मध्य प्रदेश

पहले सर्वे में 12 तेंदुओं की पुष्टि

शहर से लगे जंगल में प्रवासी तेंदुए आए या कुनबा बढ़ा

जबलपुर, यश भारत lशहरी वन क्षेत्र में तेंदुए के रहवास का पता लगाने के लिए दूसरे चरण के सर्वे की तैयारी शुरू की जाएगी। इससे पता लग सकेगा कि इन क्षेत्र में विचरण करने वाले तेंदुए किसी दूसरे क्षेत्र से प्रवास करते हुए आए हैं अथवा स्थानीय स्तर पर प्रजनन के कारण इनकी संख्या बढ़ी है। उल्लेखनीय है कि पहले चरण के सर्वे में तेंदुओं के मूवमेंट की पुष्टि हुई है। इसके बाद विस्तृत जानकारी जुटाने के लिए दूसरे सर्वे की आवश्यकता महसूस की जा रही है। पहले चरण में वन विभाग एवं राज्य वन अनुसंधान संस्थान (एसएफआरआई) ने शहर से लगे वन क्षेत्र में यह सर्वे किया।

एक साल बाद खुलासा

पहले चरण में शहर से लगे वन क्षेत्र में करीब एक साल तक निगरानी की गई। इसमें 12 तेंदुओं की मौजूदगी का पता चला। यह भी खुलासा हुआ कि वे एक स्थान से दूसरे स्थान में आवाजाही के लिए खमरिया, मंगेली, डुमना, बरगी क्षेत्र का उपयोग कर रहे हैं। इस क्षेत्र में पानी के स्रोत, भोजन की उपलब्धता प्रचुर मात्रा में होना इसकी मुख्य वजह हैl

रिपोर्ट पर प्रस्ताव

वन्य प्राणी विशेषज्ञों की टीम ने पीसीसी वाइल्ड लाइफ को अपनी रिपोर्ट हाल ही में प्रस्तुत की है। इसके आधार पर अनुशंसा की तेंदुओं की संख्या पर नजर रखने के लिए लगातार निगरानी रखने की आवश्यकता है। माना जा रहा है कि वन्य प्राणी विशेषज्ञों की रिपोर्ट के बाद दूसरे सर्वे पर वन विभाग गंभीरता से विचार कर रहा है। संभावना है कि जल्द ही दोबारा से सर्वे का काम शुरू हो सकता हैl

हो सकता है संघर्ष

अब तक तेंदुओं ने जबलपुर के साथ ही इंदौर के अर्बन फॉरेस्ट में किसी भी पालतू

पशु अथवा मानव आबादी पर हमला नहीं किया है। विशेषज्ञों की चिंता है कि आने वाले समय में तेंदुओं की आबादी बढऩे और इनके भोजन की उपलब्धता में कमी आती है तो इनका मानव अथवा पालतू पशु के साथ संघर्ष हो सकता है।

आधा सैकड़ा कैमरों से निगरानी

शहरी वन क्षेत्र में तेंदुओं की मौजूदगी का पता लगाने के लिए वर्ष 2021-22 में निगरानी की गई। मार्च 2023 तक तेंदुओं से जुड़े डेटा, पदचिन्ह, बीट आदि का संग्रहण किया गया। इसी के आधार पर वन विभाग का आगे के अध्ययन के लिए अनुशंसा की गई है।

इन्होंने कहा….

तेंदुओं की मौजूदगी की स्थिति स्पष्ट हो चुकी है। आगे जो भी का योजनाएं लागू की जाएगी उसमें वन्यजीवों का विशेष ध्यान रखा जाएगा साथ ही कार्य योजना आगे बढ़ाई जाने की अनुशंसा की गई है l

रविंद्र मणि त्रिपाठी , उपसंचालक वन अनुसंधान संस्थान ग्वारीघाट

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