एक्टर को बच्चों के समान मंच पर खेलना चाहिए: प्रसन्ना

एक्टर को बच्चों के समान मंच पर खेलना चाहिए: प्रसन्ना
जबलपुर यश भारत। सुप्रसिद्ध नाटक निर्देशक और नाट्य शिक्षक प्रसन्ना जी के वर्कशॉप के पहले दिन आज उन्होंने अभिनय करने की तैयारियों पर बात की। उन्होंने कहा कि अभिनेता को अभिनय नहीं करना है वरन उसे बच्चों के समान मंच पर खेलना है तभी वो स्वाभाविक अभिनय कर सकेगा। उसे अपने चरित्र का बोझ लेकर मंच पर नहीं जाना चाहिए। उसे प्रस्तुति से ज्यादा रिहर्सल में मेहनत करना चाहिए। नाट्यशास्त्र पर बात करते हुए उन्होंने कहा की अभिनय मतलब नकल करना है। यही ग्रीक परंपरा में भी कहा गया है। प्रसन्ना जी ने विभिन्न संस्थाओं के लगभग 75 उपस्थित अभिनेताओं से कुछ अभ्यास भी कराए।
कार्यशाला 25 मार्च मंगलवार को रानी दुर्गावती संग्रहालय की कला वीथिका में सुबह 10.30 बजे से जारी रहेगी। शाम सात बजे कला वीथिका में प्रसन्ना जी की नई पुस्तक एक्टिंग एंड बियोंड का विमोचन एक सार्वजनिक कार्यक्रम में होगा। विवेचना व सभी नाट्य संस्थाओं ने उपस्थिति का आग्रह किया है।