जबलपुर के लोगों की कहां गई संवेदनाएं, कलेक्टर मदद न करते तो तिलहरी लूट कांड में जान गंवाने वाले गार्ड की अंत्येष्टि तक नहीं होती

जबलपुर, यशभारत। दुर्भाग्य ही कहना होगा जब जबलपुर का नाम संस्कारधानी रखा होगा। समाज सेवा करने वालों की शहर में कमी नहीं है यहां नाम भी नहीं ले सकते हैं क्योंकि सूची बहुत बड़ी है। प्रत्येक त्यौहार में अनाथ आश्रम या फिर बस स्टेण्ड, रेलवे स्टेशन पर पहंुचकर समाजसेवी गरीबों के साथ संवदेना व्यक्त करते हैं उपहार स्वरूप उन्हें कपड़े या फिर खाना-पैसा देते हैं। लेकिन बीते दिनों अधारताल जवाहर नगर में रहने वाले पटेल परिवार के घर का नजारा जिसने भी जिसके बाद लगा कि जबलपुर के लोगों के अंदर से संवेदनाएं समाप्त हो गई हैं,। बात हो रही है तिलहरी लूट कांड में जान गंवाने वाले सुरक्षा गार्ड राज बहादुर पटेल की। परिवार आर्थिक मदद के लिए दर-दर भटक रहा है। कहा जा रहा है कि जिस दिन गार्ड पार्थिव शरीर घर पहंुचा तो परिवार के पास कफन उड़ाने के लिए पैसे नहीं थे,पूरी अंत्येष्टि करना दूर की बात थी।

यशभारत ने सच्ची पत्रकारिता पेश की
गार्ड परिवार के पास अंत्येष्टि के लिए पैसे नहीं होने की जानकारी जब यशभारत तक पहंुची तो यशभारत ने एक प्रहरी और सच्ची पत्रकारिता की मिसाल पेश करते हुए खबर प्रकाशित की साथ ही कलेक्टर डाॅक्टर इलैयाराजा टी को इस बारे में जानकारी दी। कलेक्टर ने भी बगैर देर किए पीड़ित परिवार के सदस्य को कलेक्ट्रेट बुलाकर 10 हजार रूपए की आर्थिक सहायता की। कलेक्टर की तत्काल मदद करने से परिवार ने सुरक्षा गार्ड के पार्थिव शरीर को पंचतत्व में विलीन किया ।
सिर्फ कलेक्टर और एक पार्षद ने मदद की
मृतक सुरक्षा गार्ड के परिवार ने कलेक्टर की आर्थिक सहायता राशि से अंत्येष्टि कार्यक्रम तो कर लिया लेकिन अब आगे के कार्यक्रम के लिए उनके पास पैसे नहीं है। परिवार पर दुखों का पहाड़ टूटा हुआ है। हैरानी इस बात पर है कि अगर कलेक्टर मदद न करते तो गार्ड का अंतिम संस्कार भी न होता। पीड़ित परिवार मप्र सरकार और प्रशासन से मांग कर रहा है कि घर के किसी एक व्यक्ति को रोजगार मुहैया कराया जाए। साथ ही त्रयोदशी कार्यक्रम हो सकें इसके लिए मदद की जाए।