जबलपुर में आयुर्वेदिक फ्रेंचायजी देने के नाम पर 8.50 लाख की ठगी : व्यापारी गूगल में सर्च कर रहा था नया व्यापार

जबलपुर, यशभारत। ऑनलाइन ठगी का कारोबारा अपने चरम पर है। जिसके चलते जबलपुर के एक व्यवसायी को गूगल पर नए व्यवसाय की सर्चिंग 8.50 लाख की पड़ी। जालसाजों ने आयुर्वेदिक कंपनी की फ्रेंचाइजी देने के नाम पर व्यवसायी को इस कदर झांसे में फंसाया कि धीरे-धीरे कर उनकी जेब से लाखों की रकम निकलवाते गए। प्रकरण में स्टेट साइबर सेल शिकायत की गई है, जिसकी जांच चल रही है।
स्टेट साइबर सेल में यादव कॉलोनी निवासी इंटीरियर डिज़ाइनर के व्यवसाय से जुड़े पीड़ित ने शिकायत दर्ज कराई है। पीड़ित व्यवसायी ने बताया कि व्यवसाय बढ़ाने के लिए वह नए कारोबारी की तलाश में था। एक दिन गूगल पर सर्च कर रहा था। वहां उसे एक आयुर्वेदिक दवा कंपनी की वेबसाइट का पता चला। हालांकि ये वेबसाइट गूगल पर जालसाजों ने बना रखी है। स्टेट साइबर सेल के एसपी लोकेश सिंहा के मुताबिक वेबसाइट पर एक नंबर भी दिया गया था। उस पर पीड़ित व्यवसायी ने कॉल किया।
जालसाज़ ने की बात
पीड़ित व्यवसायी के मुताबिक कॉल रिसीव करने वाले ने खुद का परिचय पंकज आचार्य के तौर पर दी। बताया कि वह कंपनी में अधिकारी है। लोगों को झांसे में फंसाने के लिए दवा कंपनी से जुड़े नामचीन लोगों की फोटो और उनके संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी वेबसाइट पर दी गई थी। इसके चलते व्यवसायी का भरोसा और बढ़ गया था। व्यवसायी ने पंकज आचार्य को उसके बताए अनुसार सारे दस्तावेज भेज दिए।
प्रमाण पत्र भेजकर ठगा
व्यवसायी और पंकज के बीच सारी बातचीत नेट कॉलिंग और मोबाइल पर होती थी। पंकज ने व्यवसायी को एक प्रमाण पत्र भेजा। इसके बदले में 25 हजार रुपये की मांग की। ये रकम व्यवसायी ने उत्तराखंड स्थित बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी। फिर पंकज ने व्यवसायी की बातचीत किसी राजेंद्र गौतम से कराई। बताया कि राजेंद्र आयुर्वेदिक कंपनी में महामंत्री हैं। राजेंद्र ने कंपनी की फ्रेंचाइजी देने के एवज में पांच लाख रुपए धरोहर राशि की मांग की। इसी तरह पंकज और राजेंद्र अलग-अलग तरह का शुल्क और दस्तावेजी बात बता कर पैसे ऐंठते गए।
जमा कराते रहे रकम
जालसाजों ने पीड़ित व्यवसायी से दो माह तक रकम जमा कराते रहे। ये सारी रकम उत्तराखंड के अलग-अलग बैंक खातों में जमा कराए गए। आरोपियों ने 8 लाख 50 हजार रुपए जमा कराए। राजेंद्र व पंकज ने जबलपुर आकर प्रस्तावित जगह का सर्वे करने की बात भी कही थी। दो माह बाद अचानक दोनों जालसाजों ने अपने नंबर बंद कर लिए। तब व्यवसायी को ठगी का अहसास हुआ और वह स्टेट साइबर सेल पहुंचा। मामले को जांच में लिया गया है।