कोरोना के आंकड़े : डेथ सर्टिफिकेट पर होगा कोरोना से मौत का जिक्र, सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद सरकार ने जारी की गाइडलाइन
अब कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों के डेथ सटिज़्फिकेट पर इसे मौत के कारण के तौर पर दजज़् किया जाएगा। यह जानकारी भारत सरकार ने सुप्रीम कोटज़् को दी है। सरकार ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसचज़् ने नई गाइडलाइन तैयार की हैं, जिसके तहत कोरोना से संबंधित मौतों में आधिकारिक डॉक्यूमेंट जारी किया जाएगा। सुप्रीम कोटज़् की तरफ से इस मामले में सख्ती दिखाए जाने के 10 दिन बाद सरकार ने यह गाइडलाइन्स जारी की हैं।
क्या कहती है गाइडलाइन
गाइडलाइन के मुताबिक, सिफज़् उन मौतों को कोरोना संबंधित माना जाएगा, जिनमें मरीज का क्रञ्ज-क्कष्टक्र टेस्ट, मॉलिक्यूलर टेस्ट, रैपिड-एंटिजन टेस्ट किया गया हो या किसी हॉस्पिटल या घर में डॉक्टर ने जांच करके कोरोना संक्रमण की पुष्टि की हो। ऐसे मरीजों की मौत का कारण कोरोना मानकर डेथ सटिज़्फिकेट में इसकी जानकारी दी जाएगी। जहर खाने, आत्महत्या, हत्या या एक्सीडेंट समेत दूसरे कारणों से होने वाली मौतों को कोरोना संबंधित मौत नहीं माना जाएगा, चाहे मरने वाला व्यक्ति कोरोना संक्रमित क्यों न हो।
ऐसे मरीज जिनकी अस्पताल में या घर पर मौत हुई और जिसमें पंजीकरण संस्था को जीवन और मृत्यु पंजीकरण एक्ट 1969 (सेक्शन 10) के तहत के मेडिकल सटिज़्फिकेट का फॉमज़् 4 और 4्र दिया गया है, सिफज़् उनकी मौत ही कोरोना संबंधित मानी जाएगी।
टेस्ट कराने के 30 दिन में होने वाली मौतें कोरोना संबंधित मानी जाएंगी
सुप्रीम कोटज़् को सौंपे गए हलफनामे के मुताबिक, ढ्ढष्टरूक्र के अध्ययन के मुताबिक, किसी व्यक्ति के कोरोना संक्रमित होने के 25 दिनों के अंदर 95त्न मौतें हो जाती हैं। नियमों में बदलाव करते हुए अब कोरोना टेस्ट की तारीख या कोरोना संक्रमित पाए जाने के दिन से 30 दिन के अंदर होने वाली मौतों को कोरोना संबंधित मौत माना जाएगा, भले ही मरीज की मौत अस्पताल या घर में बनी फैसिलिटी से बाहर हो।
हालांकि, अगर किसी कोरोना मरीज की अस्पताल या घर में बनी फैसिलिटी में भतीज़् रहते हुए 30 दिन के बाद मौत होती है, तो इसे कोरोना संबंधित मौत माना जाएगा।
गाइडलाइन में यह भी बताया गया है कि अगर किसी मौत के मामले में डेथ सटिज़्फिकेट उपलब्ध नहीं है, या मृतक का परिवार डेथ सटिज़्फिकेट में दिए गए मृत्यु के कारण से संतुष्ट नहीं है और जो ऊपर बताए मानकों से कवर नहीं होते, ऐसे मामलों में राज्य व केंद्रशासित प्रदेश जिला स्तर पर बनी एक कमेटी को सूचना देंगे।