छेद को बंद कर दिया। एक प्रकार से छल्ले से ही छेद बंद कर दिया लेकिन यह ओपन हार्ट सर्जरी के बगैर सम्भव नही था। और इस तरह बच्चा 7 दिन के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज भी कर दिया गया।
मध्य भारत का पहला जटिलतम सफल ऑपरेशन
ऐसा नहीं है कि इस तरह के ऑपरेशन पहले नहीं हुए। यह ऑप्शन अभी तक बड़े बड़े शहरों के कुछ चुनिंदा अस्पतालों तक ही सीमित थे ऐसा ऑपरेशन अभी तक मध्य भारत में कहीं भी नहीं हुआ था। अगर हम नहीं करते तो बच्चे को चेन्नई ,दिल्ली, हैदराबाद या अहमदाबाद ले जाना पड़ता लेकिन हमारे शहर में भी मेट्रो प्राइम में हम राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधा आज उपलब्ध करा रहे हैं । ताकि शहरवासियों को इलाज के लिए दूसरे शहरों के चक्कर न काटना पड़े।