वाह रे बेरोजगारी! 99 प्रतिशत के दावेदार को मेडिकल में बना दिया प्यून

जबलपुर यश भारत। नेताजी सुभाषचंद्रबोस मेडीकल कालेज इन दिनों अराजकता का केन्द्र बना है। अधिकारियों की भर्ती का मामला हो या भृत्य की भर्ती का मामला हो मनमानी तो मनमानी है।ऐसा कहना है मेडीकल कालेज के उन कर्मचारियों और अधिकारियों का जो मनमानी तरीके से भर्ती के नियम बना रहे है और उसमें संशोधन करते आ रहे है। जब उनसे इस संबंध में जबाव मांगा जाता है तो नियमों का हवाला देकर बात को खत्म कर दिया जाता है। सूचना के अधिकार के तहत जब किसी व्यक्ति या पीड़ित के द्वारा जानकारी मांगी जाती है तब नियमो का हवाला देकर उस प्रश्न को ठण्डे बस्ते में डाल दिया जाता है।
भर्ती अधिकारियों की शिकायत जब डीन कार्यालय में की जाती है तो मामले को शांतिपूर्ण ढग से निपटा दिया जाता है। आधुनिक दौर में जहां अभिभावक अपने बच्चों को आईएएस/आईपीएस बनाने के लिए दिन रात मेहनत करते है वही मेडीकल प्रशासन सिर्फ कागजों पर खानापूर्ति करके उन अभ्यार्थियों को नियुक्ति प्रदान कर देता है जिनके डाक्यूमेंट को सिर्फ कागजों पर बेरीफाई किया गया हैं।ऐसा ही एक मामला हाल में ही प्रकाश में आया जिसने वर्तमान के पूरे सिस्टम पर तमाचा जड़ा है
क्या है मामला
स्कूल ऑफ एक्सीलंेस उन पल्मोनरी मेडिसिन के अंतर्गत विज्ञप्ति क्रमांक 136 दिनांक 27/04/2022 अनुसार विभिन्न पदों पर सीधी भर्ती निकाली गई थी।जिसमें अन्य पदों पर तो ज्वाइन हुए उम्मीदवार के प्रतिशत अंक औसत थे वही भृत्य पद पर नियुक्त अभ्यार्थीयों के प्रतिशत अंक 99.66 से 99.64 है। चूंकि यह भर्ती प्रकिया सीधी थी और न्यूनतम योग्यता आठवीं थी तो प्रतिस्पर्धा की इस दौड में इतने अंक शंका को जन्म देते है। विगत कई बर्षाे से आठवी की परीक्षा प्राइवेट संस्थाओं द्वारा ली जाती रही है जिसका रिकार्ड कहां तक सत्य है इसकी पुष्टि मेडीकल प्रशासन द्वारा कहा तक की गई यह भी एक सवालिया निशान है।
आज दिनांक तक न तो किसी संस्था ने न ही किसी संगठन ने मेडीकल प्रशासन से इस संबंध में प्रश्न किया न ही जानकारी मांगी।गंभीरता से यदि इन प्रश्नों के उत्तर खोजे जाए तो एक बहुत बडे गिरोह का पर्दाफाश हो सकता है। जिसमें मेडीकल प्रशासन के कर्मचारियों की मिलीभगत होने को भी नकारा नही जा सकता।