कृषि विस्तार अधिकारियों की नियुक्तियों को चुनोती नियमो का गलत इम्प्लीमेंटेशन किया भूतपूर्व सैनिकों को अरक्षित थे 11 पद एक भी पद पर नही दी गई नियुक्ति
जबलपुर :- मध्यप्रदेश में भुतपूर्व सैनिको को नियुक्तयो में निरंतर रूप से धांधली की जा रही है । भुतपूर्व सैनिको को राज्य की भर्तियो में हॉरीजॉन्टल आरक्षण दिए जाने का प्रावधान है । लेकिन भर्ती एजेंसी व्यापम तथा पीएससी द्वारा हॉरीजॉन्टल आरक्षण तो दिया जाता है लेकिन क्वालीफाइंग मार्क सामान्य वर्ग अर्थात अनारक्षित के समान निर्धारित कर दिए जाते है जबकि नियम 1987 के नियम 6(क) के अनुसार अर्हता के अंको में रिलेक्शेसन कर निर्धारित किए गए पदों की प्रतिपूर्ति आवश्यक होता है । हाल ही में कृषि विस्तार अधिकारियों के पदों पर सीधी नियुक्ति में अनारक्षित वर्ग में भुतपूर्व सैनिको के लिए 11 पद अरक्षित थे , ली गई परीक्षा के बाद चयन सूची में एक भी भुतपूर्व सैनिक को चयनित नही किया गया । रीवा के भुतपूर्व सैनिक ऋषि केश पांडेय तथा राजू द्विवेदी ने आधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर के माध्यम से हाइकोर्ट में याचिका दाखिल कर चयन सूची की वैधानिकता को चुनोती दी गई । उक्त याचिका की सुनवाई दिनाँक 15 मार्च को जस्टिस श्री विवेक अग्रवाल की खंडपीठ ने की । आधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने कोर्ट को बताया कि भर्ती एजेंसी द्वारा शासन के निर्धारित नियमो के विरूद्ध सैनिक कोटे के पद के विरूद्ध नाट फार सूटेविल का नियम लागू करते हुए रिक्त रखे गए है जबकि उक्त पदों को पृथक से मेरिट लिस्ट बनाकर नियक्ति की जाना चाहिए थी तथा कट ऑफ मार्क सामान्य/अनारक्षित वर्ग के समतुल्य निर्धारित किए है तथा नियम 6(क) के प्रावधानों को अनदेखा करते भर्ती एजेंसी ने अवैधानिकता की है । उक्त पदों पर पिटीशन नियुक्ति हेतु उपयुक्त है । उक्त तर्कों से सहमत होते हुए न्यायलय ने मध्यप्रदेश समान्य प्रशासन विभाग तथा व्यापम से जबाब तलब किया है तथा अगली सुनवाई 30 मार्च नियत की है ।