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1987 में महिला कप्तान, अब शहर में तीन महिला उप कप्तान प्रियंका ,सोनाक्षी ,सोनाली को कहते हैं “सर”

महिला दिवस पर यश भारत "विशेष"

जबलपुर यश भारत। बच्चे भी पुलिस के नाम से शांत हो जाते हैं, यह आम धारणा है ।पुलिस को उन सब बातों से रूबरू होना पड़ता है जिन्हें अपशब्द भी कहा जाता है ।फिर महिला पुलिस जो कल्पना से परे था, समय बदला ,पुलिस विभाग में महिला कर्मचारियों की संख्या पुरुषों की संख्या बराबर होने लगी ।काफी तादाद में महिलाएं अब पुलिस विभाग में पदस्थ हो रही हैं। जबलपुर में महिला दिवस पर संयोग ही कहेंगे कि तीन प्रमुख पदों पर महिला अधिकारी पदस्थ हैं, जिनमें दो आईपीएस और एक राज्य स्तरीय से आई हैं ।माइक वन का मतलब पुलिस कप्तान होता है, इस पद में भी आशा गोपाल 1987 में पदस्थ रही, आज माइक 2,3,4 मतलब अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पद पर तीन महिलाएं मोर्चा संभाली हैं पद भी बताना उल्लेखनीय है कि पुलिस महकमे में महिला पुलिस अधिकारी को” सर” ही कहा जाता है।यश भारत द्वारा महिला दिवस पर अपने पाठकों को इन तीनों महिला एडीशनल अधिकारियों से रुबरु करवाया जा रहा है।

 1.सोनाक्षी सक्सेना, एडिशनल एसपी साउथ

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शहर में वर्तमान नवनियुक्त एडिशनल महिला एसपी सोनाक्षी सक्सेना वर्तमान में साउथ जोन का पदभार संभाल रही हैं।यश भारत से चर्चा से बात करते हुए सोनाक्षी सक्सेना ने विभिन्न मुद्दों पर खुलकर चर्चा की।

खुलकर सामने आए महिलाएं और युवतियां

एडिशनल एसपी सोनाक्षी सक्सेना महिला सुरक्षा पर बात करते हुए बड़ी बेबाकी से अपनी राय रखतीं हैं उनका कहना है कि महिला अपराधों पर महिलाओं और युवतियों को खुलकर अपनी बात रखने की जरूरत है और इसी कड़ी में आज महिलाएं अब अपने ऊपर हो रहे अपराधों पर बात भी कर रही है।महिला थाने खुलने से महिलाएं सीधे जाकर अपनी शिकायत दर्ज करवा सकती हैं, लेकिन पहले उन्हें दूसरे थानों में जाना पड़ता था, जहां वे खुलकर बात नहीं कर पाती थी। महिला थाना प्रभारी व उनकी टीम लगातार स्कूल व कॉलेजों के बाहर गश्त करती हैं। कई बार मनचलों के खिलाफ अभियान भी चला चुकी हैं। अब छात्राओं व महिलाओं से छेड़छाड़ की घटनाएं भी कम हो गई हैं.अगर आप खुलकर सामने आएंगे तभी हम आपकी मदद कर पाएंगे।

बचपन की यादों में बसा है जबलपुर

एडिशनल एसपी सोनाक्षी सक्सेना चूंकि प्रदेश के डी जी पी सुधीर सक्सेना की पुत्री भी है और 25 साल पूर्व जिस चैंबर में बैठकर वो शहर को सुरक्षित करते थे आज उसी चैंबर से सोनाक्षी सक्सेना शहर को अपनी कार्यप्रणाली से सुरक्षित कर रही है।इसी पर चर्चा करते हुए एडिशनल एसपी कहती हैं कि पिताजी की शहर में तैनाती के समय बचपन की सारी यादें आज भी दिलों दिमाग में बसी है इसलिए शहर में कार्य करने में उत्साह बना हुआ है। मेरे लिए यह सौभाग्य की बात है कि जहां पिताजी ने कार्य किया है वहां मैं भी कार्य कर रही हूं और जो भी अपेक्षा मुझसे जनता को है मैं उस पर खरा उतरने की कोशिश करूंगी।

मजबूत इच्छाशक्ति और आत्मविश्वास से महिलाएं बदल सकती है अपनी जिंदगी

शहर की महिलाओं को संदेश देते हुए सोनाक्षी सक्सेना कहती हैं कि महिलाएं कार्यस्थल पर न केवल कुशलतापूर्वक कंप्यूटर चला रही हैं बल्कि पुलिस की वर्दी में अपराधियों का पीछा भी कर रही हैं। वे अन्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में भी सहयोग कर रही हैं। अपनी योग्यता से अवगत कराते हुए वे कह रही हैं कि हम डरकर बैठने वाले नही है।आजाद भारत में सांस ले रही है आधी आबादी, लेकिन सामाजिक सोच से आजादी पाने के लिए संघर्षरत है। हालांकि खुद के हौसले से महिलाओं ने अपने मनपसंद काम को आगे बढ़ाया है और सफलता भी हासिल की। अगर इच्छा शक्ति और आत्मविश्वास मजबूत हो तो महिलाएं हर वो मुकाम हासिल कर सकती हैं जिसकी वो हकदार हैं ।

 

 

 

 2.एडि एस पी सोनाली दुबे, एडिशनल एसपी (ग्रामीण) जोन 4

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विधानसभा चुनाव के पूर्व शहर में शहर में स्थानांतरण का दौर जारी था और इसी समय शहर में सोनाली दुबे ने एडिशनल एसपी का पदभार ग्रहण किया।शहर से पूर्व में भली भांति परिचित थी क्योंकि पिता की पोस्टिंग शहर में रह चुकी थी और विवाह भी जबलपुर से ही हुआ इस कारण धीरे-धीरे शहर को समझने ज्यादा समय नहीं लगा और अपने अधीनस्थ थानों के क्राइम को रोकने में सफलता पा ली। यश भारत से महिला मुद्दों पर एडिशनल एसपी ने अपने अनुभवों को बड़ी प्रमुखता से साझा किया।

महिला शेरनी जैसी ही

यश भारत से संघर्षशील महिलाओं के लिए एडिशनल एसपी सोनाली दुबे अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहती हैं किमहिला होना बहुत ही गर्व का विषय है, आप एक महिला के रूप में जन्म लेते हो। अगर नेचर को भी हम देखते हैं तो शेरनी और चिड़िया अपने बच्चों को लेकर संवेदनशील होती है इसी प्रकार महिलाएं भी ऐसे ही इसी गुण को फालो करती है। महिलाओं को शक्ति के साथ भी देखा जाता है ।जब भी हम अराधना और शक्ति की बात करते हैं वो भी एक महिलाओं का प्रतिनिधित्व करती दिखती है । परंतु कहीं न कहीं वो लैंगिक समानता से समाज दूर ही दिखता है इसलिए महिलाओं के लिए रास्ता अभी लंबा और संघर्ष अभी लंबा है।

ससुर ने कहा -हमें पुलिस की नौकरी से कोई समस्या नहीं

एडिशनल एसपी कहती हैं कि शैक्षणिक परिपाटी होने के चलते उन समस्याओं का सामना मुझे उस प्रकार की कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ा, माता पिता ने कभी लड़का लड़की वाला भेद नहीं किया। हां जब पुलिस की नौकरी में दो बार सिलेक्शन हुआ तब पिता ने जाने से रोका था पर ससुर ने सपोर्ट किया ।

शहर के साथ परिवार को भी बखूबी किया मैनेज

सोनाली दुबे कहती हैं कि दो बच्चों के पालन पोषण साथ पुलिस की नौकरी में 9,10ट्रांसफर के बाद बखूबी तौर पर नौकरी का निर्वहन किया है। सीआईडी में रहकर एक बहुत बड़े नाईजीरियन फ्राड का खुलासा किया था। एआईजी की नौकरी में 9 जिलों को संभाला था।अब जबलपुर में पहली पोस्टिंग है। पिताजी की नौकरी के वक्त उन्हीं की नजरों से शहर को देखा है।

गांजे की कार्यवाही सबसे बड़ी उपलब्धि

जबलपुर में पोस्टिंग के बाद महिला एडीशनल एसपी के नेतृत्व में गांजे की एक बहुत बड़ी कार्यवाही की गई थी जिसमें चार राज्यों के माफिया शामिल थे ।जिसको लेकर मैडम कहती हैं कि हमारी टीम ने सफलतापूर्वक इन सभी बदमाशों को गिरफ्तार किया था। इसके अलावा हथियारबंद बदमाशों को अभी कुछ दिन पहले तीन घण्टे में गिरफ्तार किया। चोरी की घटनाओं में फिंगर प्रिंट की मदद से बहुत बड़ी चोरी का खुलासा किया है।

मारपीट को महिलाएं समझती है आम बात

महिलाओं की सोच को लेकर एडिशनल एसपी कहती हैं कि मैं शहर को दो दृष्टिकोण से देखती हूं जहां पर एक तरफ महिलाएं पढ़ी लिखी है उन्हें अपने अधिकारों के बारे में ज्ञान है परंतु कुछ महिलाएं ऐसी हैं जो मारपीट को आम समझती हैं अर्थात अगर ग्रामीण के कुछ इलाकों में पुलिस पति-पत्नी के झगड़े को अपराध बताती है तो पत्नी है किसी आम बात समझते हैं अर्थात कहीं ना कहीं महिलाओं में अपने अधिकारों को लेकर अशिक्षा का भाव बना हुआ है । धीरे धीरे कुछ जागरूक कार्यक्रम किए जा रहे हैं और एनजीओ को जोड़ कर महिलाओं को जागरूक करने का कार्य किया जा रहा है

 3.प्रियंका शुक्ला, एडिशनल एसपी शहर जोन 1

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भिंड से आने वाली महिला एडिशनल एसपी प्रियंका शुक्ला ने जबलपुर में लगभग तीन साल का कार्यकाल पूर्ण कर लिया है। इस दौरान शहर के विभिन्न थानों में अपनी सेवाएं दी और शहर को कहीं न कहीं अपनी प्रोफेशनल जन्मभूमि मानती हैं और यशभारत से चर्चा के दौरान बड़े ही सुलझे तरीके से अपने कार्यकाल की और महिला सुरक्षा की बात करती है।

-मानसिक बंदिशे हटाने की जरूरत

एडिशनल एसपी प्रियंका शुक्ला कहती हैं कि सामाजिक बंदिशे महिलाओं के आगे बढऩे में जरूर सामने आती है परंतु वह सामाजिक न होकर मानसिक हैअर्थात हमें मानसिक बंदिशे हटाने की जरूरत है। आज के इस दौर में नैवी से लेकर आर्मी पुलिस, प्रशासन और अन्य क्षेत्रों में महिलाएं अग्रसर है।

-भिंड में देखी थी लैंगिक असमानता

महिला अधिकारी ने अपने बचपन का अनुभव साझा करते हुए बताया कि चूंकि मैं भिंड जैसे जिले से आती हूं जहां मेरी और मेरे भाई की पढ़ाई वहीं से हुई जहां पर अन्य घरों में लड़का लड़की के बीच असमानता का मुद्दा देखने को मिलता था जहां लड़को के कैरियर पर जोर दिया जाता था वहीं लड़कियों के कैरियर बनाने की उम्र में शादियां करा दी जाती थी। परंतु धीरे धीरे माहौल बदल रहा है और लोग परिवर्तन स्वीकार करने लगे हैं। इस दौरान मेरे पिता ने मेरा पूर्णरूप से सहयोग किया और अपना व्यापार ग्वालियर सिप्ट करके हमारी पढ़ाई में मदद की।

-जुलाई २०२० से की थी जबलपुर से शुरूआत, मेखला रिसोर्ट हत्याकांड रहा चुनौतीपूर्ण

चूंकि जबलपुर मेरी प्रोफेसनल जन्मभूमि है इस दौरान विजय नगर थाने से मेरे प्रशिक्षण की शुरूआत हुई थी। उसके उपरांत सीएसपी बरगी और अब एक वर्ष से सिटी एडीशनल पद के रूप में कार्य कर रहे हैं। इस दौरान मेखला रिसोर्ट हत्याकांड बड़ा चुनौतीपूर्ण रहा। इसके अलावा सैलकंपनीस के बड़े नेटवर्क का खुलासा किया था जहां बड़ा फायनेंशियल फ्राड सामने आया था। इसके अलावा नवरात्र एवं अन्य त्यौहारों में सुरक्षा व्यवस्था संभालना ये भी चुनौतीपूर्ण रहा।

महिलाओं के साथ अपराध हो थाने जाकर रिपोर्ट जरूर करें

ऐसा देखा जाता है कि जब महिलाओं के साथ छेड़खानी है किसी भी प्रकार का अपराध होता है तो महिलाएं अपने अपराध के बारे में बात करने से बचाती हैं और थाने जाकर रिपोर्ट करने से डरती है उन्हें यह लगता है कि वह बदनाम हो जाएगी परंतु अब यह विचारधारा धीरे-धीरे बदल गई है इन्हें खुलकर सामने आना चाहिए और थाने में जाकर अपनी समस्याओं की शिकायत करनी चाहिए ‌, ये कहना है प्रियंका शुक्ला का जिन्होंने महिलाओं को बेबाकी से जिंदगी जीने के लिए प्रेरणादायक बातें यश भारत से कहीं।

अन्य महिला अधिकारी भी मुस्तैद

इसके अलावा एस पी अजाक रेखा सिंह, डीएसपी महिला अपराध पूजा पांडे, एसडीओपी सिहोरा पारूल शर्मा, सीएसपी अधारताल प्रियंका करचाम,महिला थाना प्रभारी इंदिरा सिंह, खितौला थाना प्रभारी संगीता सिंह, विजयनगर थाना प्रभारी प्रतीक्षा मार्को, कटंगी थाना प्रभारी पूजा उपाध्याय, बेलखेड़ा थाना प्रभारी सरोजनी टोप्पो, मालवीय चौक यातायात थाना प्रभारी संगीता डामोर जैसी अधिकारियों द्वारा शहर को मुस्तैदी से सुरक्षित किया जा रहा है।

 

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