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जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

जबलपुर का तत्कालीन कमिश्नर निकला भ्रष्टाचारीः 6 धोखेबाजों के साथ मिलकर शासन को लाखों का चूना लगाया

जबलपुर, यशभारत। भ्रष्टाचार से संबंधित एक शिकायत की जांच करते हुए आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ ईओडब्ल्यू ने नगर निगम के तत्कालीन कमिश्नर केएस दुग्गल, तत्कालीन सहायक यंत्री एके रेजा, तत्कालीन उप यंत्री बीके दुबे सहित नेपियर टाउन मोहित कंपलेक्स निवासी मालती माला राय, छोटी ओमती निवासी नितिन कुमार पाहुजा, नेपियर टाउन निवासी विनोद प्रेमचंदआनी एवं कचनार संभाग नेपियर टाउन निवासी दीपक खत्री के खिलाफ धारा 120 बी 420 467 468 471 भादवी एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 संशोधित 2018 के तहत एफआईआर दर्ज कर ली है।

पुलिस अधीक्षक आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) जबलपुर एसपी देवेंद्र प्रताप सिंह राजपूत के निर्देश पर शिकायत की जांच की गई । जिसमें पाया गया है कि श्रीमती बलवंत कौर द्वारा अपने प्लाट नंबर 69 भंवरताल एक्सटेंशन स्थित मकान में से एक ब्लाॅक 273-01 कुल रकबा 900 वर्ग फिट आरोपी मालती माला राय पुत्री बाला प्रसाद को 8 फरवरी 1979 को विक्रय किया था। आरोपियों ने मकान के 900 वर्ग फिट रकबा को कूट रचित दस्तावेज एवं नगर निगम जबलपुर के अधिकारियों के साथ षड्यंत्र कर 1693 वर्ग फिट रकवा पर लीज नवीनीकरण एवं स्थानांतरण करवा कर 81 लाख रुपए में आरोपी नितिन पाहुजा एवं अन्य को 3 जनवरी 2019 को बेच दिया।

आरोपी मालती माला राय ने उक्त मकान दिनांक 3 जनवरी 2019 विक्रय करने के उपरांत स्वयं मालिक ना होते हुए भी झूठा शपथ पत्र देकर उक्त मकान के संबंध में नगर निगम जबलपुर के आदेश दिनांक 31 मई 1978 की अवहेलना कर दिनांक 25 जनवरी 2020 को भवन अनुज्ञा अनुमति प्राप्त कर ली एवं आरोपी नितिन पाहुजा, दीपक खत्री, विनोद प्रेमचंदआनी द्वारा पूर्व निर्मित मकान को तोड़ कर पुनः निर्माण किया है।

इस प्रकार आरोपी मालती माला राय, नितिन पाहुजा, दीपक खत्री , विनोद प्रेमचंदआनी एवं नगर निगम जबलपुर के तत्कालीन अधिकारियों आयुक्त केएस दुग्गल, सहायक यंत्री एके रेजा एवं उपयंत्री बीके दुबे द्वारा षडयंत्र पूर्वक कूट रचित दस्तावेज तैयार कर धोखाधड़ी से प्लीज ट्रांसफर नवीनीकरण कर एवं स्वयं मालिक ना होते हुए भी भवन अनुज्ञा प्राप्त कर शासन को लगभग 12 लाख, 15 हजार रुपए की तथा 793 वर्ग फिट अपंजीकृत रखवा पर स्टांप ड्यूटी शुल्क ना देकर राजस्व की आर्थिक क्षति कार्य करने का अपराध घटित कर ना पाए जाने पर ईओडब्ल्यू द्वारा सभी सातों आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर विवेचना में लिया गया है।

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