न्यू लाइफ मल्टीस्पेशलिटी में हुईं मौतों के बाद कांप गयी संस्कारधानी : बदहवाश लोग अपने परिजनों को तलाशते रहे, जब मौत की खबर आई तो….!!!

जबलपुर, यशभारत। दमोहनाका स्थित न्यू लाइफ मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल की अग्रिहादसे में 8 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। इन मौतों के पीछे कई कहानियाँ छुपी हुईं हैं। यह हादसा संस्कारधानी को कभी ना भरने वाला जख्म दे गया। हॉस्पिटल में आग लगने की खबर के बाद लोग मौके पर पहुंचकर अपनों को तलाशते रहे, वे सीधे अंदर जाना चाहते थे, लेकिन मौके पर मौजूद पुलिस-प्रशासन ने उन्हें सुरक्षा कारणों से रोक दिया। जिसके बाद वह अस्पताल के अंदर से झुलसे मरीजों को टकटकी लगाए रुंधे स्वर और डबडबाई आंखों से ताकते रहे और जैसे ही मरीजों की मौत की खबर आई तो….!!!
भतीजे और भाभी की मौत
न्यू लाइफ मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में जिंदा जलने वालों में सोनू उर्फ अमर यादव (26) पुत्र श्रीपाल यादव और उसकी चाची अनुसुईया भी शामिल हैं। दोनों चित्रकूट मानिकपुर (यूपी) के गुरौला गांव के रहने वाले थे। सोनू की बुआ बबेरू आलमपुर-बांदा (यूपी) निवासी दीपा यादव पत्नी जियालाल का लिवर खराब है। उसे सोमवार को डिस्चार्ज कराकर वे घर जाने वाले थे। बुआ दीपा को बैठाकर सोनू और उसकी चाची काउंटर पर बिल के रुपए जमा कर रहे थे, तभी ये हादसा हुआ और दोनों आग में घिर गए।

छिन गया इकलौता भाई
अस्पताल कर्मी वीर सिंह (30) पुत्र राजू ठाकुर कंचनपुर अधारताल (जबलपुर) का रहने वाला था। अस्पताल में वार्डबॉय का काम करता था। हादसे के बाद मरीजों की जान बचाने के प्रयास में वह खुद मर गया। वीर सिंह परिवार में इकलौता बेटा था। रक्षाबंधन से पहले भाई को खो चुकी दोनों बहनें रोशनी और चांदनी का बुरा हाल है।

दो महीने पहले ही जॉइनिंग
नरसिंहपुर की नर्स महिमा जाटव (23) पुत्री श्यामलाल जाटव ने 2 महीने पहले ही हॉस्पिटल जॉइन किया था। वह विजय नगर में क्वार्टर लेकर रह रही थी। अस्पताल से उसे 6 हजार रुपए मिल रहे थे। हादसे के बीच चीखते मरीजों की जान बचाने के प्रयास में महिमा की मौत हो गई।

बेटी की जान चली गई
उदयपुर मंडला निवासी संगीता बाई (30) पति स्व. कालूराम अपने पिता देवलाल बरकड़े (55) का इलाज कराने आई थी। उनके पैर में घाव हो गया था। पति के निधन के बाद से संगीता मायके में ही रह रही थी। हादसे में देवलाल बरकड़े दम घुटने से बेहोश हो गए थे। संगीता की मौत हो गई। उसकी शिनाख्त सबसे आखिरी में हो पाई। देवलाल बरकड़े को निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
भाई हो गया हादसे का शिकार
आगासौद माढ़ोताल पाटन रोड निवासी दुर्गेश सिंह (42) का पैर फ्रैक्चर हो गया था। अस्पताल में ऑपरेशन किया गया था। सोमवार शाम को डिस्चार्ज होने वाले थे। दोपहर में एक रिश्तेदार का निधन हो गया। बड़ा भाई मंगल सिंह वहां के लिए रवाना हो गया। इधर, अस्पताल में आग लग गई और दुर्गेश सिंह उसकी चपेट में आ गया। जब तक मंगल अस्पताल पहुंचा, उसके भाई की सांसें टूट चुकी थी।

जान बचाने में चली गई जिंदगी
नारहदाखोई नारायणपुर (सतना) निवासी शुभाती वर्मा (24) पुत्री मनोज वर्मा अस्पताल में दो साल से बतौर नर्स कार्यरत थी। हादसे के बाद मरीजों की जान बचाने के प्रयास में वह खुद जिंदगी की जंग हार गई। जबलपुर निवासी नाना मैयादीन वर्मा ने बताया कि सोमवार शाम 5 बजे उनके पास फोन आया। मेडिकल कॉलेज में नातिन के शव की पहचान कराई गई।
शुभाती वर्मा के पिता मनोज वर्मा मुंबई में प्राइवेट जॉब करते हैं। वह चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी थी। 8 हजार पगार पाने वाली शुभाती वर्मा अपनी छोटी बहन प्रीति को साथ रखकर कॉलेज की पढ़ाई करा रही थी।

भर्ती हुआ था तन्मय
घमापुर खटीक मोहल्ला (जबलपुर) निवासी तन्मय विश्वकर्मा (19) पुत्र अमन विश्वकर्मा उलटी-बुखार के चलते हादसे से कुछ देर पहले ही भर्ती हुआ था। वह 11वीं में पढ़ रहा था। तीन भाइयों में सबसे बड़ा था। पिता कारपेंटर हैं। वह दोस्तों के साथ अस्पताल में इलाज कराने गया था। वह ग्राउंड फ्लोर में भर्ती था।

हादसे का खौफ
हादसे में उदयपुर मंडला निवासी देवलाल बरकड़े (55) सहित बिजौरी बैढ़न निवासी अमित शर्मा (24), बांदा मानिकपुर यूपी निवासी दीपा यादव (40), बरौदा पनागर निवासी रूबी पटेल (25), और शहपुरा भिटौनी निवासी हल्कीबाई अहिरवार (62) बच गए, लेकिन इस हादसे का खौफ उनकी आंखों में ताउम्र के लिए कैद हो गया।