यशभारत कहानी: अकेले शख्स ने बदली 20 बंजर पहाड़ियों की किस्मत
ओडिशा के सुधीर राउत बने हरियाली के मसीहा

बरहमपुर: अगर आप बरहमपुर की उन पहाड़ियों को आज देखेंगे, जो कभी वीरान और बंजर हुआ करती थीं, तो शायद आपको अपनी आँखों पर विश्वास नहीं होगा। 63 वर्षीय सुधीर राउत नामक एक अकेले व्यक्ति ने बिना किसी बाहरी आर्थिक सहायता के इन 20 पहाड़ियों को घने जंगल में तब्दील कर दिया है। उनकी यह अद्भुत कहानी पर्यावरण संरक्षण के प्रति अटूट समर्पण और दृढ़ संकल्प का जीता-जागता उदाहरण है।
2007 में शुरू हुआ हरियाली का सफर

शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े सुधीर राउत ने 2007 में बरहमपुर शहर और उसके आसपास पेड़ लगाने का संकल्प लिया था। धीरे-धीरे उनका यह शौक एक मिशन बन गया। लेकिन उन्हें असली पहचान तब मिली जब 2017 में उन्होंने ‘लांडा पहाड़ा’ यानी बंजर पहाड़ पर वृक्षारोपण का দুঃसाहसिक कार्य शुरू किया।
आठ सालों की मेहनत लाई रंग
यह अविश्वसनीय लगता है, लेकिन पिछले आठ वर्षों में सुधीर राउत और उनके कुछ प्रकृति-प्रेमी साथियों की अथक मेहनत रंग लाई है। आज, लगभग 20 बंजर पहाड़ हरे-भरे दिखाई देते हैं, और मैदानी इलाकों में भी हरियाली का साम्राज्य है।
भौतिक लाभ नहीं, हरी-भरी संस्कृति है जरूरी
ईटीवी भारत से बात करते हुए राउत ने कहा, “आजकल लोगों में अपनी युवा पीढ़ी को पैसा, घर और गाड़ी देने की होड़ है। यह सब भौतिक चीजें हैं जो शायद रातोंरात कमाई जा सकती हैं। लेकिन क्या हम अपने आसपास एक स्वस्थ और हरा-भरा वातावरण तुरंत बना सकते हैं? नहीं, इसके लिए हमें एक संस्कृति विकसित करनी होगी, जिसमें पेड़ लगाना और उनकी देखभाल करना शामिल हो, और इसमें सालों लग जाते हैं।”
सीड बॉल बनी संजीवनी
पहाड़ों जैसे दुर्गम क्षेत्रों में पेड़ लगाना आसान नहीं था। राउत ने बताया कि उन्हें 2019 में अमरकंटक में सीड बॉल तकनीक के बारे में पता चला। उन्होंने वहां से मशीन हासिल की और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। सीड बॉल की मदद से उन्होंने दूर-दराज और पथरीली पहाड़ियों पर भी हरियाली पहुँचाई।
निजी बचत से किया पर्यावरण संरक्षण
यह जानकर हैरानी होती है कि सुधीर राउत को इस नेक काम के लिए किसी भी प्रकार की आर्थिक सहायता नहीं मिली। उन्होंने अपनी निजी बचत से ही अब तक 80,000 से अधिक पेड़ लगाए हैं। वह लोगों से भी अपील करते हैं कि पेड़ों को न काटें, क्योंकि विकास का पहला प्रभाव पेड़ों पर ही पड़ता है, जिसका सीधा असर तापमान पर होता है।
स्वयंसेवकों ने बढ़ाया हौसला
राउत के साथ काम करने वाले स्वयंसेवक भीमराज पात्रा कहते हैं, “यह आदमी किसी चमत्कार से कम नहीं है। बिना किसी मदद के वह अपने लक्ष्य की ओर लगातार बढ़ रहे हैं, और इसका सबसे बड़ा फायदा हमारी आने वाली पीढ़ियों को मिलेगा।” सेवानिवृत्त प्रिंसिपल श्यामसुंदर खडंगा भी 2016 से उनके साथ जुड़े हैं और पौधारोपण के आनंद को शब्दों में बयां नहीं कर पाते। सामाजिक कार्यकर्ता सबिता साहूकार 2017 से राउत के साथ हैं और उनकी ईमानदारी और समर्पण की प्रशंसा करती हैं।
सुधीर राउत की यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची लगन और पर्यावरण के प्रति प्रेम से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। उनकी यह पहल न केवल ओडिशा के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणास्रोत है।