चुनाव में फेक न्यूज वायरल करने वाले जाएंगे जेल
भोपाल. बात का बतंगड़ बनने से आप और हम भली भांति परिचित हैं। छोटी-छोटी अफवाहें विकराल रूप भी ले सकती हैं। चुनाव के दौरान इसकी बढ़ती संभावनाओं को देखते हुए फेक न्यूज पर कंट्रोल करना आयोग के लिए चुनौती बनी हुई है। सोशल साइट्स के बढ़ते क्रेज में छोटी-छोटी सूचनाएं भी पलक झपकते जन-जन तक पहुंचती है। सूचनाओं के प्रसार के इन माध्यमों का जितना असर पॉजीटिव होता है तो उससे कहीं अधिक निगेटिव भी है।
निर्वाचन आयोग ने बनाया विशेष दल
आयोग ने फेक न्यूज की निगरानी के लिए विशेष दल तैयार कर रखा है। इसके अंतर्गत जिलों में तो निगरानी अधिकारी तैनात रहेंगे ही। आयोग स्तर पर तैनात अमला फेंक न्यूज या दुष्प्रचार से संबंधित सोशल साइट के पोस्ट जमा करेंगे।
क्या करें
किसी भी न्यूज को बिना किसी अधिकृत पुष्टि के प्रसारित न करें।
गु्रपों के माध्यम से आने वाले किसी भी मैसेज या वीडियो को अन्य माध्यमों से पुष्ट करें।
हिंसात्मक मामलों पर आने वाली सूचना का प्रसार नहीं करें।
किसी भी न्यूज को पक्षपात के नजरिए से न देखें, बल्कि निश्पक्ष सोंच के साथ विचार करना चाहिए।
गलत या भ्रामक सूचनाओं की जानकारी पुलिस को दें।
नहीं करें
अपुष्ट जानकारियों को किसी भी अन्य ग्रुपों में प्रसारित न करें।
दस्तावेजों पर आधारित किसी तथ्य को भी पुष्ट न मानें क्योंकि फोटोशॉप या अन्य एक की मदद से इन्हें सुधारा भी जा सकता है।
हिंसा या दुष्प्रचार से जुड़ी किसी भी जानकारी को प्रसारित न करें।
किसी भी संदिग्ध ग्रुप या ब्लॉग में शामिल न हों।
फेक न्यूज से जुड़ी किसी भी गतिविधियों के सहभागी न बनें।
सजा के प्रावधान
फेक न्यूज को लेकर कुछ सजा के भी प्रावधान हैं। इसके अंतर्गत आने वाले मामलों में ३ कैद की साल तक की सजा भी हो सकती है। सोशल मीडिया में गलत जानकारी तैयार करना तो अपराध में आता है साथ ही इसको फैलाने में सहयोग करने वाले भी समान रूप से अपराधी होते हैं।
भादंवि 506बी, के अंतर्गत दुष्प्रचार, फेक न्यूज या भड़काने के इरादे से कोई बात कहना या प्रकाशित करना आता है। इसमें आरोपित को तीन वर्ष की कैद या अर्थदंड या फिर दोनों ही सजा मिल सकती है।
धारा 125, आरपी एक्ट, के अंतर्गत चुनाव के दौरान दुष्प्रचार फैलाने पर सजा के प्रावधान
आईटी एक्ट, सोशल साइट में अभद्र और झूठी जानकारी का प्रचार-प्रसार करना
भादंवि की धारा 153अ, धर्म, जाति, भाषा या जन्म स्थान के आधार पर किसी दो ग्रुप में सद्भाव बिगाड़ना
(इसके अतिरिक्त अन्य भी धाराएं हैं जिसमें दंड के प्रावधान हैं।)
एक्सपर्ट व्यू
सूचना प्रौद्योगिकी निश्चित ही विकास के लिए बेहद आवश्यक है। इसका सही उपयोग करें तो फायदा होगा वरना नुकसान भी है। आम लोगों में आईटी को लेकर जागरुकता का अभाव होने के कारण जाने-अनजाने वे गलती कर बैठते हैं। सोशल साइट्स में किसी भी सूचना को पुष्ट नहीं मानना चाहिए। हमें ऐसी पोस्ट से दूरी बनानी चाहिए
-हरिशचंद्र विश्वकर्मा, सहायक अध्यापक, आईजीएनटीयू