यशभारत, अगर भाजपा को प्रदेश के आदिवासियों की इतनी चिंता है तो क्या छठी अनुसूची और पेसा कानून लागू करेगी सरकार? भारतीय जनता पार्टी बस अपनी ब्राडिंग कर रही है, हालत यह है प्रदेश का खजाना पूरी तरह से खाली हो चुका है, वही केंद्र सरकार जिस तरह से अब आदिवासियों की चिंता कर रही है उससे यह स्पष्ट है कि मोदी सरकार को केवल दोबारा अपनी सरकार बनाने को लेकर चिंता है, उन्हें आदिवासियों से कोई सरोकार नहीं, आदिवासियों के हितों की रक्षा सदैव कॉन्ग्रेस ने की है। यह कहना है प्रदेश के पूर्व वन मंत्री उमंग सिंगार का, यश भारत के लोकप्रिय कार्यक्रम प्राइम टाइम विद आशीष शुक्ला में आज उन्होंने चर्चा की…….
क्या एमएसपी की गारंटी दी?
कैबिनेट मंत्री उमंग सिंगार ने कहा कि. किसान बिल वापस होने पर निश्चित रूप से किसानों के लिए फायदेमंद है. लेकिन मोदी सरकार ने अभी तक एमएसपी के बारे में कुछ भी नहीं बोला है. एमएसपी को लेकर केंद्र सरकार ने कोई गारंटी नहीं दी।
चुनाव को दृष्टिगत रखते निर्णय
श्री सिंगार तीनों कृषि बिल केंद्र सरकार द्वारा वापस लिए जाने के फैसले को आने वाले राज्यों में होने वाले चुनावों को दृष्टिगत रखते हुए लिया गया फैसला बताते हैं। वे कहते हैं कि क्योंकि उत्तर प्रदेश और पंजाब में किसानों में इस बिल को लेकर आक्रोश ज्यादा था। जिसको महसूस करते हुए मोदी सरकार ने घुटने टेके।
7 सौ किसानों ने दी शहादत
पूर्व वन मंत्री कहते हैं कि मोदी सरकार किसानों के हित की झूठी बात करते हैं। प्रधानमंत्री को अगर किसानों की चिंता होती तो कृषि कानून लागू ही नहीं करती. जिसके कारण किसानों को आंदोलन करना पड़ा. 700 किसानों की इस आंदोलन में मौत हुई, क्या मोदी सरकार आंदोलन में मारी किसानों को शहीद का दर्जा देगी?
यह कारपोरेट की हार है
श्री सिंगार कहते हैं कि. किसान बिल का वापस लेना एक तरह से कारपोरेट की हार है। वे लोग जो किसानों की जमीन हड़पना चाहते थे. उनके मंसूबे किसानों ने अपनी जान की बाजी लगाकर नापाक कर दिए और कृषि बिल वापसी कारपोरेट की सबसे बड़ी हार है।
पूर्ण बहुमत बावजूद कारपोरेट के हित में फैसले
श्री सिंगार कहते हैं कि मोदी सरकार को पूर्ण बहुमत जनता ने दिया है. बावजूद इसके वह कारपोरेट के हित में फैसले लेते आ रहे हैं। कृषि बिल भी उसी कारपोरेट को फायदा पहुंचाने की नीयत से बनाया गया कानून था जिस मंसूबों को देश के किसानों ने ध्वस्त कर दिया।
आदिवासियों को कर रहे विस्थापित
श्री सिंगार भाजपा द्वारा बिरसा मुंडा जयंती मनाने के सवाल पर कहते हैं कि प्रदेश की प्रदेश की आदिवासी जनता कभी भी भारतीय जनता पार्टी के साथ नहीं खड़ी हुई। आज आदिवासियों की जमींन कारपोरेट को फायदा पहुंचाने के लिए हथिया रहे हैं। उन्हें विस्थापित कर रहे हैं. उनके जंगल पर. खनिज संसाधनों पर अधिकार कारपोरेट के हाथ में जा रहा है। आदिवासी अगर जंगल की लकड़ी काटता है तो उसे सजा मिलेगी. लेकिन वही पेड़ कारपोरेट के लोग धड़ल्ले से काट रहे हैं।
कांग्रेस ने की आदिवासियों की चिंता
श्री सिंगार सरकार पर सवाल खड़े करते हुए कहते हैं कि आदिवासी समाज को कांग्रेस ने बहुत कुछ दिया है आरक्षण से लेकर उनके हद तक वहीं अगर भाजपा को आदिवासी समाज की इतनी चिंता है तो क्या प्रदेश में छठी अनुसूची लागू करेंगे या पेसा कानून लागू करेंगे? अगर पूरे प्रदेश में ना सही तो उन क्षेत्रों उन ब्लॉकों में अनुसूचित क्षेत्र घोषित कर लागू कर सकते हैं।
गौ टैक्स खजाना भरने का प्रयास
पूर्व मंत्री कहते हैं कि सरकार का खजाना पूरी तरह से खाली हो चुका है. जिस कारण वे जनता पर अनाप-शनाप टैक्स लगाकर खजाना भर रहे है। जिसमें एक गौ टैक्स भी है। क्या प्रदेश के मुखिया बताएंगे कि जिस जनता से उन्होंने गौ टैक्स के नाम पर धन बटोरा है. तो प्रति गाय उन्होंने कितना खर्च किया है। अगर यह गांव को माता मानते हैं तो बताएं कि अभी भी गाय के मांस का निर्यात क्यों हो रहा है गाय की हत्या अभी भी क्यों जारी है।