बेटी ने निभाया बेटे का फर्ज, तोड़ी परंपरा : पिता क़ो दी मुखाग्नि

मण्डला lबेटियाँ किसी भी मायने में बेटों से कम नहीं, इस सोच को मंडला जिले की एक बेटी ने सच कर दिखाया है। बम्हनी बंजर निवासी खुशबू हरदहा ने अपने पिता के निधन पर न केवल उन्हें मुखाग्नि दी, बल्कि अंतिम संस्कार की सभी रस्में निभाकर समाज की सदियों पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए एक नई मिसाल कायम की है।
बताया गया कि राजनीति और समाज सेवा में सक्रिय रहे स्वर्गीय मनमोहन हरदहा का 12 मई बुद्ध पूर्णिमा को मुंबई में निधन हो गया था। उनका पार्थिव शरीर एम्बुलेंस से मंडला में उनके गृहग्राम बम्हनी बंजर वार्ड क्रमांक 4 लाया गया, जहाँ 13 मई को सर्री घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। जानकारी अनुसार परिवार में पुत्र न होने के बावजूद उनकी बड़ी बेटी खुशबू हरदहा ने अपनी बहन निशिता के साथ मिलकर अपने पिता को नम आंखों से विदाई दी। खुशबू ने आगे बढ़कर न केवल अपने पिता को मुखाग्नि दी, बल्कि पूरे विधि-विधान के साथ अंतिम संस्कार की सभी रस्में निभाईं। यह दृश्य उपस्थित लोगों के लिए अत्यंत भावुक क्षण था और समाज को एक गहरा संदेश दे गया कि बेटियाँ भी बेटों की तरह हर जिम्मेदारी निभा सकती हैं। इस अवसर पर हरदहा समाज जिला महासभा मंडला के अध्यक्ष कृष्णकुमार हरदहा, संरक्षक गोपाल हरदहा, बम्हनी इकाई अध्यक्ष महेन्द्र हरदहा, आनंद गुप्ता, प्रहलाद मूलचंदानी, डालचंद केशवानी, अखिलेश चंदौल, अरविन्द सहित समाज के कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। बेंगलुरु, दिल्ली, पुणे, प्रयागराज, जबलपुर, रायपुर, नागपुर और ग्वालियर से आए समाजजनों ने भी इस दुखद घड़ी में परिवार को ढांढस बंधाया। बताया गया कि खुशबू हरदहा का यह साहसिक कदम सिर्फ एक अंतिम संस्कार की रस्म तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह बदलाव, समानता और नारी शक्ति का प्रतीक बन गया। आज उनकी इस पहल की पूरे हरदहा समाज और मंडला क्षेत्र में सराहना हो रही है और यह अनेक लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है।