जबलपुरमध्य प्रदेश
थानों में पेंडेंसी अधिक , अनेक थाने पिछड़े : पुलिस का युद्ध स्तर पर निकासी पर फोकस


जबलपुर, यशभारत। 31 दिसंबर के पूर्व पुलिस थाना में दर्ज प्रकरण एवं शिकायतों का निष्पादन करने के निर्देश एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा द्वारा सभी थाना प्रभारियों को दिए गए हैं। लंबित प्रकरणों की त्वरित विवेचना एवं फ रार आरोपियों की गिरफ्तारी पर फ ोकस करते हुए जिले के सभी थानों की पुलिस युद्ध स्तर पर कार्य कर रही है। वहीं, अनेक थानों में पेंडेंसी अधिक होने चलते प्रयास जारी है।
निर्देश के अनुसार एएसपी सहित सीएसपी, एसडीओपी एवं डीएसपी अपने-अपने अनुभाग एवं संभाग के थानों में लंबित प्रकरणों की मॉनिटरिंग करते हुए निष्पादन में आने वाली परेशानी में मार्गदर्शन कर निकासी कर रहे है। 31 दिसंबर के पूर्व जो भी पेंडिंग अपराध हैं उनके अधिक से अधिक चालान न्यायालय में पेश करने के निर्देश के साथ-साथ महिला अपराधों से संबंधित प्रकरणों का विशेष रूप से रिव्यू करने की बात कही गई है। किसी भी मामले में महिलाओं से संबंधित पेंडेंसी नहीं रहना चाहिए। गुमशुदा नाबालिग व महिलाओं की बरामदगी एवं गुम इंसान के मामले में तेजगति से कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया है। पुलिस अधिकारियों का मानना है कि अपराध पर लगाम लगाना और लोगों को समय पर न्याय दिलाना पुलिस की प्राथमिकता में शामिल है।
इन थानों में पेंडेन्सी ज्यादा
पुलिस शिकायतों की निकासी और आरोपियेां को दबोचने लगातार प्रयासरत है। 31 दिसंबर के पहले तक नियमानुसार 5 प्रतिशत पेंडेंसी होना चाहिए। लेकिन शहर और देहात के अनेक थानों की स्थिति संतोषजनक नहीं है। जिसमें गढ़ा, ओमती, अधारताल सहित पनागर, रांझी सिहोरा में पेंडेंसी अधिक है। जिसकी निकासी करने पुलिस अब युद्धस्तर पर प्रयासरत है। ताकि किसी तरह स्थिति सम्हाली जा सके।
थानों में पडी हैं सैकड़ों फ ाइलें
पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक शहर के अनेक थानों में सैकड़ों केस फ ाइलें पड़ी हुई हैं। पेंडिंग चालान का मतलब उन फ ाइलों से है, जिसमें जांच अधिकारी चालान की सिफारिश कर चुका है, लेकिन वो उच्च अधिकारियों या कोर्ट प्रोसेस शुरू नहीं होने से पेंडिंग हैं। इसी तरह एफ आर फ ाइलों में सभी तरह के मुकदमे हैं, जो पुलिस ने सामान्य, विशेष एक्ट और आईपीसी में दर्ज किए हैं।
महिलाओं व मासूमों को न्याय मिलने में हो रही देरी
जबलपुर पुलिस के पास महिला अत्याचार और बाल अत्याचार कई मामले पेंडिंग हैं। ऐसे मामलों के अटकने से महिलाओं व मासूमों को न्याय मिलने में देरी हो रही है। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के भी कुछ प्रकरण पेंडिंग हैं। स्थानीय एवं विशेष अधिनियम के अनेक प्ररकण पेंडिंग हैं।
नए मामलों में आनाकानी….
सालभर की पेंडेंसी और उसकी निकासी के बीच अब नए प्रकरण दर्ज करने में आनाकानी का रवैया है। स्थिति के मुताबिक अब जो मामले आवश्यक है केवल उन्हीें पर एफआईआर दर्ज हो रहीं है, जबकि बाकी को बाद में आने, कार्रवाई करेंगे कहकर निपटाया जा रहा है। साथ ही बिना प्रकरण दर्ज किए केवल समझाईश देकर भी मुस्तैद पुलिस अनेक प्रकरणों का थाने से निपटारा कर रही है।