जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

नगर निगम की नगर विक्रय समिति फिर बहाल समिति भंग करने के आदेश को हाईकोर्ट ने किया निरस्त

जबलपुर | मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में शशिकांत सोनी , सदस्य , नगर विक्रय समिति , नगर पालिक निगम जबलपुर द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया गया था कि भारत सरकार ने स्ट्रीट वेंडर्स के संरक्षण हेतु स्ट्रीट वेंडर्स ( जीविका संरक्षण और पथ विक्रय विनियमन ) अधिनियम , 2014 पारित किया गया है जिसकी धारा 36 के अनुसार , राज्य सरकार इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए नियम बनाने का अधिकार रखती है । इसी अनुक्रम में मध्यप्रदेश शासन द्वारा म.प्र . पथ विक्रेता ( जीविका संरक्षण और पथ विक्रय विनियमन ) नियम 2017 बनाये गए हैं । इन नियमों के अधीन नगर पालिक निगम जबलपुर द्वारा जुलाई 2021 में नगर निगम आयुक्त की अध्यक्षता में 20 सदस्यों की नगर विक्रय समिति का गठन किया गया था जिसमें याचिकाकर्ता को भी सदस्य के रूप में नामित किया गया था किंतु मार्च 2022 में नगर निगम जबलपुर द्वारा अचानक समिति को भंग कर दिया गया तथा इसका कारण समिति के एक सदस्य के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज होना तथा एक अन्य के द्वारा समिति से नाम पृथक करने की इच्छा प्रकट करना बताया गया | उक्त आदेश को याचिकाकर्ता द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई जहाँ चीफ जस्टिस रवि मलिमथ व जस्टिस पी . के . कौरव की युगलपीठ द्वारा मामले की सुनवाई करते हुए जब माँगा गया , जबाब में नगर निगम की ओर से पेश हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता एच.एस. रुपराह द्वारा बताया गया कि नियम 2017 की धारा 10 में नगर निगम आयुक्त को नगर विक्रय समिति को भंग करने के अधिकार प्राप्त हैं उक्त शक्तियों को प्रयोग करते हुए यह समिति भंग की गयी है । याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता आलोक वागरेचा , विशाल बघेल द्वारा न्यायालय में दलील दी गयी कि नियम 2017 की कंडिका 9 के अनुसार भिन्न कारणों से समिति में रिक्त हुए पदों पर ही नवीन प्रक्रिया ा अनुसार नियुक्ति की जाना चाहिए किन्तु आयुक्त नगर निगम द्वारा उक्त नियम की पालना नहीं करते हुए सम्पूर्ण समिति को भंग कर दिया गया है , जो विधि विरुद्ध है | उक्त दलीलों को सुनने के पश्चात न्यायालय द्वारा आयुक्त द्वारा समिति भंग किये जाने संबंधी जारी आदेश को निरस्त कर दिया तथा नियम 2017 की कंडिका 9 का पालन करते हुए समिति में रिक्त पदों पर सदस्यों की नियुक्ति हेतु विधि पूर्ण कार्यवाही हेतु आदेश दिया । याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी अधिवक्ता आलोक वागरेचा , विशाल बघेल , दीपक तिवारी द्वारा की गयी

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