आदिवासी चेहरे फग्गन सिंह ने मंडला को बनाया भाजपा का गढ़ जानिए दिलचस्प पहलू…. पढ़े पूरी रपट

मंडला, यश भारत। केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते मंडला संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंोने मप्र में हाल ही में विधानसभा चुनाव भी लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। आदिवासी चेहरे फग्गंन सिंह कुलस्ते ने मंडला को बनाया भाजपा का गढ़, अटल सरकार में भी मंत्री रहे हैं केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते मंडला संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं।
मंडला संसदीय क्षेत्र की पहचान देश के बड़े आदिवासी चेहरे फग्गन सिंह कुलस्ते के नाम पर है। वह वर्तमान में केंद्रीय राज्यमंत्री के रूप में मोदी सरकार व इसके पहले अटल सरकार में भी मंत्री रहे हैं। जब से उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ना शुरू किया, मंडला संसदीय क्षेत्र भाजपा का गढ़ बन गया। पहली बार वर्ष 1996 में कांग्रेस के दिग्गज मोहनलाल झिकराम को हराकर वह लोकसभा पहुंचे थे। इसके बाद 2004 तक वह लगातार जीते। 2009 में कांग्रेस के बसोरी सिंह मसराम से हार मिली।
हार के बाद कुलस्ते को राज्यसभा सदस्य बना दिया गया था। 2014 में चुनाव लड़कर फिर लोकसभा पहुंच गए। इसके बाद 2019 में भी उन्होंने जीत दर्ज की। पिछले वर्ष केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें विधानसभा के चुनाव में उनके गृहक्षेत्र निवास विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतार दिया। कुलस्ते यह चुनाव हार गए। यह हार देशभर में चर्चा का विषय बन गई। अब आगामी लोकसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में उनके टिकट पर संशय के बादल मंडरा रहे हैं।
उनका राजनीतिक भविष्य क्या होगा, यह आने वाला समय ही बताएगा। मंडला क्षेत्र आदिवासी बहुल क्षेत्र है। यहां उद्योग धंधे अधिक न होने से स्थानीय लोग बेरोजगार हैं। संसदीय क्षेत्र में विकास कार्य तो हुए हैं, लेकिन पलायन, बेरोजगारी जैसे मुद्दे अब भी हावी हैं, जो इन विकास कार्यों को पीछे छोड़ देते हैं। मंडला जिले में उद्योगों का अभाव है। जो उद्योग हैं, उनमें जिले के लोगों का कम काम मिल रहा है। यहां मनेरी में औद्योगिक क्षेत्र है लेकिन यह मंडला से दूर है, जबकि जबलपुर के नजदीक है। ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग हर साल महानगरों की ओर पलायन करते हैं। यह समस्या लंबे वक्त से है, जिसे दूर नहीं किया जा सका है।
जबलपुर से मंडला के बीच एनएच 30 का निर्माण 2015 से चल रहा है, जो अब भी पूरा नहीं हुआ है। काम अंतिम चरण में है लेकिन गुणवत्ता ठीक न होने की शिकायत है। सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को भी मंडला आगमन पर इस सड़क के लिए माफी मांगनी पड़ी थी और ठेकेदार का टेंडर निरस्त करना पड़ा था। अब इस सड़क की मरम्मत के लिए भी 54 करोड़ की राशि जारी की गई है। यह अधूरा निर्माण कब पूरा होगा, कहा नहीं जा सकता।
जबलपुर से मंडला के बीच वर्षों से बन रहा नेशनल हाईवे-30 गले की फांस बन गया है। इसकी वजह से अन्य विकास कार्य का श्रेय भी पीछे छूट गया है। ग्रामीण क्षेत्र की सड़कें पहले की अपेक्षा काफी बेहतर हुई हैं। मुख्य मार्ग से ग्रामीण सड़कें प्रधानमंत्री ग्राम सड़क के माध्यम से जुड़ी हैं।
शिक्षा, स्वास्थ्य में पहले से काफी सुधार हुआ है। हालांकि जिला मुख्यालय में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी बनी हुई है। इसी तरह मेडिकल कालेज की स्वीकृति तो काफी पहले मिल गई थी, लेकिन जमीन आवंटित न होने से भवन निर्माण का कार्य टलता रहा। ऐन विधानसभा चुनाव के पहले जमीन आवंटित हुई, जिसके बाद भवन निर्माण के लिए टेंडर की प्रक्रिया हो सकी। हालांकि जिले को मिला मेडिकल कालेज आदिवासी अंचल के लिए एक बड़ी सौगात साबित होगा।
आदर्श ग्राम पंचायत कापा नर्मदा तट किनारे है। यह मुख्य मार्ग से जुड़ चुका है। बैगा बहुल इस गांव की स्थिति सांसद के गोद लेने के बाद सुधरी है। यहां पक्की सड़क, बिजली की समस्या दूर हुई है।
सड़कें पक्की बनाई जा चुकी हैं। एकमात्र सड़क की समस्या समरहा टोला में है। जल जीवन मिशन से नल-जल योजना का काम चल रहा है। प्राथमिक से हायर सेकंडरी स्कूल तक भवन बन चुके हैं। गांव आने पर मोबाइल नेटवर्क नहीं मिलता है। यहां किसी भी कंपनी का टावर नहीं है। लोगों को गांव से बाहर जाकर मोबाइल से संपर्क साधना पड़ता है। गांव में सिंचाई के लिए एक बांध बनाया गया था, जो फूट जाने के बाद सुधार कार्य नहीं हुआ है।