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पूजा, नेहा, सेजल ने फंसाया, 7 साल बाद पाकिस्तान को मिसाइल सीक्रेट लीक के आरोप से बरी, ब्रह्मोस साइंटिस्ट निशांत

पूजा, नेहा, सेजल ने फंसाया, 7 साल बाद पाकिस्तान को मिसाइल सीक्रेट लीक के आरोप से बरी, ब्रह्मोस साइंटिस्ट निशांत

नागपुर : बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के पूर्व वैज्ञानिक निशांत अग्रवाल को जासूसी और साइबर आतंकवाद के आरोपों से बरी कर दिया है। हालांकि अपने निजी उपकरण में गोपनीय जानकारी रखने के आरोप में सरकारी गोपनीयता अधिनियम की धारा 3(1) सी के तहत उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा गया है। इस आरोप के तहत उन्हें तीन साल की सज़ा हो सकती थी। चूंकि निशांत अग्रवाल बीते सात साल से जेल में इसलिए अब उनकी रिहाई का रास्ता साफ हो गया है। nनिचली अदालत ने निशांत अग्रवाल को देश के विरोधियों को वर्गीकृत जानकारी भेजने के लिए आईटी सिस्टम का इस्तेमाल करने के आरोप में 14 साल जेल की सज़ा सुनाई थी। मामला हाई कोर्ट पहुंचा और नागपुर बेंच ने उन्हें बरी कर दिया।
अक्टूबर 2018 में सैन्य खुफिया (एमआई), उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के जॉइंट ऑपरेशन में निशांत अग्रवाल को गिरफ्तार किया गया था। वह ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्माण करने वाले भारत-रूस संयुक्त उद्यम बीएपीएल के तकनीकी अनुसंधान अनुभाग में तैनात थे। जांच से पता चला कि ब्रह्मोस मिसाइल से जुड़े अहम दस्तावेज़ उनके निजी कंप्यूटरों पर पाए गए, जो BAPL के सुरक्षा मानदंडों का उल्लंघन करते थे।

हुई थी नई-नई शादी
अक्टूबर 2018 में वह जांच के घेरे में आए, जब उत्तर प्रदेश के आतंकवाद-रोधी दस्ते की एक टीम ने, महाराष्ट्र के समकक्षों के साथ मिलकर, दशहरे की छुट्टी के दिन भोर में उनसे पूछताछ की। इसके एक दिन बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया। राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त निशांत अग्रवाल की तब नई शादी हुई थी।

महाराष्ट्र एटीएस के अनुसार निशांत अग्रवाल कथित तौर पर फेसबुक जैसे सोशल मीडिया ऐप के जरिए तीन पाकिस्तानी एजेंटों नेहा शर्मा, पूजा रंजन और सेजल कपूर के संपर्क में थे, जो युवतियों के रूप में सामने आ रहे थे।

चीन के तीन ऐप करवाए इंस्टॉल
पाकिस्तानी जासूसों ने ब्रह्मोस वैज्ञानिक निशांत अग्रवाल को फंसाने के लिए तीन ऐप्स का इस्तेमाल किया। चैट से पता चला कि ‘सेजल’ एक ऐसे समूह का हिस्सा थी जो भारतीय रक्षा कर्मचारियों को धोखा देने के लिए डेटा और सुझाव साझा करता था। अवस्थी ने अदालत को बताया कि सेजल के निर्देश पर निशांत अग्रवाल ने उसके द्वारा भेजे गए लिंक पर क्लिक किया और 2017 में अपने निजी लैपटॉप पर तीन ऐप्स इंस्टॉल किए।

ये ऐप्स थे: क्यूव्हिस्पर, चैट टू हायर और एक्स-ट्रस्ट। ये तीनों ऐप्स दरअसल मैलवेयर थे जिन्होंने निशांत के लैपटॉप से डेटा चुराया था, जिसमें गोपनीय जानकारी थी। जांच में दावा किया गया है कि ब्रह्मोस मिसाइल से जुड़े अहम दस्तावेज़ उनके निजी कंप्यूटरों पर पाए गए, जो BAPL के सुरक्षा मानदंडों का उल्लंघन करते थे। कहा जाता है कि निशांत ने लिंक्डइन पर भी सेजल से चैट की थी, जहां उसने कथित तौर पर यूके की हेज़ एविएशन में एक रिक्रूटर के रूप में खुद को नियुक्त करते हुए, उसे नौकरी पर रखने में रुचि दिखाई थी।

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