ओबीसी चयनित शिक्षको को 13% होल्ड करने के विरूद्ध दायर याचिकाओ में शासन से जबाब तलब

जबलपुर:- मध्य प्रदेश में ओबीसी के 27% आरक्षण का विवाद अपने चरम पर है । आरक्षण अधिनियम 1994 में किए गए संशोधन दिनांक 14 अगस्त 2019 जिसमे ओबीसी को 14 से बढ़ाकर 27% आरक्षण की व्यस्था की गई है । उक्त संशोधन के प्रवर्तन पर हाईकोर्ट द्वारा किसी भी प्रकार की रोक या स्टे आदेश जारी नही किया गया है ।
जो भी स्थगन आदेश है वो याचिका की विषय बस्तु अर्थात (जजमेंट इन परसोना) जज मेन्ट इन रेम नही है । मध्यप्रदेश शासन की ओर से प्रकरणो में नियुक्त ओआईसी द्वारा दिनांक 11/6/2021 को आवेदन क्रमांक 5654/2021 हाईकोर्ट में दाखिल करके ओबीसी के 13% आरक्षण को होल्ड करने का निवेदन किया गया जिस पर हाईकोर्ट ने दिनांक 13/7/2021 को शासन की सहमति से आदेश पारित करके शिक्षक भर्ती में ओबीसी का 13% होल्ड किया गया तथा ews के 10% आरक्षण को याचिका के निर्णयाधीन लागू करने का आदेश दिया गया ।
अक्टूबर 2021 में की गई शिक्षको की नियुक्तियो में ओबीसी के 16 विषयों में 13% पदों को होल्ड कर दिया गया है जिसके विरूद्ध सैकड़ो ओबीसी के चयनित शिक्षको ने ओबीसी एडवोकैट्स वेलफेयर एसोसिएशन के अधिवक्ताओ के माध्यम हाईकोर्ट में अनेक याचिका याचिकाएं दायर की है ।
उक्त याचिकाओ में से दो याचिकाओ WP/ 25487/21 तथा 25589/21 की सुनवाई मुख्यानयमूर्ति रवि मलिमथ तथा विशाल मिश्रा की खंडपीठ द्वारा की गई ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर के अधिवक्ताओ ने तर्क दिए की ओबीसी के 27% आरक्षण के प्रवर्तन पर हाईकोर्ट की कोई रोक नही है तथा उक्त आरक्षण की वैधानिकता को डिसाइड करने में माननीय न्यायालय को समय लग रहा है तथा शासन पक्ष भी उक्त प्रकरणो को हर पेशी कुछ न कुछ वहाना बनाकर समय ले रहा है
तथा माननीय न्यायालय के समक्ष EWS आरक्षण को भी ठीक उन्ही आधारों पर चुनोती दी गई है, जिन आधारों पर ओबीसी आरक्षण को तथा न्यायालय द्वारा EWS को याचिका क्रमांक 20293/19 के निर्णयाधीन लागू करने का आदेश दिया गया ठीक उसी प्रकार समानता के आधार पर ओबीसी का भी 27% आरक्षण लागू करने का आदेश दिया जाए । न्यायालय द्वारा उक्त तर्कों से सहमत होते हुए याचिका को विचारार्थ स्वीकार करते हुए 6 सप्ताह के अंदर शासन से जबाब तलब किया गया है ।