चरवाहों के हित में समान कर चरवाहा नीति पर मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने जताई आपत्ति
![चरवाहों के हित में समान कर चरवाहा नीति पर मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने जताई आपत्ति 1 30 03 2021 court case 30 3 2021](https://yashbharat.co.in/wp-content/uploads/2023/04/30_03_2021-court_case_30-3-2021-780x470.jpg)
जबलपुर, यशभारत। पशु समन्वयक द्वारा मध्यप्रदेश राज्य में दूसरे राज्यों से आने वाले चरवाहों से अपने पशु चराने हेतु मध्यप्रदेश राज्य में अलग अलग जिलों में कर की अलग अलग वसूली की जाती है। जो संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है। जिसकी आड़ में वन विभाग के कुछ अधिकारी कर के नाम पर अवैध वसूली करते है। इतना ही नहीं अवैध रुपये नहीं देने पर राजनीतिक रुप से दबाव बनाकर कानूनी दांव पेंच में फंसा देने की धमकियां देते हंै।
एडवोकेट देवराज विश्वकर्मा ने पूरी जानकारी देते हुए बताया कि रेवतराम निवासी राजस्थान ने माननीय न्यायलय के समक्ष रिट याचिका दायर करते हुए प्रार्थना कि , अन्य राज्यों से आने वाले चरवाहों के लिए कम से कम एक रास्ता नियत कर एक समान कर की व्यवस्था की जाए। चूकिं मध्यप्रदेश राज्य के चरवाहों के लिए यह कर एक साल की अवधि तक सीमित रहता है। वहीं, अन्य राज्यों से आने वाले चरवाहों के लिए यह कर 45 दिवस व एक जिले तक ही सीमित है। उक्त प्रकरण पर माननीय न्यायलय ने सुनवाई के दौरान राज्य शासन को चरवाहों के लिए नीति जल्द से जल्द बनाने को लेकर जबाव मांगते हुए फटकार लगाई है। प्रकरण में याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट देवराज विश्वकर्मा ने याचिकाकर्ता का पक्ष रखा।