ओबीसी आरक्षण 22 जून को होगी अब सुनवाई : हाईकोर्ट में डाटा दाखिल करने की जिम्मेदारी सरकार की, कोर्ट नहीं करेगी आदेश

जबलपुर, यशभारत। ओबीसी आरक्षण को 14 से 27 प्रतिशत किए जाने को चुनौती देने वाली सभी 61 याचिकाओं पर आज महत्वपूर्ण सुनवाई हुई। जस्टिस शील नागू और जस्टिस मनिंदर सिंह भट्टी की डिवीजन बेंच में सुनवाई करते हुए 22 जून को सभी प्रकरणों की सुनवाई करने के आदेश दिए। इस दौरान कोर्ट ने मप्र सरकार से कहा कि हाईकोर्ट में डाटा दाखिल करने की जिम्मेदारी सरकार की इसमें कोर्ट आदेश नहीं करेगी।
हाईकोर्ट में 2019 में अशिता दुबे सहित अन्य की ओर से ओबीसी आरक्षण की सीमा 13 से 27 प्रतिशत किए जाने को चुनौती दी गई है। कुल 61 याचिकाओं की एक साथ सुनवाई होनी थी लेकिन आगामी सुनवाई के लिए मप्र सरकार ने सॉलीसिटर जनरल के नाम पर सुनवाई आगे बढ़ाने का निवेदन किया। । अभी तक हाईकोर्ट ने 27 प्रतिशत आरक्षण पर रोक लगा रखी है।
कुल आरक्षण 73 प्रतिशत हो जा रहा है
मप्र में ओबीसी का 27 और ईडब्ल्यूएस का 10 प्रतिशत आरक्षण मिला दें तो कुल आरक्षण 73 प्रतिशत हो जा रहा है। मप्र सरकार की ओर से ओबीसी आरक्षण के समर्थन में एमपी में ओबीसी की अधिक आबादी, उनके आर्थिक, सामाजिक सहित अन्य डेटा को आधार बता रही है। सरकार ने हाईकोर्ट में पैरवी करने के लिए रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक शाह सहित अन्य अधिवक्ताओं को नियुक्त कर रखा है।