जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

मेडिकल एमयू यूनिवर्सिटी में भर्राशाही खत्म: 2 करोड़ 36 लाख का काम अब सिर्फ 76 लाख में होगा!

छात्रों की डिग्री-अंकसूची और प्रवेश प्रक्रिया में यूनिवर्सिटी को हर साल लग रही थी 1 करोड़ 60 लाख की चपत

WhatsApp Icon
Join Yashbharat App

जबलपुर, यशभारत। मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में भर्राशाही पूरी तरह से खत्म होने जा रही है। एमयू का खजाना भी भरेगा और आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी। दरअसल विद्यार्थियों के ऑनलाइन परिणाम से लेकर मार्कशीट और डिग्री बनाने का काम अब तक 2 करोड़ 36 लाख में हो रहा था परंतु यही काम अब सिर्फ 76 लाख में होगा। विद्यार्थियों के ऑनलाइन परिणाम से लेकर मार्कशीट और डिग्री बनाने में जो भर्राशाही चल रही थी वह बंद हो जाएगी। विवि प्रबंधन यह काम मैरिट टेक कंपनी से कराने जा रही है जो प्रत्येक विद्यार्थी के दर से ऑनलाइन परिणाम, मार्कशीट और डिग्री बनाने पर सिर्फ 95 रूपए लेगी। इससे पहले दूसरी कंपनी 295 रूपए में यह काम कर रही थी। विवि में करीब 80 हजार विद्यार्थी दर्ज है। इस काम में विवि को हर साल 1 करोड़ 60 लाख की चपत लग रही थी।

साल 2018 में माइंडलॉजिक्स कंपनी से हुआ था अनुबंध
एमयू ने ऑनलाइन परीक्षा एवं परिणाम संबंधी प्रक्रिया के लिए 16 जुलाई 2018 को बैंगलूरु की माइंडलॉजिक्स इन्फ्रा टेक लिमिटेड के साथ अनुबंधन किया था। लेकिन जांच में ऑनलाइन रिजल्ट प्रक्रिया में खामी, गोपनीयता भंग होने और निविदा शर्तों के विरुद्ध कामकाज संपादित करने का मामला मिलने पर वर्ष 2018 के अनुबंध को निरस्त किया जा चुका है।

ऐसे समझे कैसे बचेंगे एमयू को पैसे
उल्लेखनीय है कि विवि में करीब 80 हजार विद्यार्थी है। एक विद्यार्थी के ऑनलाइन परिणाम, मार्कशीट और डिग्री पर विवि पहले 295 रूपए खर्च कर रहा था। इसमें एमपी ऑनलाइन को विद्यार्थी के प्रवेश के लिए 75 रूपए और माइंडलॉजिक्स इन्फ्रा टेक कंपनी को डिग्री और मार्कशीट के लिए 220 रूपए दिया रहा था । लेकिन अब विवि इन सब कामों के लिए सिर्फ 95 रूपए नई कंपनी को देगा। 295 रूपए के हिसाब से 80 हजार विद्यार्थियों पर 2 करोड़ 36 लाख रूपए खर्च हो रहे थे लेकिन अब 76 लाख रूपए यह काम होगा।

परिणामों में गड़बड़ी होने पर पूरे प्रदेश में एमयू की साख गिरी
मालूम हो कि अप्रैल में प्रभारी परीक्षा नियंत्रक डॉ. वृंदा सक्सेना अवकाश पर थीं। तब अन्य अधिकारी को परीक्षा नियंत्रक का प्रभार सौंपा गया, लेकिन अवकाश पर रहते हुए परीक्षा नियंत्रक ने डेंटल और नर्सिंग पाठ्क्रम के प्रेक्टिकल परीक्षा के अंकों में बदलाव के लिए माइंडलॉजिक्स कंपनी को ई-मेल किया। यही नंबर कंपनी के असिस्टेंट मैनेजर ने पोर्टल में अंक दर्ज किए। अंकों में परिवर्तन से पूर्व कंपनी ने न तो तत्कालीन प्रभारी परीक्षा नियंत्रक और न ही कुलपति से अनुमोदन प्राप्त किया। इसी शिकायत पर कुलसचिव डॉक्टर जेके गुप्ता की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति ने जांच की तो निजी कंपनी की परीक्षा परिणाम की प्रक्रिया में कई गड़बड़ी उजागर हुई। इस गड़बड़ी के बाद एमयू की साख पूरे प्रदेश में गिरी और कई तरह के बदलाव हुए।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button