जबलपुरमध्य प्रदेश

डोरीलाल की चिन्ता : जिसका डर था बेदर्दी वही बात हो गई

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अभी कल ही पंतप्रधान ने नाम लेकर कहा था कि इन घोटालेबाजों का सफाया कर दिया जाएगा। घोटालेबाज साफ हो गए। विलीन हो गए। इतना फास्ट काम। त्वरित निर्णय। काले कपड़े वाशिंग मशीन में चले गए। शफ्फाक सफेद होकर बाहर आ गए। गुरूपूर्णिमा के दिन गुरू गुड़ रह गए चेला शक्कर हो गए।

यहां अर्थशास्त्र काम कर गया। आप गलत समझे डोरीलाल पैसों के लेनदेन की बात नहीं कर रहे। वो तो व्यापार में होता ही है। ये डिमांड एंड सप्लाई का मामला है। जहां मांग और वहां पूर्ति। जिसकी मांग उसकी पूर्ति। व्यापारी कहता है मुझे उस बोरी के आलू चाहिए। बेचने वाला उसी बोरी के आलू बेचता है। आलू का क्या है वो तो मंडी में बिकने के लिए ही खड़ा है। फिर महाराष्ट्र की बात ही अलग है। यहां आलू ही आलू को खरीद रहा है। प्याज माइनॉरिटी में चली गई। शिवसेना को तोड़कर आलू लाए। फिर एनसीपी को तोड़कर आलू लाए। गोदाम में आलू ही आलू हो गए। भाजपा की प्याज माइनॉरिटी में आ गई। अब जब चुनाव होंगे तो अधिकांश सीटों पर चुनाव तो शिवसेना और एनसीपी के आलू लड़ेंगे। बीजेपी कहां लड़ेगी। नहीं तो फिर वापस आलू बाजार में चले जाएंगे।हमें खरीद लो हम बिकने को तैयार हैं। नहीं तो हम फिर शरद पवार के गोदाम में चले जाएंगे।

अब तरह तरह के कयास लग रहे हैं। कोई कहता है कि ये शरद पवार की चाल है। उसने आलू सड़ने के डर से भाजपा के कोल्ड स्टोरेज में रखवा दिए हैं। जब खतरा टल जाएगा तो निकाल लेगा। कोई कहता है कि शरद पवार में अब आलू की बोरियों को उठाने की ताकत नहीं रही इसलिए आलू भाग गए। हर आलू की इच्छा होती है कि कोई उसे खरीदे। अच्छे किचिन में अच्छे मसालों के साथ उसे खाया जाए। कहा जाए कि क्या आलू है। शरद पवार के गोदाम में पड़े पड़े सड़ने का क्या मतलब ?

मगर डोरीलाल का इरादा है कि कंजूमर फोरम मेें केस लगाया जाए। हम जैसे लोगों ने एक चल सम्पत्ति चुनी। बाकायदे चुनी। फारम भरे गए। चुनाव प्रचार हुआ। भाषण हुए। कस्में वादे हुए। प्यार वफा की कसमें दिलाई गईं। विजय जुलूस निकले। हम समझे हमारी एन पार्टी जीत गई। हमारा आलू जीत गया। मगर ये क्या हो रहा है। हमारी अमानत में खयानत हो गई। हमारी चल सम्पत्ति सच में चलाए मान हो गई। हमसे बिना पूछे चलते हुए बल्कि दौड़ते हुए दूसरे गोदाम में जाकर साष्टांग लेट गई। अध्यक्ष महोदय हमारी चल सम्पत्ति हमारे बेचे बिना कैसे बिक सकती है। हमसे पूछे बिना कैसे बिक सकती है। चल सम्पत्ति का कहना है कि उसका भरोसा नए खरीददार पर है। इस मालिक ने पहले हमें एडवांस दिया। मंत्री बनाया। दस पर्सेंट महिलाओं के लिए और दस पर्सेंट अल्पसंख्यकों के लिए भी सीट दी हैं। चल सम्पत्ति का ये भी कहना है कि हम लोग थोक में बिके हैं। फुटकर में नहीं बिके। इसलिए हमें दाम सही मिले हैं। सौदे के हिसाब से मंत्री बनाया गया है। सबसे अच्छी बात ये है कि सबकुछ संविधान के अनुसार हुआ है। हमने भी संविधान की ही शपथ खाई है। संविधान हम हमेशा जेब में रखते हैं। जब हम बिकते हैं तो संविधान के अनुसार ही बिकते हैं। इसके पहले भी हम बार बार बिकते रहे हैं। हम सच बता रहे, हमें कल ही शाम को पता चला कि हमारा विश्वास नरेन्द्र मोदी की नीतियों पर है। और आज हम हम बी पार्टी में आ गए।

तो कंजूमर फोरम में हमारी अपील इस प्रकार है कि महोदय कुछ वर्ष पूर्व हमने अपने क्षेत्र से एन पार्टी का एक प्रत्याशी वोट देकर चुना था। इस प्रकार यह हमारी सम्पत्ति (माल) हुआ। पर क्योंकि यह चल फिर सकता है अतः इसे चल सम्पत्ति माना जा सकता है। इसे पुनः दोहराया जाए कि यह हमारी चल सम्पत्ति एन पार्टी की सदस्य थी। पिछले दिनों देश के प्रधान सेवक ने कहा कि एन पार्टी ने सत्तर हजार करोड़ का घोटाला किया है। अतः इन्हें पुलिस का डंडा और जेल की सलाखें मिलेंगी। इसकी मै गारंटी देता हूं। अध्यक्ष महोदय इस गारंटी से हमारा चुनी इुई चल सम्पत्ति चल पड़ी और प्रधान सेवक की बी पार्टी में चली गई।

अध्यक्ष महोदय जैसी भी थी काली थी या सफेद थी पर ये चल सम्पत्ति थी तो हमारी। इसे हमें वापस दिलाया जाए। महोदय हम उपभोक्ता हैं और हमारे चल सम्पत्ति की चोरी हुई है। तत्काल हमारी चल सम्पत्ति हमें दिलवाई जाए। यदि वो किसी गोदाम में बंद है और अचल सम्पत्ति में बदलती जा रही है तो कृपया हमें दिखा दी जाए। कहीं ऐसा न हो कि हमारी सम्पत्ति सड़ जाए और कचरे के ढेर में फेंक दी जाए जो उसकी सही जगह है।

डोरीलाल सत्ताप्रेमी

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