जबलपुर, यशभारत। राजगढ़ जिले के ब्यावरा सिविल अस्पताल प्राय: उपचार के प्रति लापरवाही बरतने, समय पर ईलाज नहीं मिलने, पैसों की मांग किए जाने आदि कारणों के चलते चचार्ओं में बना ही रहता है। जिसकी बानगी उस वक्त देखने मिली जब एक प्रसूता महिला के परिजनों को अस्पताल प्रबंधन द्वारा आखिरी समय तक नार्मल डिलेवरी का भरोसा दिलाया गया, लेकिन डिलेवरी होने पर नवजात शिशु तब तक दम तोड़ चुका था। जबकि पीडि़ता माँ बार-बार अपने बच्चे को बचाने की गुहार लगाती रही। इस घटना को लेकर अस्पताल में कुछ समय के लिये हंगामे की स्थिति बन गई। महिला के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर घोर लापरवाही का आरोप लगाते हुए वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी शिकायत की है।
जानकारी के अनुसार ग्राम परसुलिया निवासी पुष्पेन्द्र वर्मा अपनी पत्नी को डिलेवरी के लिये विगत 30 मार्च को ब्यावरा स्थित सिविल अस्पताल लेकर आये, जहां स्टॉफ नर्स द्वारा महिला का चेक-अप कर नार्मल डिलेवरी होने का भरोसा दिलाया। परिजनों द्वारा कई बार जब यह बात पूछी कि डिलेवरी नार्मल ही है, तो हर बार प्रबंधन द्वारा यही कहा गया कि सब कुछ नार्मल होगा। महिला के पति पुष्पेन्द्र वर्मा ने बताया कि रात 11.30 बजे डिलेवरी हुई । जिसके बाद बुलाया गया और कहा कि नवजात बच्चे को बचा नहीं सके, जबकि जो सोनोग्राफ ी और जांचे हुई उनमें सबकुछ ठीक-ठाक बताया गया। मामले में मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, राजगढ़ से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।