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यश भारत एक्सक्लूसिव : मैहर में मां शारदा से पहले करने चाहिए मां की बड़ी बहन के दर्शन : भोजपत्र में कामना लिख कर खिचड़ी के साथ अर्जी लगाए, संपूर्ण मनोकामना होगी पूर्ण

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यश भारत सतना| मैहर में स्थित मां शारदा का पावन धाम तो विश्व प्रसिद्ध है. लेकिन, मां शारदा की बड़ी बहन सत्य माता के मंदिर के बारे में बहुत कम ही लोगों को पता है. सत्य माता का मंदिर मां शारदा के मंदिर से 15 किलोमीटर दूर परसमनिया के घने जंगलों के बीच क्षेत्र की सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला पर है. मान्यता के अनुसार, जैसे माता सती का हार मैहर में गिरा तो मां शारदा को मैहर माता के नाम से जाना गया, ठीक उसी तरह मां सती का यहां छत्र गिरा था, इसलिए इन्हें छतरी देवी, छतई माता के नाम से भी जाना जाता हैl

माता रानी शारदा महारानी की बड़ी बहन पहले उनकी होती है पूजा
माता रानी शारदा महारानी की बड़ी बहन पहले उनकी होती है पूजा

मैहर माता के पहले करें सत्य माता के दर्शन

सत्य माता मंदिर के पुजारी महेंद्र पाठक ने बताया कि मां शारदा और उनकी बड़ी बहन सत्य माता संध्याकाल में एक साथ बैठी हुई थी. तभी दोनों के बीच शर्त लगी कि जो प्रातःकाल सूर्योदय से पहले अपने मंदिर कर निर्माण कार्य पूर्ण कर लेगा, कलयुग में उसे अधिक पूजा जाएगा. दोनों ने शर्त के मुताबिक मंदिर निर्माण शुरू कर दिया और देर रात भोर से पहले मां शारदा ने अपनी पर्वत श्रृंखला के ऊपर मंदिर निर्माण के दौरान एक दीया जला दिया, क्योंकि सत्य माता मंदिर से मां शारदा का स्थान पूर्व की ओर था. उन्हें लगा कि सूर्योदय हो गया और वह शर्त हार गईं, इसलिए उन्होंने मंदिर निर्माण कार्य रोक दिया और अपने दोनों बच्चों के साथ सती हो गईं. इस बात की जानकारी होते ही मां शारदा को बहुत दुःख हुआ और उन्हें लगा की मेरे द्वारा हुई भूल की वजह से मेरी बड़ी बहन बच्चों के साथ सती हो गई, इसलिए शारदा मां ने वरदान दिया कि जो भी मनुष्य मेरे दर्शन से पहले मेरी बड़ी बहन सत्य माता के यहां भोजपत्र में अपनी मनोकामना लिख कर खिचड़ी के साथ अर्जी लगाएगा, उसकी संपूर्ण मनोकामना पूर्ण होगीl

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माता दुर्गा जगत जननी का ही एक रूप है मां शारदा मैया

अलौकिक और दिव्य है धाम

दोनों ही देवी मंदिर त्रिकूट पर्वत श्रृंखलाओं में स्थित हैं. दोनों मंदिरों को पहाड़ की चोटी से साफ तौर पर देखा जा सकता है. सत्य माता का मंदिर अलौकिक और दिव्य है. मां की प्रतिमा अद्भुत है, जिसमें वह दोनों बच्चे साथ ही विराजमान हैं. सत्य माता संतान सुख और उनकी रक्षा के लिए पूजी जाती हैं. यहां मांगी गई संपूर्ण मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और मनचाहा फल मिलता है. भूत, प्रेत, तंत्र-बाधा से यहां लोगों को मुक्ति मिलती है. मान्यता है कि बच्चों का मुंडन संस्कार कहीं भी किसी भी धार्मिक स्थल, मंदिर में हो उसकी जो झालर सत्य माता और उनके बच्चों को ही चढ़ती है.

मंदिर कैसे पहुंचें

सत्य माता मंदिर परसमनिया पठार की सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला में पटिहट गांव में मौजूद है, यहां जाने के लिए मां शारदा माता मंदिर के पीछे से रास्ता है जहां से 17 किलोमीटर की दूरी पर यह मंदिर पड़ता हैl

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