प्रशासन चुनाव में व्यस्त, निजी स्कूल मनमानी में मस्त: अभिभावकों की जेब हल्की करने में जुटे हैं संचालक

जबलपुर,यशभारत। जुलाई का महीना शुरू होते ही निजी स्कूल संचालकों की मनमानी एक बार फिर सामने आ रही है । स्कूल संचालक अभिभावकों की जेब हल्की करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे हैं। निजी स्कूलों में सुविधाओं के नाम पर पैसे तो वसले जा रहे हैं ,लेकिन अनेक स्कूलों में तो ना ही शौचालय है ना ही पीने की पानी की पर्याप्त व्यवस्था और ना ही खेल ग्राउंड ही। जबकि स्कूल खोलते समय खेल मैदान का होना जरुरी है। इतना ही नहीं निजी स्कूल संचालकों के द्वारा निर्धारित की गई कॉपी -किताब और यूनिफॉर्म की दुकानों से ही सामग्री खरीदने के लिए अभिभावकों को बाध्य किया जा रहा है और ये निर्धारित दुकानदार मनमानी कीमत पर कॉपी किताब और स्कूल की ड्रेस बेच रहे हैं ।
शासन द्वारा सुनिश्चित किया गया है कि बीपीएल कार्ड धारकों के बच्चों को निशुल्क प्रवेश दिया जाए ,लेकिन शासन के निर्देशों का भी उल्लंघन करते हुए प्रवेश के नाम पर 2000 से 5000 तक वसूले जा रहे हैं प्रशासन की चुनावी व्यस्तता के चलते अभिभावकों की शिकायतों के बाद भी कोई कार्यवाही न तो संभव हो पा रही है और ना ही प्रशासन चुनाव में व्यस्त होने के कारण निजी स्कूलों की मनमानी की ओर ध्यान दे रहा है ,जिसके कारण लोग निजी स्कूलों की मनमानी सहने के लिए लाचार नजर आ रहे हैं । उल्लेखनीय है कि प्रतिवर्ष नए शिक्षा सत्र की शुरुआत अभिभावकों के लिए परेशानी का सबब बन जाती है । निजी स्कूल अभिभावकों की जेब पर डाका डालने में लग जाते है स्कूल में प्रवेश के साथ ही अलग-अलग मदों में भी अभिभावकों से फीस वसूली जाती है । उदाहरण के तौर पर बिल्डिंग फंड ,लाइब्रेरी, कंप्यूटर फीस जैसी चीजें शामिल है जबकि सुविधाओं की बात की जाए तो बड़े निजी स्कूलों को छोड़ दिया जाए तो जगह-जगह दुकान की तरह खुल गए निजी स्कूलों में सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है।